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सौजन्य- सत्यकथा

अहसान पूरी तरह आश्वस्त हो गया कि वे गहरी नींद में गए हैं. फिर क्या था, यही सही मौका था उसे अपने मंसूबों को अंजाम देने का. उस ने पहले पत्नी नाजनीन, उस के बाद सोहेल और अंत में साजिद की गला घोंट कर हत्या कर दी और धारदार चाकू से तीनों का गला रेत दिया और एक कमरे में तीनों की लाशें रख कर दरवाजे पर बाहर से ताला जड़ दिया ताकि उस कमरे में कोई और न जा सके.

अगले दिन शहर से एक मजदूर बुला कर अहसान ने मकान के बाहरी दालान में सैफ्टी टैंक बनवाने के लिए एक बड़ा और गहरा गड्ढा खुदवाया. फिर रात में तीनों लाशें बारीबारी से उस में डाल दीं.

सबूत मिटाने के लिए उस ने हत्या में प्रयुक्त आलाकत्ल चाकू भी उसी गड्ढे में डाल दिया. उस के बाद ऊपर से मिट्टी डाल कर उन्हें दफना दिया. फिर मिट्टी के ऊपर सीमेंट का घोल फैला कर रातोंरात उस पर पक्का फर्श तैयार कर दिया और चैन की नींद सो गया.

पड़ोसी जब कभी अहसान से उस की पत्नी और बेटों के बारे में पूछते तो वह बहाना बना कर कर कह देता कि पत्नी बेटों के साथ जगदीश नगर में किराए के कमरे में रहती है. मैं भी कभीकभी रात में वहीं रुक जाया करता हूं.

नाजनीन और उस के दोनों बेटों सोहेल और साजिद की हत्या किए एक साल बीत गया था. साल 2017 में अहसान की पहली पत्नी नूरजहां छोटे बेटे शाकिर के साथ पानीपत एक रिश्तेदार के यहां शादी में आई तो पति से मिलने शिवनगर कालोनी भी आई.

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