सौजन्य : सत्यकथा
इसी कबरई थाने में एक अन्य मुकदमा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम एक्ट की धारा 7,13 के तहत दर्ज किया गया. इस में आरोपी मणिलाल पाटीदार, इंसपेक्टर देवेंद्र शुक्ला, राकेश कुमार सरोज, राजू सिंह, सिपाही अरुण यादव व राजकुमार (सभी निलंबित) को आरोपी बनाया गया. भ्रष्टाचार की जांच एसपी (विजिलेंस) हरदयाल सिंह को सौंपी गई.
मुकदमा दर्ज होते ही सभी आरोपी फरार हो गए. पुलिस दबिश देने गई तो उन के घरों पर ताले लटके मिले. उधर मणिलाल पाटीदार कोरोना पौजिटिव होने का बहाना कर कहीं जा कर छिप गए थे. कोरोना पौजिटिव की जानकारी उन के वकील मुकुल ने जांच अधिकारी को दी थी. लेकिन वे कहां क्वारंटीन थे, इस की जानकारी वे भी नहीं दे सके.
क्रशर व्यापारी इंद्रकांत 4 दिन तक कानपुर के रीजेंसी अस्पताल में जिंदगी और मौत से जूझते रहे. आखिर 13 सितंबर को उन की मौत हो गई. उन की मौत की खबर कबरई कस्बा पहुंची तो सनसनी फैल गई. व्यापारी सड़क पर उतर आए और प्रदर्शन करने लगे. सुरक्षा की दृष्टि से कबरई में पुलिस व पीएसी लगा दी गई.
मृतक इंद्रकांत के पार्टनर पुरुषोत्तम तथा बालकिशन को एएसपी विनोद कुमार ने हिरासत में ले लिया. कानपुर में पोस्टमार्टम के बाद इंद्रकांत के शव को कड़ी पुलिस सुरक्षा में कबरई लाया गया और अंतिम संस्कार कराया गया.
क्रशर व्यापारी इंद्रकांत की मौत के बाद राजनीतिक भूचाल आ गया. सपा, कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश सरकार को कानून व्यवस्था पर घेरा तो सरकार तिलमिला उठी.
विपक्षी नेता सहानुभूति जताने मृतक के घर को रवाना हुए तो उन्हें सुरक्षा का हवाला दे कर रास्ते में ही रोक दिया गया और मृतक के घर तक नहीं पहुंचने दिया गया. इसे ले कर पुलिस से उन की झड़प भी हुई.