पंजाब के जिला होशियारपुर का रहने वाला रघुवीर 18 साल का हो चुका था. उस की शादी की बात भी चलने लगी थी, लेकिन शादी के पहले उसे यह साबित करना था कि वह इस के काबिल हो गया है. इस के लिए उसे लूटपाट करने वाले गैंग में शामिल होना था. क्योंकि वह जिस बिरादरी से था, उस में शादी से पहले लूट की ट्रेनिंग लेनी पड़ती है. दरअसल, रघुवीर बेडि़या जाति से था, जिस में रोजीरोजगार के साधन कम ही होते हैं, जिस की वजह से ज्यादातर पुरुष चोरी और लूट जैसी वारदातें करते हैं. इस के लिए वे गिरोह बना कर अपने इलाके से काफी दूर निकल जाते हैं और लूटपाट करते हैं. ये जिस इलाके में वारदात करने जाते हैं, लोकल लोगों को अपने गिरोह में शामिल कर के ही लूटपाट की वारदात को अंजाम देते हैं.
लूट के दौरान हत्या जैसे जघन्य अपराध करने से लोकल बदमाश घबराते हैं, जबकि ये जरूरत पड़ने पर ही नहीं, आसपास सनसनी फैलाने और लूट में कोई परेशानी न हो, इस के लिए भी घर के किसी न किसी सदस्य की हत्या जरूर करते हैं. इस का मकसद होता है गिरोह के नए सदस्यों में हिम्मत पैदा करना, जिस से वह लूट के दौरान किसी भी तरह से घबराएं न. गिरोह के वरिष्ठ सदस्य इसे शादी और घरगृहस्थी से भी जोड़ देते हैं.
कहते हैं कि बेडि़यों के गिरोह आज भी कबीला संस्कृति का पालन करते हैं, जिस में हत्या करना कोई कठिन काम नहीं माना जाता. गिरोह के वरिष्ठ लोग अपने नए साथी के मन से डर निकालने के लिए इस तरह का काम करने को उकसाते ही नहीं, बल्कि हर हालत में करवाते हैं. शादी के जोश में इस तरह के अपराध करने के लिए किशोर उम्र के लड़के तैयार भी हो जाते हैं.