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सौजन्य : सत्यकथा

उत्तर प्रदेश का महोबा शहर कई मायनों में पूरे भारत में चर्चित है. यह शहर जहां वीर योद्धा आल्हाऊदल की कर्मभूमि रहा, जिन्होंने अपनी वीरता से 52 किलों को फतह किया था, तो दूसरी तरफ यह शहर प्राकृतिक संपदा से भी परिपूर्ण है. यहां के पहाड़ों से निकला ग्रेनाइट पत्थर दूरदूर तक प्रसिद्ध है. महोबा जिले का मुख्य व्यवसाय पत्थर गिट्टी है. जो सड़क व भवन निर्माण में काम आता है.

महोबा जिले का एक व्यवसायिक कस्बा है कबरई. इस कस्बे को स्टोन सिटी के नाम से भी जाना जाता है. कस्बे के बाहर दर्जनों क्रशर कारखाने हैं, जहां पत्थर से गिट्टी बनाई जाती है. पहाड़ तोड़ने का ठेका लेने वाले ठेकेदारों और क्रशर संचालकों का पुलिस के साथ चोलीदामन का साथ रहता है.

क्रशर संचालकों की कई कमजोरियां है. पुलिस इन का भरपूर फायदा उठाती है. कबरई की पत्थर मंडी और क्रशर कारखाने पूरे प्रदेश में अव्वल माने जाते हैं.

कबरई मंडी से रोजाना पूरे प्रदेश के विभिन्न शहरों में गिट्टी के सैकड़ों ट्रक जाते है. गिट्टी की रायल्टी दर 160 रुपया घन मीटर है. क्रशर संचालकों की पुलिस से सांठगांठ इसलिए मजबूरी है कि ट्रक में 12 से 14 घन मीटर तक की गिट्टी भरने का खन्ना जारी होता है, जबकि ट्रकों में इस से 2 गुना 30 घन मीटर तक गिट्टी लोड की जाती है. ऐसे में पुलिस ओवरलोड ट्रकों को रोक कर चालान कर सकती है, जो होते नहीं हैं, पैसे से काम चल जाता है.

अधिकांश क्रशर संचालक ही पहाड़ों के पट्टे लेते हैं. पहाड़ों में चट्टान तोड़ने के लिए विस्फोट का लाइसैंस कम क्षमता का होता है, लेकिन विस्फोट कई गुना ज्यादा करते हैं.

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