कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

सौजन्य- सत्यकथा

पवन ने 2018 में हरियाणा के शहर पानीपत की शिवनगर कालोनी में 5 लाख रुपए में एक मकान खरीदा था. इस से पहले वह अपने परिवार के साथ पानीपत की ही शुगर मिल कालोनी के क्वार्टर में किराए पर रहता था.

पवन ने यह मकान ढाई साल पहले खरीदा था, लेकिन उस में उस ने वहां कोई मरम्मत का काम नहीं करवाया था.

मकान के बाहरी हिस्से में स्थित दालान के एक कोने में छोटी लाल चींटियों ने फर्श में सुराख बना दिए थे. उन्हीं सुराखों के रास्ते बहुत दिनों से फर्श के भीतर बड़ी तादाद में चींटियों का आनाजाना लगा था. यह देख कर पवन और उस की पत्नी बबीता को कुछ अजीब सा लगता था, लेकिन दोनों उस पर ज्यादा माथापच्ची नहीं करते थे.

बात यहीं पर खत्म हो गई, ऐसा नहीं था. दालान वाले फर्श पर जब कभी भी कोई वजनदार चीज गिरती थी तो छन्न की आवाज होती थी. पता नहीं क्यों दोनों को ऐसा लगता था जैसे फर्श के नीचे खोखला हो. एक दिन बबीता पति से बोली, ‘‘देखो जी, चींटियों का सिलसिला तो खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है. पता नहीं कहां से आती हैं और कहां जाती हैं.’’

‘‘कह तो तुम ठीक रही हो बबीता. मैं भी कई दिनों से चींटियों का नजारा देख रहा हूं. इन की लाइन टूटने का नाम ही नहीं ले रही है.’’ पवन ने कहा.

‘‘सच कह रहे हो आप. मैं तो कहती हूं कि किसी राजमिस्त्री को बुला कर फर्श दिखा देते हैं कि ऐसा क्यों होता है.’’ पत्नी ने सुझाव दिया.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...