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सौजन्य-  सत्यकथा

इधर वीरेंद्र ने अपने व वर्षा के प्रेम संबंधों की जानकारी मां को दी तो सरस्वती भड़क उठी. उस ने वीरेंद्र से साफ कह दिया कि वह बिनब्याही लड़की को घर में नहीं रख सकती. उस ने कोई बवाल कर दिया तो हम सब फंस जाएंगे. बदनामी भी होगी.

इस पर वीरेंद्र ने मां को समझाया कि वे दोनों एकदूसरे से प्रेम करते हैं. 6 महीने बीतते ही शादी कर लेंगे. वर्षा के घर वालों को भी साथ रहने में कोई ऐतराज नहीं है. इस बीच हम लोग वर्षा को परख भी लेंगे कि वह घर की बहू बनने लायक है भी या नहीं.

सरस्वती देवी का मन तो नहीं था, लेकिन बेटे के समझाने पर वह राजी हो गई.

इस के बाद वीरेंद्र ने 5 जून, 2020 को वर्षा को राठ स्थित शीतला माता मंदिर बुला लिया. यहां उस ने उस की मांग में सिंदूर लगाया. फिर उसे अपने घर ले आया. सरस्वती ने आधेअधूरे मन से बिनब्याही दुलहन का स्वागत किया और घर में पनाह दे दी.

वर्षा महीने भर तो मर्यादा में रही, उस के बाद रंग दिखाने लगी. वह न तो घर का काम करती और न ही खाना बनाती. सरस्वती देवी उस से कुछ कहती तो वह उसे खरीखोटी सुना देती. देवर अनिल के साथ भी वह दुर्व्यवहार करती. पति वीरेंद्र को भी उस ने अंगुलियों पर नचाना शुरू कर दिया. वर्षा मनमानी करने लगी तो घर में कलह होने लगी.

कलह का पहला कारण यह था कि वर्षा को संयुक्त परिवार पसंद नहीं था. वह सास देवर के साथ नहीं रहना चाहती थी. कलह का दूसरा कारण उस की स्वच्छंदता थी. जबकि सरस्वती देवी चाहती थी कि वर्षा मर्यादा में रहे.

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