बौलीवुड में अपने अतरंगी अंदाज के लिए एक अलग पहचान रखने वाले अभिनेता रणवीर सिंह अपने कैरियर की पहली फिल्म ‘‘बेंड बाजा बारात’’ से लेकर अब तक विविध विषयों पर फिल्में करते आए हैं. उनकी हर फिल्म में समाज से जुड़ा कोई न कोई मुद्दा भी अंडर करंट में रहा है.

लेकिन पहली बार रणवीर सिंह गुजरात की पृष्ठभूमि पर बनी फिल्म ‘‘जयेश भाई जोरदार ’’में लिंग भेद व पितृसत्तात्मक सोच के विपरीत संदेश देते नजर आने वाले हैं. जिसका बहुप्रतीक्षित ट्रेलर ‘‘यशराज स्टूडियो’’ के ही स्टेज नंबर तीन पर रिलीज किया गया.

 

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क्या है ट्रेलर में...

ट्रेलर की शुरुआत गांव के सरपंच (बेामन ईरानी) से होती है जहां पर एक बच्ची सरपंच से गुहार लगा रही होती है. बच्ची सरपंच से कहती है, स्कूल के सामने लड़के शराब पीकर लड़कियों को परेशान करते है, तो आप शराब बंद कर दीजिए, इस पर सरपंच (बोमन ईरानी) कहते है- ‘‘प्रतिबंध तो साबुन पर लगना चाहिए. लड़कियां खुश्बूदार साबुन लगाकर लड़कों को भ्रष्ट करती हैं.

फिल्म के ट्रेलर से जो कहानी समझ में आती है, उसके अनुसार जयेशभाई के पिता (बोमन ईरानी) गांव के सरपंच हैं और उनके पिता के बाद जयेशभाई ही सरंपच बनने वाले हैं. मगर जयेशभाई के पिता को चिंता इस बात की है कि जयेशभाई के बाद सरंपच कौन बनेगा? वारिस कौन होगा? क्योकि जयेश भाई और उनकी पत्नी (शालिनी पांडे) की एक बेटी है. पर उनका अपना बेटा नही है और वारिस या सरपंच बेटी नहीं बेटा ही बनेगा.

बेटी लगभग नौ दस साल की हो चुकी है और अब जब पुनः जयेशभाई की पत्नी गर्भवती हुई है, तो जयेशभाई के पिता व मां (रत्ना पाठक शाह) को इस बार लड़का ही चाहिए. लेकिन गर्भ धारण करते ही जयेश के पिता लिंग परीक्षण करवाने का आदेश देते हैं. जैसे ही डाक्टर बताते हैं कि इस बार भी गर्भ में लड़की ही है, तो जयेश के पिता उसकी भ्रूण हत्या यानी कि गर्भपात कराने का आदेश देते हैं. ऐसा करने की बनिस्बत जयेश अपनी पत्नी व बेटी के साथ घर छोड़कर भागते हैं और उनके पीछे सरपंच के गुंडे पड़े हुए हैं. बाकी तो फिल्म देखने पर ही पता चलेगा.

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