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2 बच्चों की मां होने के बाद भी सरस्वती पति महेश के दोस्त संजय से अवैध संबंध बना कर जिंदगी के मजे ले रही थी. इसी दौरान संजय ने मोबाइल फोन से अंतरंग क्षणों की वीडियो भी बना ली. यही वीडियो बाद में ऐसा जलजला बनी कि…

2अगस्त, 2022 की रात के कोई डेढ़ बजे का वक्त रहा होगा. गांव के सभी लोग गहरी नींद में सोए हुए थे.

सरस्वती अपने घर के आंगन में अकेली ही सो रही थी. उसे अकेला सोता देख एक व्यक्ति घर में घुस आया और उस पर चाकू से हमला बोल दिया.

सरस्वती की चीखपुकार सुन कर घर के अंदर सो रहे उस के भाईबहन जाग गए. उन्होंने बाहर आ कर देखा तो वहां पर एक व्यक्ति सरस्वती पर चाकू से वार कर रहा था.

यह सब देखते ही घर में चीखपुकार मच गई. फिर भी उस के भाईबहनों ने हिम्मत जुटा कर चारों ओर से घेराबंदी करते हुए युवक को दबोच लिया. तब तक गांव के लोग भी वहां पर इकट्ठा हो गए थे. उस युवक का नाम संजय था, जो पास के गांव शादीनगर हजीरा का रहने वाला था और सरस्वती के पति महेश के साथ ही काम करता था.

घर वालों ने सरस्वती की हालत देखी तो उन का गुस्सा फूट पड़ा. उन्होंने आरोपी संजय की खूब पिटाई की, जिस के कारण वह भी गंभीर रूप से घायल हो गया.

उसी समय मिलक थाने में फोन कर के घटना की जानकारी दे दी गई. वारदात की सूचना पा कर तुरंत ही थानाप्रभारी सत्येंद्र कुमार सिंह पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

पुलिस ने सरस्वती और हमलावर दोनों की हालत बिगड़ती देख उन्हें मिलक के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए भेज दिया, जहां पर डाक्टरों ने चैकअप करने के बाद दोनों की नाजुक हालत देख जिला अस्पताल, रामपुर के लिए रेफर कर दिया था.

रास्ते में ही सरस्वती की हालत बिगड़ती जा रही थी और अस्पताल पहुंचने से पहले ही उस की मौत हो गई. जिला अस्पताल में सरस्वती को देखते ही डाक्टरों ने मृत घोषित कर दिया था. जबकि आरोपी व्यक्ति को इलाज के लिए भरती कर लिया था. इस घटना की सूचना मिलते ही रामपुर के एडिशनल एसपी डा. संसार सिंह व सीओ धर्म सिंह मर्छाल भी घटनास्थल पर पहुंच गए.

मौकामुआयना करने के बाद वह जिला अस्पताल पहुंच गए. उन्होंने मृतका के घर वालों से इस बारे में जानकारी ली.

संजय ने सरस्वती की हत्या क्यों की? यह तो केवल संजय जानता था या फिर मृतका सरस्वती. जबकि आरोपी संजय की उस समय नाजुक हालत बनी हुई थी. पुलिस इस केस की हकीकत जानने के लिए संजय के सही होने का इंतजार करने लगी थी.

5 अगस्त, 2022 को संजय की हालत में कुछ सुधार हुआ तो पुलिस उसे पूछताछ के लिए मिलक थाने ले आई थी. थाने लाने के बाद पुलिस ने उस से पूछताछ की तो उस ने जो जानकारी पुलिस को दी. उस से एक जुनूनी प्रेम कहानी उभर कर सामने आई.

उत्तर प्रदेश के जिला रामपुर के थाना मिलक अंतर्गत एक गांव है खाता चिंतामन. इसी गांव में रहता था नत्थूलाल का परिवार. नत्थूलाल के परिवार की आजीविका का साधन मात्र मेहनतमजदूरी करना था. उस के परिवार में उस की बीवी और बच्चों को मिला कर कुल 8 सदस्य थे, जिन में 3 बेटे और 3 ही बेटियां थीं.

नत्थूलाल ने अपने बच्चों के जवान होते ही 2 बेटों सोनू और शीशपाल की पहले ही शादी कर दी थी. शीशपाल की शादी के बाद सरस्वती का ही नंबर था. सरस्वती ने जैसे ही जवानी की दहलीज पर कदम रखा, नत्थूलाल को उस की शादी की चिंता भी सताने लगी थी.

सरस्वती देखनेभालने में सुंदर थी. जैसेजैसे जवानी उस पर हावी होती गई, उस के रंगरूप में निखार बढ़ता ही जा रहा था. जिस के कारण उस के गांव के कई लड़कों की उस पर ललचाई नजर जमी रहती थी. नत्थूलाल अपने गांव का माहौल ठीक से जानता था, इसलिए गांव के हालात देखते हुए ही उस ने समय से पहले अपनी बेटी की शादी करने की ठानी और उस के योग्य वर की तलाश भी शुरू कर दी.

उसी दौरान एक दिन उस की मुलाकात बाजपुर थाने के जोगीपुर निवासी कपिल से हुई. बातों ही बातों में शादी की बात चली तो कपिल ने उस की बेटी सरस्वती के लिए एक लड़का बताया. वह लड़का उस के गांव के ही रहने वाले रमेशलाल का बेटा महेश था.

कपिल ने उस के परिवार की तारीफ करते हुए बताया कि उन की बेटी उस परिवार में जा कर खुश रहेगी. रमेशलाल कपिल के पड़ोसी थे और वह उस के परिवार के बारे में ठीक से जानते थे. हालांकि रमेशलाल के पास अपनी जुतासे की जमीन नहीं थी. लेकिन उन का

परिवार मेहनतमजदूरी करने के बाद भी खुशहाल था.

शादी की बात चलते ही नत्थूलाल ने कपिल के गांव जा कर महेश पर नजर डाली. नजर डालते ही उन्होंने महेश को सरस्वती के लिए चुन लिया. फिर शादी की बात पक्की होते ही दोनों परिवार वालों ने शादी की तैयारियां भी शुरू कर दी थीं.

शादी का दिन रखा गया 9 मार्च, 2015. दोनों तरफ से शादी की तैयारियां पूरी होते ही विधिविधान से उन की शादी भी हो गई. महेश के साथ सात फेरे ले कर सरस्वती दुलहन बन कर उस के घर चली आई थी.

सरस्वती के साथ शादी करने के बाद महेश तो खुश था ही, साथ ही उस के घर वाले भी उस की तारीफ करते नहीं थकते थे. सरस्वती जितना ध्यान महेश का रखती थी, उस से कहीं ज्यादा उस के परिवार का भी रखती थी. इसी वजह से वह जल्दी ही अपने ससुराल वालों की चहेती बन गई थी.

महेश भले ही मजदूरी करता था, लेकिन कभी भी सरस्वती के खर्च में उस ने कमी नहीं आने दी थी. वह उस के हर शौक पूरे करता था. सरस्वती को अच्छा पहननेओढ़ने का बड़ा शौक था, जिस का महेश हमेशा ध्यान रखता था.

समय के साथ सरस्वती 2 बेटों की मां बन गई थी. जिस से उस के परिवार में और भी खुशहाली आ गई थी. उसी समय महेश में एक बुरी लत लग गई. उसे शराब पीने का चस्का लग गया.

इस के बाद वह अपनी कमाई का आधे से ज्यादा हिस्सा शराब पीने में खर्च करने लगा था, जिस के कारण उस

के घर की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने

लगी थी.

उस की बुरी लत को देखते हुए उस के मातापिता ने उसे समझाने की कोशिश की. लेकिन महेश को उन की नसीहत काट खाने को दौड़ने लगी थी. उस की हरकतों से आजिज आ कर आखिर उस के परिवार वालों ने उसे अलग कर दिया. परिवार वालों से अलग हो कर वह एक कमरे में ही रहने लगा. उस का खानापीना भी अलग ही बनने लगा था.

महेश के घर में सब कुछ सामान्य चल रहा था. लेकिन उस की थोड़ी सी गलती के कारण सरस्वती को परिवार वालों ने अलग कर दिया था. उस की उसी कमी के कारण पतिपत्नी में अनबन रहने लगी थी.

कपिल ने ही सरस्वती की शादी कराई थी. इसलिए उस ने कई बार कपिल से महेश की शिकायत की. लेकिन वह उस की बात भी मानने को तैयार न था.

उसी दौरान एक दिन थाना मिलकखानम क्षेत्र के शादीपुर हजीरा निवासी कपिल का साला संजय आया हुआ था. उस समय सरस्वती भी कपिल के घर गई हुई थी. उसी दौरान संजय को पता चला कि वह उसी के थाना क्षेत्र की रहने वाली है. यह बात संजय ने सरस्वती को बताई तो बह बहुत ही खुश हुई.

संजय अभी कुंवारा था. सरस्वती जब तक उस के पास रही, उसी के साथ बतियाती रही. उस के बाद जब वह जाने लगी तो संजय को बुला कर अपने घर ले गई. उस वक्त महेश घर से बाहर था. सरस्वती को अकेला पा कर संजय ने उस दिन महेश और सरस्वती के बीच चल रही सारी बातें खंगाल ली थीं. उस के बाद महेश ने उस का मोबाइल नंबर भी ले लिया था.

संजय जब तक कपिल के घर रहा, वह उस से मिलता रहा. लेकिन वहां से चले जाने के बाद भी वह अकसर उस से मोबाइल पर बात करता रहता था. सरस्वती देखने में सुंदर और बोलनेचालने में तेजतर्रार थी. संजय ने पहली मुलाकात में ही उसे अपने दिल में जगह दे दी थी.

संजय भी महेश की तरह ही मजदूर था. लेकिन अंतर इतना था कि महेश अनपढ़ सीधासादा और दारूबाज था. उस की बीवी हर वक्त बनठन कर रहती थी. लेकिन कभी भी उस ने उस के हुस्न की तारीफ नहीं की थी.

हालांकि शादी से 2 बच्चे होने तक वह उस के साथ खुश थी. लेकिन जब से उस की मुलाकात संजय से हुई थी, तब से महेश के प्रति उस के दिल में कुछ तीखापन आ गया था. उसे बाहर की हवा लगी तो उस का मन संजय के साथ हवाई उड़ान भरने लगा था.

 

संजय मुरादाबाद के पास कस्बा पाकबड़ा में ईंटभट्ठे पर काम करता था. वहां पर उसे अच्छी मजदूरी मिल जाती थी. लेकिन सरस्वती से मिलने के बाद उस का मन भी वहां से उचट गया था. फिर वह कुछ दिन काम करने के बाद सीधा अमरोहा जिले में स्थित जोगीपुरा गांव में अपनी बहन संतोष देवी के पास चला जाता था.

जोगीपुरा जाने के बाद वह अपनी बहन के घर कम सरस्वती के पास ज्यादा रहता था. उस का मन करता कि सरस्वती हर वक्त उस की आंखों के सामने ही रहे. संजय महेश की हर समय नशे में रहने वाली कमजोरी जान चुका था.

संजय ने उस की उसी कमी का लाभ उठाते हुए उस पर भी अपना विश्वास जमा लिया था. वह हर वक्त उस के साथ ही रहने लगा. धीरेधीरे दोनों के बीच पक्की दोस्ती हो गई. संजय अपनी मंजिल की ओर आसानी से जाने के लिए उसे शराब भी पिलाने लगा था.

महेश के साथ दोस्ती करने के बाद संजय ने एक योजना बनाई. उस ने सोचा कि किसी तरह से महेश उस के साथ ईंट भट्ठे पर काम करने के लिए तैयार हो जाए तो उसे सरस्वती को ले जाने में कोई परेशानी नहीं होगी.

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