1 अगस्त, 2017 को राजस्थान के जिला श्रीगंगानगर के थाना सदर पुलिस को निर्माणाधीन सूरतगढ़-हनुमानगढ़ रोड पर नेतेवाला पर बाईपास पर एक युवक की लाश पड़ी होने की सूचना मिली.
इस सूचना पर थाना सदर के थानाप्रभारी कुलदीप वालिया, एसआई चंद्रजीत सिंह, बलवंत कुमार पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे ही गए थे, एसपी हरेंद्र महावर, एएसपी भरतराज, डीएसपी (सिटी) तुलसीदास राजपुरोहित भी थानाप्रभारी की सूचना पर पहुंच गए थे. पुलिस अधिकारियों के साथ ही फोरैंसिक टीम और डौग स्क्वायड की टीम भी घटनास्थल पर आ गई थी. फोरैंसिक टीम का काम खत्म हो गया तो पुलिस ने हत्यारों का पता लगाने के लिए खोजी कुत्ते की मदद ली. लेकिन इस से पुलिस को कोई मदद नहीं मिल सकी.
डौग स्क्वायड और फोरैंसिक टीम का काम निपट गया तो पुलिस ने लाश और घटनास्थल का निरीक्षण शुरू किया. लाश का सिर बुरी तरह से कुचला हुआ था, लेकिन देखने से ही लग रहा था कि यह दुर्घटना का मामला नहीं था. मृतक की हत्या कर उस के सिर पर कई बार किसी वाहन का पहिया चढ़ाया गया था, इसलिए सिर एकदम सड़क में चिपक गया था.
ऐसा शायद हत्यारे ने पहचान मिटाने के लिए नहीं किया था, बल्कि उस की इस हरकत से साफ लग रहा था कि वह मृतक से काफी नफरत करता था. मृतक जो कपड़े पहने था, वे पूरी तरह सुरक्षित थे. पुलिस ने उस के कपड़ों की तलाशी ली कि शायद कपड़ों से ही कुछ मिल जाए, जिस से उस की शिनाख्त हो सके.
पुलिस ने मृतक के कपड़ों की तलाशी ली तो पैंट की जेब से एक पर्स मिला, जिस में कुछ रुपयों के अलावा एक आईकार्ड मिला. वह आईकार्ड मृतक का ही था. उस पर उस का नाम विनोद बेनीवाल लिखा था. वह हरियाणा के जिला सिरसा के ऐलनाबाद के सिविल अस्पताल में लैब टेक्नीशियन था.
इस से पुलिस ने अनुमान लगाया कि मृतक विनोद बेनीवाल सिरसा का रहने वाला होगा. पुलिस ने पर्स और उस में मिला सामान कब्जे में ले कर घटनास्थल की औपचारिक काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए सरकारी अस्पताल भिजवा दिया.
इस के बाद थाने आ कर मुकदमा दर्ज कर के मामले की जांच शुरू कर दी. चूंकि मृतक की जेब से सिरसा के सिविल अस्पताल का आईकार्ड मिला था, इसलिए पुलिस की टीम सिरसा पहुंच गई. वहां की पुलिस को साथ ले कर पुलिस टीम सिविल अस्पताल पहुंची, जहां आईकार्ड दिखा कर मृतका के बारे में पूछताछ शुरू की.
इस पूछताछ में पता चला कि विनोद 31 जुलाई, 2017 के बाद से ड्यूटी पर नहीं आ रहा था. पुलिस ने जब बताया कि उस की हत्या हो चुकी है तो उस के साथ काम करने वाले हैरान रह गए. अस्पताल से विनोद के घर का पता और फोन नंबर मिल गया. वह थाना राणिया के गांव बालासर का रहने वाला था.
श्रीगंगानगर से गई पुलिस टीम थाना राणिया पुलिस की मदद से विनोद बेनीवाल के घर पहुंची. घर वालों से विनोद के बारे में पूछताछ की गई तो पता चला कि वह 31 जुलाई, 2017 को ड्यूटी पर गया तो लौट कर नहीं आया. उस का मोबाइल भी बंद है. पुलिस ने जब उस की हत्या हो जाने की बात बताई तो घर में कोहराम मच गया.
पुलिस ने घर वालों से किसी से दुश्मनी या किसी लड़की से प्रेमसंबंध के बारे में पूछा तो उन्होंने बताया कि न तो उन्हें विनोद से किसी की दुश्मनी के बारे में पता है, न प्रेमसंबंध के बारे में. पुलिस टीम विनोद के घर वालों के साथ श्रीगंगानगर वापस आ गई. अब तक विनोद का पोस्टमार्टम हो चुका था. पुलिस ने लाश उस के घर वालों को सौंप दी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, विनोद की हत्या गोली मार कर की गई थी. इस का मतलब पहले विनोद को गोली मारी गई थी, वह सड़क पर गिर पड़ा तो उस के सिर पर गाड़ी का पहिया चढ़ा कर कुचल दिया गया था. पहिया सिर पर एक बार नहीं, कई बार चढ़ाया गया था.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पूरी तरह स्पष्ट हो गया था कि यह दुर्घटना का नहीं, हत्या का मामला था. घटनास्थल से पुलिस को ऐसा कोई सुराग नहीं मिला था, जिस से पुलिस को हत्यारे तक पहुंचने में मदद मिलती.
जांच आगे बढ़ाने के लिए पुलिस ने विनोद बेनीवाल के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया तो उस में पुलिस को 2 नंबर ऐसे मिले, जिन पर संदेह हुआ. पुलिस ने दोनों नंबरों के बारे में पता किया तो उन में से एक नंबर दीपक चौधरी उर्फ दीपक मलिक का था तो दूसरा नंबर इंदुबाला का था.
थानाप्रभारी कुलदीप वालिया को 4 अगस्त को उन के मुखबिर से उन्हें जो जानकारी मिली उस के अनुसार विनोद बेनीवाल की हत्या हरियाणा के जिला भिवानी के चरखीदादरी के नौरंगाबास के रहने वाले दीपक चौधरी उर्फ दीपक मलिक ने की थी.
मुखबिर की इस सूचना से साफ हो गया कि मृतक की काल डिटेल्स से दीपक चौधरी का जो नंबर मिला था, वह हत्यारे का ही था. मुखबिर ने यह भी बताया था कि विनोद की हत्या प्रेमसंबंध की वजह से हुई थी. विनोद जिस इंदुबाला को प्रेम करता था, दीपक भी उसी को प्यार करता था. इंदुबाला की ही वजह से विनोद की हत्या हुई थी. अब पुलिस दीपक चौधरी की तलाश में लग गई.
दीपक की तलाश में पुलिस लगातार छापे मारती रही, पर उस का कुछ पता नहीं चला. पुलिस उस के साथ इंदुबाला की भी तलाश में लगी थी. दीपक तो नहीं मिला, लेकिन 12वें दिन पुलिस ने सूरतगढ़ से इंदुबाला को गिरफ्तार कर लिया. उसे थाने ला कर पूछताछ की गई तो उस ने बिना कुछ छिपाए सारी बात सचसच बता दी.
इंदुबाला के बताए अनुसार, विनोद की हत्या दीपक चौधरी उर्फ दीपक मलिक ने की थी. हत्या के समय वह भी उस के साथ थी. पुलिस ने इंदुबाला के बयान के आधार पर अज्ञात की जगह इंदुबाला और दीपक चौधरी को नामजद कर इंदुबाला को अदालत में पेश कर विस्तार से पूछताछ के लिए रिमांड की मांग की तो अदालत ने उसे 4 दिनों की पुलिस रिमांड पर सौंप दिया.
रिमांड अवधि के दौरान पुलिस ने हत्या से जुड़े कुछ सबूत तो जुटाए ही, दीपक के ठिकाने के बारे में भी पूछताछ की. इंदुबाला ने दीपक के जो ठिकाने बताए थे, पुलिस ने वहां छापे मारे, लेकिन वह नहीं मिला. आखिर रिमांड अवधि खत्म होने पर पुलिस ने इंदुबाला को फिर से अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
इंदुबाला की गिरफ्तारी की सूचना दीपक को मिल गई थी. प्रेमिका की गिरफ्तारी से वह पागल सा हो उठा था. उस ने बौखला कर फेसबुक पर सीओ (सिटी) तुलसीदास पुरोहित के नाम संदेश लिखा, ‘मेरी सीओ साहब से न तो कोई दुश्मनी है, न दोस्ती है. हां, उन 3 पुलिस वालों ने मेरी प्रेमिका के साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया, इसलिए उन्हें इस का अंजाम भुगतना पड़ेगा.’
फेसबुक पर डाले गए इस स्टेटस पर एक पुलिस अधिकारी ने कमेंट किया, ‘दीपक, तुम सरेंडर कर दो, तुम्हारे लिए यही ठीक रहेगा.’
इस के जवाब में दीपक ने फेसबुक पर हथियार और इंदुबाला की फोटो डाल कर लिखा, ‘श्रीगंगानगर पुलिस, ध्यान से सुनो. मैं इसे हद से ज्यादा प्यार करता हूं. 3 सिपाहियों ने मेरे इस प्यार के साथ अच्छा नहीं किया. पुलिस ने किसी गलत आदमी को फंसाया है. सब को पता है कि जो गलत करता है, उस के साथ भी गलत होता है.
‘पुलिस वालों को पूछताछ का अधिकार है, लेकिन बुराभला कहने का नहीं. पुलिस इन्वैस्टीगेशन के लिए टौर्चर कर सकती है, लेकिन किसी के साथ बदतमीजी नहीं कर सकती, गलत शब्दों का उपयोग कर बेइज्जती नहीं कर सकती. ओके माइंड इट. गलत करने वाले से बदला लिया जाएगा. वह चाहे शैतान हो या जानवर या पुलिस, समय आने पर मैं सब को बता दूंगा. वह भी गिनेचुने दिनों के अंदर. जस्ट वेट एंड वाच.’
पुलिस को दीपक चौधरी की तलाश थी, लेकिन लाख कोशिश के बाद भी वह पुलिस की गिरफ्त में नहीं आ सका. पुलिस को इंदुबाला से जो जानकारी मिली थी, उस के अनुसार प्रेम त्रिकोण में विनोद बेनीवाल की हत्या की जो कहानी प्रकाश में आई, वह इस प्रकार थी—
23 साल की इंदुबाला सूरतगढ़ में वाटर वर्क्स में नौकरी करने वाले भादरराम कुलडि़या की बेटी थी. वह श्रीगंगानगर के ऐलनाबाद में नर्सिंग का कोर्स कर रही थी. सिविल अस्पताल में इंटर्नशिप के दौरान उस का परिचय विनोद बेनीवाल से हुआ. वह वहां लैब टेक्नीशियन की ट्रेनिंग कर रहा था.
बाद में यही जानपहचान दोस्ती में और फिर प्यार में बदल गई. विनोद और इंदुबाला एकदूसरे को दिल की गहराइयों से चाहने लगे. प्यार को मुकाम देने के लिए दोनों ने शादी का भी फैसला कर लिया. लेकिन जब उन्होंने घर वालों से बात की तो दोनों के ही घर वालों ने इस शादी के लिए मना कर दिया. दोनों ही घर वालों के खिलाफ जा कर शादी नहीं करना चाहते थे, इसलिए घर वालों के मानसम्मान के लिए उन्होंने अपने दिलों पर पत्थर रख लिया.
यह 2 साल पहले की बात है. इंदुबाला जीएनएम की ट्रेनिंग के लिए देहरादून चली गई तो विनोद बेनीवाल की हरियाणा के सिरसा में सिविल अस्पताल में लैब टेक्नीशियन की नौकरी लग गई. इस तरह दोनों के रास्ते अलगअलग हो गए. दोनों भले ही अलग हो गए थे, लेकिन वे एकदूसरे को प्यार अब भी करते थे. उन की फोन पर बातें भी होती रहती थीं.
देहरादून में इंदुबाला की मुलाकात हरियाणा के जिला भिवानी के थाना चरखीदादरी के गांव नौरंगाबास के रहने वाले दीपक चौधरी उर्फ दीपक मलिक से हुई. दोनों में पहले जानपहचान हुई, जो जल्दी ही दोस्ती में बदल गई. दीपक से दोस्ती होने के बाद इंदुबाला विनोद बेनीवाल को भूल सी गई.
क्योंकि इंदुबाला को दीपक विनोद की अपेक्षा ज्यादा मालदार लगा था, इसलिए वह उस की ओर आकर्षित होती चली गई. दीपक ने भी उसे दिल की रानी बना लिया. वह देहरादून में अपनी कैंसर पीडि़त मां का इलाज करा रहा था.
जैसा कहा जाता है कि लोग अपनों से ही हारते हैं, वैसा ही इंदुबाला के घर वालों के साथ भी हुआ. भादरराम को बेटी के इस नए प्रेमप्रसंग के बारे में पता चला तो सिर पर हाथ रख कर बैठ गए. इंदुबाला ने साफ कह दिया था कि वह दीपक चौधरी से शादी करने जा रही है.
पुलिस के अनुसार, इंदुबाला के घर वालों को न विनोद पसंद था और न ही दीपक. इस के बावजूद इंदुबाला दीपक के साथ रहने ही नहीं लगी बल्कि, चरखीदादरी स्थित उस के घर भी आनेजाने लगी. यही नहीं, उस ने सूरतगढ़ रोड पर स्थित नर्सिंग ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट के पास ही होमलैंड सिटी में दीपक को किराए का मकान दिला दिया था, जिस में वह दीपक के साथ रहने लगी थी.
मजे की बात यह थी कि इंदुबाला दीपक के बारे में ज्यादा कुछ जानती नहीं थी. लेकिन जब उसे दीपक की सच्चाई का पता चली तो वह दंग रह गई. दीपक मलिक शराब तस्कर ही नहीं, शातिर अपराधी था. उस पर तमाम मुकदमे चल रहे थे. इस तरह इंदुबाला जिस दलदल में फंस गई थी, वहां से निकलना आसान नहीं था. क्योंकि दीपक उसे आसानी से छोड़ने वाला नहीं था. अगर वह उस से पीछा छुड़ाती तो वह उस के घर वालों को नुकसान पहुंचा सकता था, इसलिए उस ने चुप रहने में ही भलाई समझी.
दीपक शातिर तो था ही, इसलिए उस ने इंदुबाला के अतीत में झांकने की कोशिश की. वह सीधे इंदुबाला से उस के बारे में पूछ नहीं सकता था. वह बताती भी नहीं, इसलिए उस ने इंदुबाला को कुछ इस तरह अपनी बातों से प्रभावित किया कि उस ने विनोद के बारे में सब कुछ बता दिया.
इंदुबाला के मुंह से उस के पुराने प्रेमी के बारे में सुन कर दीपक अंदर ही अंदर जल उठा. उसे लगा कि इंदुबाला अब भी विनोद से मिलतीजुलती होगी, क्योंकि वह उस का पहला प्रेम था. उस के रहते इंदुबाला किसी और से मिलेजुले, यह दीपक को बरदाश्त नहीं था. वह उस की है और उसी की रहेगी.
शातिर अपराधी दीपक का सोचना था कि अगर उस की प्रेमिका की ओर किसी ने देखा भी तो वह उस की आंखें फोड़ देगा. फिर विनोद ने तो उस की प्रेमिका से प्रेम ही नहीं किया, बल्कि उस के साथ उस के संबंध भी रहे हैं. ऐसे आदमी को इस दुनिया में रहने का कोई हक नहीं है. बस, यहीं से उस ने विनोद को खत्म करने का मन बना लिया.
दीपक ने होशियारी से इंदुबाला से विनोद बेनीवाल का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया. इस के बाद वह विनोद से बातें ही नहीं करने लगा, बल्कि दोस्ती भी कर ली. दोस्ती होने के बाद दीपक ने विनोद से उस की किसी गर्लफ्रैंड के बारे में पूछा तो उस ने इंदुबाला के बारे में बता दिया. दीपक यही जानना चाहता था.
विनोद को क्या पता था कि दीपक यह सब क्यों पूछ रहा है. विनोद से पूरी बात जान कर दीपक ने विनोद से साफ कह दिया कि इंदुबाला अब उस की अमानत है और वह उस के साथ है. वह उस की जिंदगी है. वह उस से शादी करने जा रहा है, इसलिए वह उस की तरफ गलती से भी नहीं देखेगा. अगर उस ने ऐसा किया तो वह उसे जिंदा नहीं छोड़ेगा.
विनोद ने कह दिया था कि अब वह इंदुबाला से कोई मतलब नहीं रखेगा. लेकिन दीपक को विश्वास नहीं हुआ. उसे लगा कि दोनों अब भी फोन पर बातें ही नहीं करते होंगे, बल्कि मिलते भी होंगे. सच्चाई जानने के लिए उस ने इंदुबाला को विश्वास में ले कर पूछा तो उस ने बता दिया कि विनोद अभी भी उसे फोन करता है और उस से मिलना चाहता है.
लेकिन अब वह उस से मिलना नहीं चाहती, क्योंकि उस ने तो बहुत पहले ही उसे दिल से निकाल दिया था. जबकि शायद उसे अभी भी गलतफहमी है कि वह उस से प्यार करती है.
इंदुबाला की बातों से दीपक को लगा कि विनोद आसानी से इंदुबाला का पीछा छोड़ने वाला नहीं है. वह शातिर अपराधी तो था ही, किसी की हत्या करना उस के लिए बच्चों के खेल जैसा था. इसलिए विनोद प्रेमिका का पीछा छुड़ाने का उसे एक ही उपाय नजर आया, उस की हत्या.
उस ने विनोद की हत्या करने का निर्णय कर हत्या कैसे की जाए, इस बात पर विचार किया तो उसे तरीका भी मिल गया. विनोद ने किसी से पैसे उधार ले रखे थे, जिन्हें वह दे नहीं पा रहा था. दीपक ने विनोद से दोस्ती कर ही रखी थी. उस ने रुपए दे कर मदद करने के बहाने 31 जुलाई, 2017 को उसे श्रीगंगानगर बुला लिया. विनोद श्रीगंगानगर पहुंचा तो दीपक उसे अपनी कार से होमलैंड सिटी स्थित अपने किराए के कमरे पर ले गया.
दीपक ने कमरे पर खानेपीने की व्यवस्था की. शाम को इंदुबाला भी आ गई. इस के बाद उसे ले कर दीपक और विनोद के बीच झगड़ा होने लगा तो दीपक ने शराब की बोतल उठा कर विनोद के सिर पर दे मारी, जिस से विनोद घायल हो गया.
विनोद नशे में था, इसलिए भाग नहीं सका. इलाज कराने के बहाने दीपक ने इंदुबाला की मदद से विनोद को कार में बैठाया और बाईपास चक 5 एमएल की रोही बसअड्डे पर ले गया. वहां भीड़भाड़ देख कर दीपक उसे निर्माणाधीन सूरतगढ़ हनुमानगढ़ नेतेवाला बाईपास पर ले गया. इंदुबाला भी उस के साथ थी.
वहां उस ने कार की हेडलाइट्स जला कर विनोद को सड़क पर घुटनों के बल बैठा दिया. विनोद को लगा कि दीपक की नीयत ठीक नहीं है तो वह छोड़ देने के लिए गिड़गिड़ाने लगा. लेकिन दीपक ने उस पर जरा भी रहम नहीं किया और पिस्तौल निकाल कर उस के सिर में गोली मार दी. गोली लगते ही वह सड़क पर लुढ़क गया.
इस के बाद दीपक ने कार से उस के सिर को 3-4 बार कुचला, जिस से उस की पहचान न हो सके. जाते समय उस ने विनोद का मोबाइल फोन निकाल लिया. वह वहां कोई ऐसा सबूत नहीं छोड़ना चाहता था, जिस के सहारे पुलिस उस तक पहुंच सके. इस के बाद वह इंदुबाला के साथ होमलैंड सिटी स्थित कमरे पर आ गया. दीपक खुश था कि उस ने अपने रास्ते के कांटे को हमेशाहमेशा के लिए हटा दिया.
पुलिस के अनुसार, दीपक 2 अगस्त तक श्रीगंगानगर में ही रहा. जैसे ही विनोद की शिनाख्त हुई, वह गायब हो गया. डीएसपी तुलसीदास राजपुरोहित ने बताया कि दीपक शराब तस्कर है. उस पर अजमेर के थाना गांधीनगर में एक हिस्ट्रीशीटर श्रवण सांसी की हत्या का आरोप है. पूछताछ में इंदुबाला ने पुलिस को बताया था कि दीपक के पास हमेशा 3-4 हथियार रहते हैं.
बहरहाल, जिस तरह हथियारों की फोटो दीपक चौधरी उर्फ दीपक मलिक ने फेसबुक पर डाली है, उस से यही लगता है कि वह किसी बड़े गिरोह से जुड़ा है. उसे महंगी पिस्तौलें रखने का शौक है. उस ने कई हथियारों के साथ अपनी फोटो फेसबुक पर डाल रखी हैं. सनकी आशिक और आपराधिक छवि वाला दीपक लग्जरी कारों का भी शौकीन है. उस के कुछ महंगी कारों के साथ फोटो भी हैं.
पुलिस दीपक को गिरफ्तार करने के लिए दिनरात एक किए हुए है, लेकिन कथा लिखे जाने तक उस की परछाईं तक नहीं देख पाई थी. यही नहीं, इंदुबाला के गिरफ्तार किए जाने के बाद वह सोशल मीडिया के जरिए पुलिस वालों को धमकी पर धमकी दे रहा है.
खैर, बकरे की मां कब तक खैर मनाएगी. एक न एक दिन उसे हलाल होना ही है. कभी न कभी तो दीपक पकड़ा ही जाएगा.
कानून को खुली चुनौती दे कर वह पुलिस के लिए सिरदर्द जरूर बन गया है. कथा लिखे जाने तक इंदुबाला जेल में बंद थी. उस की जमानत नहीं हुई थी. दीपक फरार चल रहा था.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित