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सौजन्य: सत्यकथा

दोनों के दिल एकदूसरे के लिए धड़के तो नजदीकियां खुदबखुद बन गईं. इस के बाद दीपक शिवगोविंद की गैरमौजूदगी में रीता से मिलने आने लगा. रीता को उस का आना और उस के साथ लच्छेदार बातें करना अच्छा लगता था. जल्द ही वे एकदूसरे से खुल गए और हंसीमजाक होने लगा.

एक रोज दोपहर में दीपक आया. रीता ने उकसाया तो उस दिन दोनों के बीच की हर दीवार टूट गई और अवैध संबंधों का रिश्ता बन गया.

पति का दोस्त बन गया मीत

उस दिन के बाद रीता और दीपक अकसर देहसुख प्राप्त करने लगे. दीपक ऐसे समय आता, जब शिवगोविंद घर पर नहीं होता. सूने घर में दोनों खूब रंगरलियां मनाते. कभीकभी तो रीता स्वयं ही फोन कर लल्ला को बुला लेती. फिर दो शरीर एक हो जाते.

लेकिन ऐसे संबंध छिपाए नहीं छिपते. धीरेधीरे गांव में रीता और दीपक के संबंधों की चर्चा होने लगी.

रीता के पति शिवगोविंद यादव को जब रीता और दीपक के संबंधों के बारे में पता चला तो उस के पैरों तले से जमीन खिसक गई. उस ने इस बारे में पत्नी व दोस्त से बात की तो दोनों ने साफ कह दिया कि ऐसी कोई बात नहीं है.

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लेकिन एक रोज जब उस ने अचानक दोनों को हंसीठिठोली करते देख लिया, तो उस ने रीता की पिटाई की तथा दीपक उर्फ लल्ला को भी फटकारा. पर उन दोनों पर इस का कोई असर नहीं हुआ. दोनों पहले की तरह मौजमस्ती करते रहे.

इस के बाद तो यह रवैया ही बन गया. जिस दिन शिवगोविंद को पता चलता कि दीपक उर्फ लल्ला उस के घर आया था, उस दिन वह रीता से मारपीट करता.

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