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सौजन्य:  मनोहर कहानियां

हत्या का हुआ खुलासा

मामला चूंकि अब राजनीतिक रंग लेने लगा था और पुलिस की मुश्किल यह थी कि पीडि़त परिवार जो राजनीतिक रूप से काफी प्रभावशाली था. उसी परिवार में एक दूसरे पर आरोपप्रत्यारोप लगने शुरू हो गए थे. इसलिए एसएसपी ने इस मामले में सभी टीमों को निर्देश दिया कि कातिलों पर हाथ डालने से पहले वे बेहद सावधानी से पुख्ता सबूत एकत्र कर लें और जांच की प्रक्रिया को पूरी तरह गोपनीय रखें.

इसी बीच सिहानी गेट पुलिस टीम के साथ कुछ महत्त्वपूर्ण सुराग लगे और उस ने 18 नवंबर को अचानक नरेश त्यागी की हत्या का खुलासा करते हुए हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र त्यागी को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस का कहना था कि विधायक के बड़े भाई गिरीश त्यागी और हिंदू युवा वाहिनी के पूर्व जिलाध्यक्ष जितेंद्र त्यागी ने घटना से 2 महीने पहले नरेश त्यागी की हत्या की रूपरेखा तैयार कर ली थी.

हालांकि पुलिस ने 18 नवंबर को भाड़े के हत्यारों और हत्या के मकसद के बारे में विस्तार से तो कुछ नहीं बताया, जिस के बाद इस बात के कयास व आरोप लगाए जाने लगे कि कहीं किसी दबाव में तो पुलिस ने बेगुनाहों को बलि का बकरा नहीं बना दिया.

लेकिन 2 दिन बाद ही पुलिस ने इस मामले में जब 3 अन्य लोगों की गिरफ्तारी की तो सारे कयास व आरोप निराधार साबित हो गए.

पुलिस ने विपिन शर्मा निवासी सौंदा रोड, मोदीनगर व हाल निवासी न्यू अशोक नगर दिल्ली, अर्पण चौधरी निवासी गांव खुशहाल, बुलंदशहर और मनोज कुमार निवासी सद्दीक नगर, थाना सिहानी गेट को गिरफ्तार किया. उन के कब्जे से .30 बोर का एक पिस्तौल तथा 315 बोर का कारतूसों के साथ एक तमंचा बरामद किया गया.

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