हमारा देश भारत ही है, जहां आज भी जादू और तंत्रमंत्र के नाम पर गैरों का ही नहीं, बल्कि अपनों का भी खून बहाया जा रहा है. इस का सीधा सा मतलब यह है कि पढ़ाई लिखाई के बावजूद इस देश के लोगों का पीछा अभी भी अंधविश्वास से नहीं छूटा है. इस के लिए अगर कोई कुसूरवार है, तो वह है हमारी सरकार और पढ़ाईलिखाई का सिस्टम. आइए, आज एक भयावह घटना से रूबरू होते हैं :

झारखंड के पलामू जिले से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां एक मां ने अपनी डेढ़ साल की बेटी की बलि दे कर अपनी ममता को ही दागदार कर दिया है. अपनी माली हालत सुधारने के नाम पर, तंत्रमंत्र के चक्कर में फंसी एक मां ने अपनी बेटी की हत्या कर दी और उस का कलेजा यानी लिवर तक खा लिया.

दरअसल, यह घटना अंधविश्वास और अनपढ़ता के बुरे असर का सुबूत है और हमें सोचने पर मजबूर करती है कि कैसे हम अपने समाज को इस काले अंधेरे से बाहर निकाल सकते हैं.

एक दिन गीता देवी नामक औरत ने अपनी नन्ही परी सी बेटी को ले कर पास के जंगल में जाने का फैसला किया, जहां उस ने पूजा की और बिना कपड़ों के डांस किया. इस के बाद उस ने धारदार चाकू से अपनी बेटी का गला रेत दिया, लाश के टुकड़े किए और फिर उस का कलेजा खा लिया.

यह घटना इतनी भयावह है कि हमें सोचने पर मजबूर करती है कि क्या पैसा पाने के लिए एक मां अपनी बेटी की हत्या भी कर सकती है?

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