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इंसपेक्टर अलीम ने जेब से रुमाल निकाला और उस की मदद से मुगरी को पकड़ कर उठाया. वह बड़े ध्यानपूर्वक उस का निरीक्षण करता रहा. फिर उस ने उसे वापस टोकरी में डाल दिया और मेज की तरफ बढ़ा. तभी थाने से उस के स्टाफ के अन्य लोग भी आ गए और अपने काम में जुट गए.

उसी समय उस की नजर ऐशट्रे में पड़े एक अधजले सिगार पर पड़ी. उस ने तत्काल उसे उठा लिया और राहत अली से पूछा, ‘‘क्या आप सिगार पीते हैं?’’ उस का सवाल अचानक था.

‘‘कभीकभार...!’’ राहत अली ने जवाब दिया.

वह 3 तलों वाला हवाना का सिगार था जो गहरे रंग का था. सिगार के नाम की पट्टी हटा दी गई थी, जबकि मेज की दराज में मौजूद सभी सिगारों पर वह पट्टी लगी थी और गोल्डन सील भी थी. हर सिगार पर साइड में एक निर्धारित ट्रेड मार्क था. जिस में ग्रेट लीगेशन लिखा था. यह एक महंगा सिगार था.

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कुछ देर बाद इंसपेक्टर अलीम ने राहत अली को जाने की इजाजत दे दी. उसी रात जब इंसपेक्टर अलीम थाने के अपने बाहरी कमरे में अकेला बैठा ताश खेल रहा था तो कोई स्कूटर सवार वहां आया और उस पर गोली चला कर भाग गया लेकिन गोली इंसपेक्टर के कान को छूती हुई गुजर गई. वह बालबाल बच गया था.

उस घटना के दस दिन बाद शाम को 6 बजे इंसपेक्टर अलीम ने राहत अली को फोन कर के थाने आने के लिए कहा. उस ने बताया कि छीने जाने वाले पर्स के बारे में कुछ मालूमात हासिल हुई है.

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