कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

हाजी गफूर ने उस का गर्मजोशी से स्वागत किया और उसे लाइब्रेरी में ले आए. वहां उन्होंने अपने कातिल को सिगार भी पेश किया. उन दोनों के बीच चीनी मिल के स्टौक के मामले में बातचीत होती रही. कातिल ने हाजी गफूर को कोई पेशकश की, जिसे उन्होंने क्षमा याचना के साथ नकार दिया.

ऐसी स्थिति में कातिल उठ खड़ा हुआ. वहां उस ने एक मुगरी देखी थी. वह मुगरी उठा कर हाजी साहब के पीछे जा पहुंचा और उन के सिर पर जोर से प्रहार किया. ऐसी स्थिति में उन का सिर फट गया और खून बहने लगा.

लगातार खून बहने से उन की मौत हो गई. उस के बाद कातिल ने संदूकची में से सारी रकम निकाल ली. ऐसा उस ने मात्र गलतफहमी पैदा करने के लिए किया, अन्यथा उसे करेंसी नोटों की कोई जरूरत नहीं थी.’’ कह कर इंसपेक्टर अलीम राहत अली की ओर देखने लगा. राहत अली की निगाहें उसी पर जमी हुई थीं.

ये भी पढ़ें- पुलिस का बदरंग

कुछ देर चुप रहने के बाद इंसपेक्टर अलीम बोला, ‘‘अब समस्या यह है राहत साहब कि मो. रऊफ यानी हाजी गफूर का भाई सिगार नहीं पीता. हाजी गफूर का सेकेट्री रफीक खान और चीनी मिल का मैनेजर मो. लतीफ कभीकभार ही सिगार पीते हैं. सलीम अहमद पाइप पीता है जबकि कातिल सिगरेट पीने वाला व्यक्ति था.’’

राहत अली ने इंसपेक्टर अलीम की बात का कोई जवाब नहीं दिया. इंसपेक्टर अलीम आगे बोला, ‘‘वस्तुत: सिगार पीने वाला व्यक्ति सिगार के एक सिरे को अपने दांतों से काटता है और फिर सावधानीपूर्वक अपने दांत सिगार के दूसरे सिरे में गड़ा देता है. ऐसी स्थिति में सिगार उस के मुंह से नहीं गिर सकता.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...