35 साला उमेश परिहार के पास वह सबकुछ था जिस की दरकार किसी को भी होती है, मसलन अपना बड़ा सा घर, खूबसूरत स्मार्ट बीवी, 4 मासूम बच्चे, मांबाप और खुद की कार. यह सब उस ने अपनी मेहनत से हासिल किया था.

पेशे से ड्राइवर उमेश मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल जिले धार के गांव घाटबिल्लोदा के चंदननगर महल्ले में रहता था. काम के सिलसिले में अकसर उस का आनाजाना इंदौर और उज्जैन लगा रहता था. लेकिन जब से धार्मिक शहर उज्जैन में महाकाल कौरिडोर बना है, तब से उस के फेरे उज्जैन ज्यादा लग रहे थे.

पिछले कुछ महीनों से उमेश उज्जैन में ही रहने लगा था. अपनी बोलेरो कार उस ने किराए पर उठा दी थी. उज्जैन का माहौल दूसरे धार्मिक शहरों की तरह पूरी तरह धार्मिक है, जहां सुबह से बमबम भोले के नारे लगना शुरू होते हैं, तो देर रात तक यही सिलसिला चलता रहता है.

इस शहर में धर्मगुरुओं, ज्योतिषियों, बाबाओं और तांत्रिकों के इफरात से आश्रम और अड्डे हैं, जिन में ख्वाहिशमंद लोगों की लाइन लगी रहती है.

किसी को घरेलू कलह और लाइलाज बीमारी से छुटकारा चाहिए रहता है तो किसी को नौकरी की दरकार रहती है. बेटी की शादी के लिए भी लोग इन डेरों के चक्कर काटते नजर आते हैं, तो किसी को पितृ दोष से मुक्ति के लिए यह शहर मुफीद लगता है.

धनदौलत चाहने वालों का तो कहना ही क्या. यहां के काल भैरव मंदिर में शराब का भोग लगता है, जहां शनि उतरवाने के लिए दुनियाभर के लोग आते हैं. उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिव अभिषेक करने के लिए तो हस्तियों का तांता लगा रहता है.

ऐसे माहौल का अलगअलग किस्म के लोगों पर अलगअलग असर पड़ता है. उमेश पर असर पड़ा तंत्रमंत्र का और उस में भी मरघट यानी श्मशान सिद्धि का, जिस के लिए उज्जैन खासतौर से जाना जाता है.

क्षिप्रा नदी के किनारे अघोरियों की श्मशान साधना होती है, जिस के बारे में तरहतरह के मनगढ़ंत किस्सेकहानियां फैलाने वालों ने फैला रखे हैं, जिन में से एक यह भी है कि अगर मरघट में तंत्रमंत्र और क्रियाएं करते रहने वाले बाबा किसी को आशीर्वाद दे दें, तो उस के वारेन्यारे होने से कोई नहीं रोक सकता.

ये बाबा आमतौर पर नंगे रहते हैं और अपने शरीर पर श्मशान की राख या भभूत लपेटे रहते हैं, चौबीसों घंटे गांजे और भांग के नशे में चूर रहने के चलते इन की आंखें सुर्ख लाल रहती हैं. इन्हें देखने भर से आम लोग डरते हैं, क्योंकि ये बेहद डरावने लगते हैं.

मतलब, उज्जैन में मुरादें पूरी करने की छोटीमोटी दुकानों समेत बड़ेबड़े शोरूम और माल्स भी हैं. जिस की जैसी हैसियत होती है, उस के मुताबिक वह आशीर्वाद खरीद लेता है, जिस की कोई गारंटी नहीं होती.

इस खालिस ठगी के धंधे में कैसेकैसे लोग उल्लू बनते हैं, इस की एक बानगी उमेश परिहार भी है, जिस के सिर पर रातोंरात रईस बनने का भूत कुछ ऐसे सवार हुआ कि उस ने अपने ही हाथों अपने 2 साल के बेटे भीम की इतनी बेरहमी से हत्या कर दी कि देखने वाले तो दूर की बात है, सुनने वालों की भी रूह कांप उठे.

लालच में गड़े धन के

कोई विरला ही होगा, जिस ने गड़े धन के किस्सेकहानी नहीं सुने होंगे जिन का सार यह रहता है कि जमीन के नीचे इफरात से सोनाचांदी, हीरेजवाहरात गड़े रहते हैं, जिन्हें तंत्रमंत्र के जरीए निकाला जा सकता है.

लेकिन यह काम आसान नहीं है, क्योंकि जमीन में गड़े धन की हिफाजत खतरनाक जहरीले सांप करते हैं, इसलिए यह पैसा माहिर गुरुओं, जो तांत्रिक ही होते हैं, जिन की सरपरस्ती और देखरेख में ही निकाला जाना चाहिए, नहीं तो लेने के देने पड़ जाते हैं और 90 फीसदी मामलों में गड़ा धन या खजाना निकालने वाला बेमौत मारा जाता है.

उज्जैन आतेजाते उमेश ने भी ऐसी चमत्कारी कहानियां सुनी थीं. सो जल्द ही अमीर बनने के सपने ने उस की रात की नींद और दिन का चैन छीन लिया. यहां तक कि उस ने अपनी कार के बोनट पर भी खोपड़ी का निशान बनवा लिया था.

बोलेरो कार किराए पर उठाने के बाद उमेश ऐसे किसी सिद्ध बाबा की तलाश में जुट गया जो तंत्रमंत्र सिखा दे, जिस से वह गड़ा धन निकाल कर बिना मेहनत किए ऐशोआराम की जिंदगी जिए.

इस के पहले उमेश परिहार किन्नरों का ड्राइवर हुआ करता था, जिन्होंने उसे खूब पैसा दिया था. लेकिन तंत्रमंत्र के फेर में पड़ कर वह नशा करने लगा और काम में भी आलस बरतने लगा तो किन्नरों ने भी उस से किनारा कर लिया.

उमेश की यह तलाश बमबम बाबा की शक्ल में पूरी हुई. उज्जैन में बमबम बाबा का बड़ा नाम है, जो अघोरी हैं और श्मशान साधना के स्पैशलिस्ट माने जाते हैं.

इस बाबा के बारे में भी कई चमत्कारिक किस्से उज्जैन के लोग सुनाते हैं कि वे पहुंचे हुए सिद्ध पुरुष हैं. एक बार जिस पर खुश हो जाएं, उस की हर मुराद पूरी हो जाए और जिस से गुस्सा हो जाएं, तो खड़ेखड़े ही उसे भस्म कर दें.

उमेश ने इस बाबा के बारे में सुना तो उसे लगा कि यही बाबा उसे गड़ा धन दिला सकते हैं. लिहाजा, वह बमबम बाबा के चक्कर काटने लगा.

कई दिनों की मिन्नत और मनुहार के बाद बाबा उसे अपना चेला बनाने को तैयार हुआ, लेकिन इस शर्त के साथ कि पहले किसी की बलि चढ़ाओ, तभी अपना चेला बनाऊंगा.

लालच में अंधा हो चुका उमेश पूरी तरह बाबा की गिरफ्त में आ चुका था, इसलिए यह बेवकूफी करने को भी तैयार हो गया.

लेकिन आजकल के जमाने में किसी की बलि लेना यानी उस की हत्या कर देना आसान काम नहीं रह गया है, सो वह परेशानी और चिंता में पड़ गया कि किस की बलि दे.

तंत्रमंत्र किस तरह अच्छेखासे आदमी की अक्ल हर लेता है, यह अब उमेश को देख सहज समझा जा सकता था, जिस के जेहन में बलि के लिए अपने ही जिगर के टुकड़े मासूम भीम के चेहरा कौंध गया.

बेरहमी से कुचल डाला

एक तरफ बेटा था तो वहीं दूसरी तरफ करोड़ों की काल्पनिक दौलत, जिस के बूते वह ऐशोआराम के खयालीपुलाव पका रहा था. अंधविश्वास के दलदल में गहरे तक धंस चुके उमेश को भीम सौफ्ट टारगेट लगा था, क्योंकि वह विरोध नहीं कर सकता था और आसानी से उसे मारा जा सकता था.

लिहाजा, बीती 5 सितंबर को उज्जैन से उमेश सीधा अपने घर घाटबिल्लोदा जा पहुंचा. घर पहुंचते ही उस ने ऊटपटांग हरकतें शुरू कर दीं. पहले तो उस ने पूजा का सारा सामान जमाया और फिर एक कटोरे में आग जला ली.

घर पर मौजूद उमेश की पत्नी, मां और पिता हैरान थे कि वह यह क्या कर रहा है. पूरे घर को आग का धुआं देता वह मंत्र भी बुदबुदाता जा रहा था और अपने साथ लाई भभूत भी वह घर में बिखेरता जा रहा था.

ये हरकतें देख कर पिता और पत्नी ने उसे टोका तो उस ने उन दोनों को पीट डाला. इस के बाद अचानक ही उस ने भीम को उठाया और उसे भी पीटने लगा तो पत्नी और घबरा गई, क्योंकि अब उमेश के सिर पर पागलपन सवार हो चुका था.

किसी अनहोनी से डरी पत्नी ने भीम को उमेश से छुड़ाना चाहा तो वह और बिफर उठा और खुद को बेटे समेत दूसरे कमरे में ले जा कर शटर बंद कर लिया. घर के लोग चिल्लाते रह गए, लेकिन पगलाया उमेश भीम को मारता रहा तो पत्नी ने पास के थाने की तरफ दौड़ लगा दी.

पुलिस तुरंत आ गई, लेकिन लाख कहने और धमकाने के बाद भी उमेश ने शटर नहीं खोला. देखते ही देखते वह बेटे को जमीन पर ऐसे पटकने लगा, जैसे धोबी कपड़े धोता है.

उस मासूम के रोनेचिल्लाने और चीखने का इस वहशी पर कोई असर नहीं हुआ. वह लगातार उसे पटकता रहा, जिस से उस की मौत हो गई. नजारा इतना डरावना था कि पुलिस वाले भी कांप उठे, क्योंकि भीम के शरीर की चटनी बन चुकी थी और सारा कमरा खून से लाल हो चुका था.

कोई और चारा न देख कर पुलिस ने शटर काटने के लिए गैस कटर का इंतजाम किया, लेकिन तब तक वह हैवान अपने मकसद में कामयाब हो चुका था. पुलिस को धमकाते हुए उस ने घर को गैस सिलैंडर से धमाका करने की धमकी भी दी थी.

शटर काट कर पुलिस वाले अंदर कमरे में गए, तब भी उमेश बमुश्किल काबू में आया. उस ने आग लगाने की कोशिश की और एक सिपाही को काट भी खाया. खुद को भी उस ने नुकसान पहुंचाया.

गिरफ्तारी के बाद उमेश को पीथमपुर के अस्पताल में भरती किया गया, क्योंकि उस की दिमागी हालत ठीक नहीं थी. पुलिस वाले जंजीर से बांध कर उसे ले गए. उस समय वहां मौजूद सारे लोग उमेश और उस के तंत्रमंत्र को कोस रहे थे, लेकिन सबक किसी ने लिया कि इस फरेब में नहीं पड़ेंगे, कहा नहीं जा सकता.

मेहनत से मिलता है धन देश में रोज कहीं न कहीं कोई न कोई ऐसे ही किसी अंधविश्वास मसलन तंत्रमंत्र, झाड़फूंक, ज्योतिष और टोनेटोटकों के फरेब में पड़ कर बरबाद हो रहा होता है और खुद का और दूसरों का नुकसान कर रहा होता है.

लेकिन सबकुछ जाननेसमझने के बाद भी लोग संभलते नहीं तो इस के जिम्मेदार वे खुद तो हैं ही, लेकिन इफरात से हर कहीं धूनी रमाए बैठे चिलम फूंकते बमबम बाबा जैसे तांत्रिक भी कम गुनाहगार नहीं ठहराए जा सकते, जो लोगों को बहलातेफुसलाते हैं.

उमेश को तो सजा होना तय है, लेकिन जब तक ऐसे बाबाओं पर कड़ी कार्यवाही नहीं होगी, तब तक कोई न कोई भीम तंत्रमंत्र की बलि चढ़ता रहेगा.

रही बात रातोंरात अंबानी और अडानी बन जाने के ख्वाब और ख्वाहिश की तो वह अगर तंत्रमंत्र से पूरी होना मुमकिन होती तो देश में सभी लोग अमीर होते. कम से कम वे बाबा तो होते ही, जो करोड़पति बनने का रास्ता चंद रुपयों में दिखाया करते हैं. लेकिन खुद भिखारियों सी जिंदगी जीते हैं.

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