सौजन्य- मनोहर कहानियां
रामकरण जांगिड़ ने मैनपावर मुहैया कराने, सुरंग खोदने, कटर व ग्राइंडर से लोहे का बक्सा काटने और चांदी की सिल्लियां निकाल कर शेखर व जतिन की कार में रखवाने के बदले साढ़े 5 लाख रुपए लिए थे.
बनवारी लाल जांगिड़ ने पुलिस को बताया कि मकान की डील में तय हुआ था कि शेखर जब कहेगा, तब वह मकान उस के नाम कर देगा और शेखर इस के बदले उसे 15 लाख रुपए देगा. इस के अलावा चांदी में हिस्सेदारी की बात भी तय हुई थी.
पुलिस ने भले ही इस मामले में 10 आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया था, लेकिन चांदी चोरी के मास्टरमाइंड शेखर अग्रवाल और जतिन जैन फरार थे. चोरी गई चांदी की 30 सिल्लियों में से एक टुकड़ा भी बरामद नहीं हो पाया था. इस से जयपुर कमिश्नरेट पुलिस विवादों में आ गई.
आरोप यह भी लगा कि शेखर के सब से विश्वस्त केदार जाट और कालूराम सैनी ने उन ज्वैलर्स के नाम पुलिस को बताए थे, जिन्हें चांदी की सिल्लियां बेची गई थीं. पुलिस ने कई ज्वैलरों को पूछताछ के लिए बुलाया जरूर, लेकिन गिरफ्तारी किसी की नहीं की गई. चांदी की 3 सिल्लियां बरामद होने की चर्चा भी रही, लेकिन पुलिस इस से इनकार करती रही.
कहा यह भी जा रहा है कि बनवारी लाल जांगिड़ को पुलिस ने 25 फरवरी को ही हिरासत में ले लिया था. उस ने शेखर अग्रवाल का सारा भांडा भी फोड़ दिया था. लेकिन पुलिस ने उसे गिरफ्तार नहीं किया. इस से उसे फरार होने का मौका मिल गया. हालांकि पुलिस ने शेखर का पासपोर्ट जब्त कर लिया है.
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