लेखक-  डा. पी.के. सरीन

उन्होंने घड़ी देखी तो सुबह के 4 बजे थे. पूरा कमरा सिगरेट की गंध से भरा हुआ था. उन्हें याद है कि इस से पहले उन्होंने जीवन में 2 बार सिगरेट पी थी पर इस एक रात में वह 4 पैकेट सिगरेट पी गए थे. दरअसल,
शाम को अनीता का फोन आने के बाद डा. पटेल इतना आंदोलित हो गए थे कि अपने बीवीबच्चों से काम का बहाना बना कर रात को अपने नर्सिंग होम में ही रुक गए थे. हां, उसी अनीता का फोन आया था जिस के लिए मैं पिछले 5 सालों से अपना घरपरिवार, व्यवसाय, यारदोस्त, यहां तक कि अपने 2 मासूम बच्चों को भी भूले बैठा था. उसी अनीता के जहर बुझे शब्द अब भी मेरे कानों में गूंज रहे थे, ‘तुम ने जो कुछ किया वह सब एक सोचीसमझी योजना के तहत किया है. तुम इनसान नहीं, हैवान हो.

मेरे देवता समान पति को तुम ने बरबाद कर दिया.’ डा. पटेल सोच रहे थे कि बरबाद तो मैं हुआ, समाज में मेरी बदनामी हुई, शारीरिक रूप से अपंग मैं हुआ, प्रोफेशनल रूप से जमीन पर मैं आ गया, और वह सिर्फ अनीता की खातिर, फिर भी उस का पति देवता और मैं हैवान. इसी के साथ डा. पटेल के दिमाग में पिछले कुछ सालों की घटनाएं न्यूजरील की तरह उभरने लगीं. मैं डा. पटेल. इसी उदयपुर में पलाबढ़ा और यहीं से सर्जरी में एम.एस. करने के बाद सरकारी नौकरी में न जा कर अपना निजी नर्सिंग होम खोला. छोटा शहर, काम करने की लगन और कुछ मेरे मिलनसार व्यक्तित्व ने मिल कर मरीजों पर इस कदर असर छोड़ा कि 3-4 साल के भीतर ही मेरा नर्सिंग होम शहर का नंबर एक नर्सिंग होम कहलाने लगा था. शहर और आसपास के डाक्टर भी मेरे नर्सिंग होम में सर्जरी के लिए अपने मरीजों को पूरे विश्वास के साथ भेजने लगे. मेरी पत्नी उदयपुर विश्वविद्यालय में लेक्चरर थी, हर तरह से सुखी, संतुष्ट जीवन गुजर रहा था कि अनीता से मेरी मुलाकात हो गई. अनीता मेरे ही एक नजदीकी दोस्त गजेश की बीवी थी. गजेश रामकरण अंकल का बेटा था और रामकरण अंकल के एहसानों तले मैं पूरी तरह से दबा हुआ था. यह बात तब की है जब अपने नर्सिंग होम को जमाने के लिए मुझे कुछ सर्जरी के उपकरण खरीदने के लिए एक बैंक गारंटर की जरूरत थी. ऐसे में काम आए मेरी पत्नी के दूर के एक रिश्तेदार रामकरण अंकल, जो उदयपुर में ही शिक्षा विभाग में क्लर्क थे. रामकरण अंकल ने बैंक गारंटर बन कर मेरी समस्या को हल किया था और मैं यह कभी न भूल सका कि इसी बैंक गारंटी की वजह से मेरा यह नर्सिंग होम स्थापित हो पाया जोकि बाद में नई ऊंचाइयों तक पहुंचा.

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