सौजन्य- सत्यकथा

चूंकि मृतका के मातापिता अब दहेज हत्या का आरोप लगा रहे थे और रिपोर्ट दर्ज करने की मांग कर रहे थे. अत: थानाप्रभारी सतीश कुमार सिंह ने मृतका के पिता नीरज कटारे की तरफ से भादंवि की धारा 498ए/304बी के तहत ससुरालीजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर जांच शुरू कर दी. अधिकारियों का आदेश था कि दोषियों को छोड़ा न जाए और निर्दोष को जेल न भेजा जाए.

दामाद की गिरफ्तारी के बाद अर्चना अपने पति नीरज कटारे के साथ थाना नौबस्ता पहुंचीं. वह रोते हुए कह रही थीं कि शादी में 28 लाख रुपया खर्च किया था. लेकिन लाल जोड़े में बेटी को 18 दिन भी न देख पाई. वह हवालात में बंद दामाद अमनदीप से एक ही बात पूछ रही थी कि उन की बेटी से कौन सी गलती हो गई जो उसे मार डाला. अगर दहेज की बात थी तो बताते, हम तुम सब लोगों को नोटों से तौल देते और अपनी बेटी की जान बचा लेते.

आरजू की हत्या की जांच सीओ (गोविंद नगर) विकास पांडेय को सौंपी गई थी. उन्होंने सब से पहले मृतका के पति अमनदीप से पूछताछ की. अमनदीप ने बताया कि उस ने अपनी मरजी से आरजू से शादी की थी. वह 38 लाख रुपया सालाना पैकेज पर कंपनी में काम कर रहा था. उस ने आरजू की हत्या नहीं की. दहेज की कोई मांग भी नहीं की थी.

इस पर थानाप्रभारी ने उस से पूछा कि अगर उस ने आरजू की हत्या नहीं की तो किस ने की, उसी का नाम बता दो. इस पर वह चुप्पी साध गया. बारबार कुरेदने पर भी कुछ जवाब नहीं दिया. उस से कई राउंड पूछताछ की गई, लेकिन उस का एक ही जवाब था, उस ने आरजू की हत्या नहीं की.

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