छत्तीसगढ़ मे कोरोना विषाणु कोविड 19 महामारी के इस समय काल में शराब की  जमीनी स्थिति बेहद चिंताजनक दिखाई दे रही है.  छतीसगढ मे इस भीषण लाॅक डाउन  में भी शराब की गंगा बह रही है! छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल की कांग्रेस सरकार शराबबंदी के मसले पर चारों तरफ से घिर गई है .क्योंकि भूपेश बघेल ने शराबबंदी के मुद्दे पर ही एक तरह से जनादेश हासिल किया था. मगर डेढ़ वर्ष व्यतीत हो जाने के बाद भी प्रदेश में शराब बंदी लागू नहीं की गई है  और जैसी परिस्थितियां दिख रही है ऐसा प्रतीत नहीं होता कि आने वाले समय में भूपेश बघेल सरकार छत्तीसगढ़ में बिहार की तर्ज पर शराबबंदी करेगी.

दृश्य एक-

एक हजार की कीमत का शराब लॉक डाउन के इस समय में तीन हजार में बिक रहा  है.

दृश्य  दो- 

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शराब खत्म हुआ जो 80 रुपये में बिकता था तीन सौ रुपए में गली-गली में बिक रहा  है.

दृश्य तीन-

भले आपको दूध, दही इस कोरोना महामारी के समय में ना मिले मगर शराब आप को बड़ी आसानी से उपलब्ध हो जाती है, कैसे?

कुल मिलाकर यह कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में महामारी के इस समय में भी शराब की गंगा बह रही है. जिम्मेदार अधिकारी जिनका काम कोरोना को  रोकना है वे ही शराब बिकवाते पकड़े जा रहे हैं.

भूपेश बघेल की भीष्म  प्रतिज्ञा

छत्तीसगढ़ में कभी शराब के कारण लोगों के बेवजह तबाह हो जाने की खबरें हत्या और लूट की खबरें सुर्खियों में रहती थी.यह कोरोना महामारी के कारण बेहद कम हो गयी है.

लेकिन लॉक डाउन के बाद से  इन विगत 28 दिनों में इस तरह की  घटनाएं सामने नहीं आ रही है.यहां तक कि घरेलू हिंसा के मामलों पर भी लगाम लगी है. लेकिन जैसे-जैसे लॉक डाउन-2 यानि 3 मई2020  की तारीख नजदीक आती जा रही है,  महिलाओं के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर रही हैं- भरी जवानी में जवान पुत्र या पति को खो देने का भय, मासूम खिलखिलाते बचपन को फिर रोज शराबी पिता के शाम को शराब पीकर घर आकर मारपीट करने, घर में कलह होने,राशन ना होने का भय सताने लगा है. और सवाल  यह उठ रहा है कि भूपेश बघेल की भीष्म  प्रतिज्ञा का क्या हुआ जो उन्होंने विधानसभा चुनाव के पूर्व उठाई थी यानी छत्तीसगढ़ में शराबबंदी.

कारण विगत छत्तीसगढ़ में 28 दिनों से शराब दुकानें बंद हैं.इससे प्रदेश के प्रत्येक घर परिवार में खुशहाली का वातावरण नजर आ रहा है. जो शराब पीने से कोसों दूर है वे तो खुश हैं ही लेकिन महिलाओ और कलह के वातावरण में जीवन बिताने वाले बच्चों के जीवन मे कोरोना कुछ दिनों के लिए एक नया खुशियों का सबेरा लाया हैं.इन सबका मानना है कि प्रदेश में हमेशा के लिए शराबबंदी हो जाए , जिससे शराब पर होने वाला खर्च बच्चों के बेहतर भविष्य के निर्माण में लगे और घर परिवार खुशहाल रहे.एकाएक शराब दुकानें फिर से शुरू होने की खबर से प्रदेश की महिलाएं परेशान हो गई हैं. उन्हें शराब चालू होने के बाद का भय सता रहा है .शराब की वजह से फिर घरेलू हिंसा, कलह, तंगहाली बढ़ेगी। शराब पीने के लिए रुपये की व्यवस्था के लिए महिलाएं मारपीट की शिकार होंगी.

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विगत विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का जन घोषणा पत्र प्रदेश की महिलाओं के लिए गहन अंधकार में “दिए की लौ” की भांति पूर्ण शराबबंदी प्रदेश में किए जाने को लेकर सामने आया.प्रदेश की 22 विधानसभा  सीटों पर महिला मतदाताओं की अधिकता है और पूर्ण शराबबंदी का मुद्दा ही कांग्रेस को आशातीत सफलता दिलाते हुए सत्ता के मुकाम पर पहुंचा गया. लेकिन आज लगभग डेढ़ बरस बीतने जा रहे हैं।पूर्ण शराबबंदी की चर्चा पर कांग्रेस दाएं-बाएं झांकने  लगती है.

शराब बंदी की जबरदस्त मांग 

हालांकि “लॉकडाउन” ने शराबबंदी के लिए उपयुक्त समय और वातावरण तैयार कर दिया है.  इतने दिनों में शराब की लत को लेकर ना तो किसी की मौत हुई है और नही कोई मरीज अस्पताल में दाखिल हुआ है. शराब पी कर अस्पताल में भर्ती होने या शराब पीकर मरने की खबरें कई बार सुनने को मिली  है लेकिन लॉक डाउन  के दौरान किसी के शराब न पीने से होने वाली किसी भी विवाद या बड़ी घटना की बात सामने नही आई है. लॉकडाउन ने जनहितकारी शराबबंदी के लिए उपयुक्त समय और वातावरण तैयार कर दिया है. शराब की लत से लॉक डाउन के कारण लाखो मुक्ति पा चुके है. घरों में कलह का वातावरण समाप्त हो चुका है.

 छत्तीसगढ़  के हित में है

अगर छत्तीसगढ़ को आगे बढ़ाना है तो दृढ़ इच्छा शक्ति के साथ शराबबंदी पूर्ण तौर पर लागू करके प्रदेश को नशे से मुक्त करना होगा.चीन अफीम छोड़कर आज आगे बढ़ गया है, तो हम क्यों नहीं जा सकते. इसके लिए सत्ताधारी कांग्रेस को ही सोचना एवं समझना होगा कि बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाव का कार्य शराबबंदी से होगा.

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दरअसल, छत्तीसगढ़ में शराब पीने वालों की संख्या  कुछ सालों में तेज़ी से बढ़ती चली गई है. राष्ट्रीय वार्षिक स्वास्थ्य सर्वेक्षण की मानें तो छत्तीसगढ़ के 100 में से 32 लोग शराब पीने के आदी हैं, जो देश में सर्वाधिक है.

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