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(कहानी सौजन्य-मनोहर कहानियां)

लेकिन अखिलेश सिंह ने बीच में आ कर आशीष डे को हट जाने को कहा. आशीष डे ने अखिलेश की बात नहीं मानी तो उस ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी. इस के बाद भी आशीष डे ने अखिलेश की बात नहीं सुनी. मामला दोनों के बीच अहं पर आ टिका.

2 नवंबर, 2007 की सुबह साढ़े 9 बजे आशीष डे अपने चेनार रोड स्थित घर से साकची बाजार स्थित दुकान पर जा रहे थे. बाजार में गाड़ी पार्किंग की समस्या थी. इस वजह से वह पैदल ही जा रहे थे. इस का फायदा उठाते हुए अखिलेश सिंह ने अपने शूटरों के साथ मिल कर बीच चौराहे पर एके 47 से आशीष डे को भून डाला और हवा में असलहे लहराता हुआ फरार हो गया. जबकि आशीष डे का अखिलेश के पिता चंद्रगुप्त सिंह से पारिवारिक रिश्ता था.

दोनों परिवारों का एकदूसरे के घर आनाजाना था, फिर भी 2 गज जमीन के लिए अखिलेश ने आशीष डे की जान लेने से तनिक भी संकोच नहीं किया. हत्या करने के बाद उस ने राज्य के एक पुलिस अफसर के घर पनाह ली. उस की तलाश में पुलिस यहांवहां मारी फिर रही थी, लेकिन उसे पकड़ना तो दूर, पुलिस उस की परछाईं तक नहीं छू पाई थी.

मार्च, 2008 में पूर्व न्यायाधीश आर.पी. रवि के घर पर फायरिंग, टाटा स्टील के सुरक्षा अधिकारी जयराम सिंह की हत्या, प्रतिद्वंदी परमजीत सिंह के घर पर फायरिंग वगैरह में अखिलेश शामिल था. पकड़े जाने के डर से वह फरार था. अखिलेश सिंह को 31 दिसंबर, 2011 को उत्तर प्रदेश के विशेष कार्यबल और झारखंड पुलिस ने नोएडा के एक मौल से गिरफ्तार किया. सन 2014 में जेल के भीतर अफवाह उड़ी कि वह राजनीति में शामिल हो रहा है. यह अफवाह उस के सहयोगियों ने उड़ाई थी. इस के बाद पुलिस ने उसे साकची जेल से दुमका जेल में ट्रांसफर कर दिया.

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