भारतीय रिजर्व बैंक की इजाजत और उस के कंट्रोल में चलने वाले एक और बैंक ने दरवाजे बंद कर दिए हैं. आईएल एंड एफएस, महाराष्ट्र कोऔपरेटिव बैंक, डीएचएफएल, यैस बैंक के बाद यह लक्ष्मी विलास बैंक एक बड़ा बैंक है जिस का दीवाला पिट गया. चेन्नई के इस बैंक की 563 ब्रांचें हैं और आम लोगों के 20,000 करोड़ रुपए जमा हैं. अब लोग केवल एक बार 25,000 रुपए अपने खातों या डिपौजिट से निकाल सकते हैं.
बैंक कई सालों से नुकसान में चल रहा था क्योंकि बैंक ऐसे कर्ज दे रहा था जिसे लेने वाले चुका नहीं रहे थे. बैंक खातों में तो ऐसे दिए कर्ज के पैसे को अपनी मिलकीयत समझता था और उन पर ब्याज को आमदनी मानता था पर असल में सब जीरो था.
बैंकों का फेल हो जाना कोई नई बात नहीं है और दुनियाभर में ऐसा होता है पर आम आदमी जिस ने इन बैंकों में पैसा जमा कर रखा होता है बुरी तरह मार खाता है. पहले तो उसे लगता है कि उस का पैसा इन बैंकों में सेफ है और इसीलिए कम ब्याज में भी जमा करा देता है.
ये भी पढ़ें- बिहार विधानसभा चुनाव 2020
जहां ये सरकारी लगने वाले बैंक सिर्फ 7-8 फीसदी से ज्यादा ब्याज नहीं देते थे, निजी साहूकार कर्ज लेने जाओ तो 30-40 फीसदी तक का ब्याज झटक लेते थे. सारे देश में चिटफंड कंपनियों का जालजंजाल इसीलिए फैला कि लोगों को भरोसा हो गया था कि सरकारी लगने वाले लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंक लूटते हैं. चिटफंड कंपनियां 20 से 30 फीसदी तक के मुनाफे का वादा करती थीं और शुरू के 1,000-2,000 हजार जमाकर्ताओं को इतना पैसा मिल भी जाता था.
चिटफंड कंपनियों के एजेंट घरघर जाते हैं जबकि बैंक में लाइन में लग कर पैसा जमा कराना पड़ता है और मिन्नत कर के फिक्स्ड डिपौजिट रसीद मिलती है. बैंक केवाईसी का बहाना बना कर लोेगों का पैसा भी दाब लेते हैं. सरकारी कंट्रोल वाले बैंकों में कौन सी आपाधापी नहीं होती, फिर भी सरकार इन में मंदिर की तरह पूजा करवाती रहती है.
ये भी पढ़ें- फुजूल की ट्रंप सेवा
लोगों को आजकल जबरन अपने हाथ में नकदी न रखने का हुक्म दिया जा रहा है. सरकार को आम लोगों के पैसे की फिक्र नहीं है, वह तो चाहती है कि गरीबों का थोड़ाथोड़ा पैसा भी बड़ेबड़े बैंकों में आ कर भारतीय रिजर्व बैंक में आ जाए जहां से सरकार जब चाहे निकाल सके. जो बैंक फेल हो रहे हैं उन में कुछ ऐसे भी हैं जिन्हें कम ब्याज पर भारतीय रिजर्व बैंक को पैसा जमा कराना पड़ा, जो केंद्र की मोदी सरकार हड़प गई. इन्हीं से भी बैंकों को नुकसान हुआ.
मोटी बात यह है कि हमारे देश में भी बैंक जनता की सेवा के लिए नहीं, जनता का पैसा लूटने के लिए रास्ता बन गए हैं. सरकार का वरदहस्त है इसलिए लोगों को इन के पास जाना ही पड़ता है. लक्ष्मी विलास बैंक तो लक्ष्मी लूट बैंक बन गया. अब पूजा करने का क्या फायदा.