रामनाथ ने नया घर खरीदने के लिए जिस फाइनैंस कंपनी में पेट काट कर तमाम मुश्किलों का सामना करते हुए 50 हजार रुपए की रकम जमा कराई थी, वहां अब अलीगढ़ी ताला झूल रहा था. जबकि फाइनैंस कंपनी ने तो यही कहा था कि कुछ ही समय में उस का पैसा दोगुना कर वापस लौटा दिया जाएगा. वह समय आज तक नहीं आया और शायद आएगा भी नहीं. जानकारी के मुताबिक, राजस्थान के कई शहरों खासकर जयपुर, जोधपुर, कोटा, भीलवाड़ा व उदयपुर में कई फाइनैंस कंपनियों की धोखाधड़ी के सैकड़ों मामले दर्ज हुए हैं.
जेवीजी फाइनैंस कंपनी, हीलियस ग्रुप, राप्ती ग्रुप, फर्स्ट ग्रुप, यंग फौर्मर कंपनी, स्वर्ण भूमि फाइनैंस कंपनी, लोक विकास फाइनैंस कंपनी, चंबल वित्त विकास, अनंज ग्रुप, नौर्थसाउथ ग्रुप फाइनैंस कंपनी, फौरैस्ट इंडिया फाइनैंस कंपनी वगैरह कंपनियों में लाखों लोगों की पूंजी फंसी हुई है.
जयपुर के पास ही सांगानेर इलाके में स्वर्ण भूमि फाइनैंस कंपनी के ताला लगे दफ्तर की तरफ देखते हुए सांगानेर में किराना स्टोर की दुकान चला रहे अशोक कुमार से जब पूछा गया कि स्वर्ण भूमि फाइनैंस कंपनी का क्या मतलब है? तो उस ने एक फीकी मुसकान के साथ जवाब दिया, ‘‘स्वर्ण कमाओ और भूमिगत हो जाओ.’’
लोक विकास कंपनी से गुस्साए देवेंद्र का कहना है, ‘‘मेरी सारी बचत लुट गई. रोजाना पैसा जमा करने का खाता खोला था. अपने जमा 16 हजार रुपए और ब्याज लेना था. इस से पहले ही कंपनी रफूचक्कर हो गई.’’
दुकानदार कन्नूलाल का कहना था, ‘‘यह एक छूत की बीमारी की तरह था. हम ने उम्मीद लगाई थी कि शायद हम भी कुछ दिनों में अमीर हो जाएंगे, इसलिए एक लाख रुपए की पूंजी सावधि खाते में लगा दी. पर होश तब आया, जब फूटी कौड़ी भी नहीं मिली.’’