सब से ज्यादा कठनाई उन लड़कियों के सामने खड़ी होती है जो बनसंवर कर घर से निकलती हैं. उन पर ताक?ांक तो की ही जाती है, लड़कों की गंदी फब्तियों व छेड़छाड़ का शिकार भी उन्हें होना पड़ता है. क्या घनी बस्ती में ताक?ांक ज्यादा होती है? क्या ऐसी बस्ती में गहरी लिपस्टिक लगा कर निकला जा सकता है? क्या घनी बस्तियों में रहने वाली लड़कियों को घुटघुट कर जीना होगा? लड़के कमैंट करें तो कैसे जवाब दें? घनी बस्ती में घर वालों से अधिक बाहर वाले रखते हैं लड़की पर नजर? ‘जै सा देश वैसा भेष’ की कहावत के जरिए यह बताया जाता है कि समाज, वातावरण और सुविधा के अनुसार कपड़े पहनने चाहिए. मध्यवर्गीय परिवार अभी भी घनी बस्तियों में रहते हैं जहां पर घर के दरवाजे पर चारपहिया वाहन नहीं पहुंच पाता.

ऐसे में सब से बड़ी परेशानी उन लड़कियों को होती है जो फैशनेबल कपड़े पहनना चाहती हैं. उन के लिए यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि फैशनेबल कपड़े पहन कर ‘सैक्सी लुक’ कहां दिखाएं. लड़कियों को सब से अधिक गलियों में ही चलना पड़ता है. गलियों में ‘सैक्सी लुक’ दिखाने वाले कपड़े पहनने को अच्छा नहीं माना जाता है. ऐसे में सवाल उठता है कि कहां दिखाएं? ‘सैक्सी लुक’ वहां दिखाएं जहां जरूरी हो. गलियों में ‘सैक्सी लुक’ न दिखाएं. घनी बस्ती में रहती हैं तो सैक्सी लुक को वहां ही दिखाएं जहां जरूरी है, गली में नहीं. इस विचार के पीछे की वजह भी ‘जैसा देश वैसा भेष’ की कहावत वाली ही है. घनी बस्तियों में रहने वालों की मानसिकता अभी भी वही है कि

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