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सौजन्य- मनोहर कहानियां

लेखक- सुनील वर्मा

लेकिन बृजेश सिंह ने जब मुंबई के जेजे अस्पताल में एक बड़ा गोलीकांड किया तो वह पूर्वाचंल के सब से खतरनाक माफिया डौन के रूप में स्थापित हो गया.

दरअसल, सितंबर 1992 की एक रात 20 से ज्यादा लोग डाक्टर के लिबास में अचानक बंबई (मुंबई) के जेजे अस्पताल के वार्ड नंबर 18 में घुस आए और बिस्तर पर लेटे शैलेश हलदरकर को गोलियों से छलनी कर दिया. हलदरकर बंबई के अरुण गवली गैंग का सदस्य था और उस की हत्या दाऊद इब्राहीम के रिश्तेदार इस्माइल पारकर की हत्या का बदला लेने के लिए उसी के इशारे पर की गई थी.

इस घटना में वार्ड की पहरेदारी कर रहे मुंबई पुलिस के 2 हवलदार भी मारे गए थे. जेजे अस्पताल शूटआउट में पहली बार एके 47 का इस्तेमाल कर 500 से ज्यादा गोलियां चलाई गई थीं.

यह सवाल जेहन में उठना लाजिमी है कि पूर्वांचल का एक डौन आखिर मुंबई कैसे पहुंचा और उस की दोस्ती आज एक अंतरराष्ट्रीय अपराधी के रूप में कुख्यात दाऊद इब्राहीम से कैसे हो गई.

दाऊद से हुई दोस्ती

हुआ यूं कि 90 के दशक में जब बृजेश सिंह मुख्तार अंसारी के गैंग पर हमले के बाद छिपता फिर रहा था तो वह पुलिस और मुख्तार के गैंग से बचने के लिए मुंबई चला गया. मुंबई में उस की दाऊद के करीबी सुभाष ठाकुर से मुलाकात हुई. सुभाष के माध्यम से वह दाऊद से मिला. दाऊद के जीजा इब्राहिम कासकर की हत्या हो चुकी थी. दाऊद उस का बदला लेने के लिए कसमसा रहा था. उस ने सुभाष ठाकुर को इस की सुपारी दे दी.

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