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सौजन्य- मनोहर कहानियां

राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद का वसुंधरा इलाका नवधनाढ्यों का ऐसा इलाका है, जहां देश के सभी प्रांतों एवं धर्मों के लोग रहते हैं. दिल्ली व आसपास के इलाकों में सरकारी, गैरसरकारी संस्थानों में काम करने वालों से ले कर कारखानों में काम करने वाले श्रमिकों से ले कर छोटेबड़े कारोबारी तक इस इलाके में रहते हैं.

मूलरूप से ओडिशा के जगतसिंहपुर के गांव अछिंदा का रहने वाला मनोज उर्फ मनोरंजन 1999 में नई विकसित वसुंधरा कालोनी में रोजीरोटी की तलाश में आया था.

वसुंधरा इलाके में ओडिशा के कुछ लोग पहले से रहते थे. मनोरंजन फोटोग्राफी का काम जानता था. इसलिए उस ने अपने परिचितों की मदद से एक फोटोग्राफर की दुकान पर नौकरी कर ली.

कुछ महीनों में जब वह काम में पारंगत हो गया तो इलाके में कुछ लोगों से उस की जानपहचान हो गई तो उस ने वसुंधरा के सेक्टर-15 में एक दुकान किराए पर ले कर फोटो स्टूडियो खोल लिया.

संयोग से काम भी ठीक चलने लगा. चेहरे पर भोली मुसकान और बातचीत में बेहद सरल और विनम्र स्वभाव के मनोरंजन का काम उस की मेहनत और लगन के कारण जल्द ही चल निकला. मनोरंजन उर्फ मनोज तिवारी जाति से ही ब्राह्मण नहीं था, बल्कि कर्म से भी वह ब्राह्मण ही था. माथे पर तिलक सदकर्मों के कारण क्षेत्र के लोग उसे पंडितजी के नाम से पुकारने लगे.

मनोरंजन के पिता भी ओडिशा में पंडिताई का काम करते हैं. बड़ी बहन की शादी हो चुकी थी. गांव में अब मातापिता ही रहते हैं. 3-4 साल में उस का कामधंधा ठीकठाक चलने लगा. खूब पैसा कमाने लगा था. वसुंधरा सैक्टर 15 में ही मनोरंजन ने रहने के लिए एक अच्छा फ्लैट भी किराए पर ले लिया.

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