कहानी के बाकी भाग पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

संजय ने भट्ठे पर काम करने की योजना महेश के सामने रखी तो वह तुरंत ही तैयार हो गया. संजय महेश को ले कर सीधा पाकबड़ा के भट्ठे पर पहुंचा. वह उसी भट्ठे पर काम करता था. महेश ने वहां पर काम करना शुरू किया तो वहां पर उसे अच्छी आमदनी होने लगी. भट्ठे का काम भी पंसद आ गया था.

संजय भट्ठे पर बने एक कच्चे कमरे में ही रहता था. भट्ठा मालिक ने पहले ही मजदूरों के लिए कई कमरे बना रखे थे. महेश को काम पसंद आते ही संजय ने उसे अपने बगल वाला कमरा दिला दिया था.

भट्ठे पर काम करने में महेश का मन लग गया था. आमदनी भी अच्छी थी. लेकिन सारा दिन काम करने के बाद जब उसे शाम को खाना बनाना पड़ता था, उस से वह तंग आ गया था. इसी परेशानी को देखते हुए महेश ने सरस्वती को लाने का प्लान बनाया और एक दिन जा कर उसे साथ बुला लाया.

सरस्वती के वहां आते ही संजय की बांछें खिल गईं. उस की मन की सारी मुरादें पूरी हो गई थीं. महेश को भट्ठे पर लाने का उस का जो प्लान था, वह पूरा हो गया था.

 

सरस्वती भट्ठे पर आ कर अपने परिवार के साथसाथ संजय के लिए भी खाना बनाने लगी थी. खाना बनाने के साथसाथ वह महेश के काम में भी हाथ बंटा देती थी, जिस के कारण संजय का सारा दिन हंसीखुशी से गुजरता था. भले ही महेश को सारा दिन काम करने के बाद थकान हो जाती थी, लेकिन सरस्वती के सामने होते संजय की एनर्जी भी बढ़ जाती थी.

आगे की कहानी पढ़ने के लिए सब्सक्राइब करें

डिजिटल + 24 प्रिंट मैगजीन

(1 साल)
USD10
 
सब्सक्राइब करें

डिजिटल

(1 महीना)
USD2
 
सब्सक्राइब करें
और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...