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सौजन्य- सत्यकथा

मध्य प्रदेश का एक चर्चित शहर है शहडोल. इसी शहर में नीरज कटारे अपने परिवार के साथ रहते थे. उन के परिवार में पत्नी अर्चना के अलावा 2 बेटे अमन, अनंत तथा एक बेटी आरजू थी. नीरज कटारे ईंट कारोबारी थे. शहर में उन का आलीशान मकान था और उन की आर्थिक स्थिति मजबूत थी. शहर के व्यापारियों में उन की अच्छी प्रतिष्ठा थी. वह गहोई समाज से ताल्लुक रखते थे.

नीरज की बेटी आरजू 2 भाइयों के बीच एकलौती बहन थी, सो घरपरिवार सभी की दुलारी थी. अर्चना व नीरज आरजू को बेहद प्यार करते थे और उस की हर ख्वाहिश पूरी करते थे.

आरजू बचपन से ही खूबसूरत थी. जब उस ने युवावस्था में कदम रखा तो उस की सुंदरता में और भी निखार आ गया. वह जितनी खूबसूरत थी, उतनी ही पढ़नेलिखने में भी तेज थी. उस ने अपनी मेहनत और लगन से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल कर ली थी और सौफ्टवेयर इंजीनियर के तौैर पर बेंगलुरु की एक निजी कंपनी में जौब करने  लगी थी.

हालांकि नीरज कटारे धनवान व्यापारी थे, आरजू को नौकरी की आवश्यकता नहीं थी, वह उसे अपने से दूर भी नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन बेटी की इच्छा का सम्मान करते हुए, उन्होंने आरजू को बेंगलुरुमें जौब करने की इजाजत दे दी थी.

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आरजू जब जौब करने लगी, तब नीरज कटारे को उस के ब्याह की चिंता सताने लगी. वह अपनी लाडली बेटी की शादी ऐसे घर में करना चाहते थे, जो संपन्न हो. घर में किसी चीज का अभाव न हो तथा लड़का भी आरजू के योग्य हो.

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