पूरे देश में सेंसर बोर्ड के रूप में मशहूर ‘‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’’ के पूर्व चेयरमैन व फिल्म ‘‘रंगीला राजा’’ के निर्माता पहलाज निहलानी अपनी फिल्म को पूरे देश में 16 नवंबर को प्रदर्शित करना चाहते थे. लेकिन सेंसर बोर्ड से प्रमाणत्र न मिल पाने के चलते फिल्म प्रदर्शित नहीं हो पायी. पहलाज निहलानी ने मुंबई उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिस पर आज मुंबई उच्च न्यायलय ने सवाल उठाया कि ‘रिवाइजिंग कमेटी’ और ट्रिब्यूनल की अनदेखी कर वह अदालत क्यों पहुंचे. माननीय जज ने कहा कि वह पहले ट्रिब्यूनल का निर्णय सुनें, फिर आगे बात करें. और अब अगली सुनवाई के लिए अदालत ने 28 नवबर की तारीख दी है.

वास्तव में केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ’’यानी कि सेंसर बोर्ड के नियमों के अनुसार हर फिल्म को चार सदस्यीय परीक्षण समिति देखकर निर्णय देती है कि फिल्म में क्या नहीं होना चाहिए और उसे क्या प्रमाणत्र मिलेगा. यदि परीक्षण समिति के निर्णय से निर्माता असहमत हो तो उसके पास विकल्प होता है कि वह रिवाइजिंग कमेटी यानी कि पुर्नविचार परीक्षण समिति के पास जाएं, इसमें आठ सदस्यों के अलावा एक बोर्ड मेंबर फिल्म देखकर निर्णय सुनाते हैं. यदि निर्माता रिवाइजिंग कमेटी के निर्णय से भी सहमत न हो, तो उसके पास ‘फिल्म ट्रिब्यूनल’ में जाने का विकल्प होता है. फिल्म ट्रिब्यूनल में पूर्व जज के अलावा दो बोर्ड मेंबर फिल्म देखते हैं. फिल्म ट्रिब्यूनल के निर्णय से असहमत होने पर निर्माता अदालत का दरवाजा खटखटाता है.

मगर पहलाज निहलानी की फिल्म ‘‘रंगीला राजा’’ को परीक्षण समिति ने तेरह कट के बाद प्रमाणपत्र देने की बात की. उसके बाद पहलाज निहलानी रिवाइजिंग कमेटी और फिल्म के पास जाने की बजाय मीडिया में सेंसर बोर्ड के खिलाफ बातें करने के साथ-साथ मुंबई उच्च न्यायालय की वोकेशनल बेंच के सामने पहुंच गए, जिसने इस मामले में जल्द सुनवाई से इंकार कर दिया. अब 19 नवंबर को उन्होंने मुंबई उच्च न्यायालय की रेगुलर बेंच के सामने याचिका दी. जिस पर मुंबई हाई कोर्ट में 21 नवंबर को सुनवाई हुई. तो अदालत ने सवाल उठाया कि रिवाइजिंग कमेटी और फिल्म ट्रिब्यूनल के पास जाने की बजाय सीधे अदालत क्यों आए? अदालत ने उन्हे रिवाइजिंग कमेटी और फिल्म ट्रिब्यूनल की बात सुनने की सलाह दी. इस पर पहलाज निलानी ने अदालत को बताया कि वह पिछले सप्ताह फिल्म ट्रिब्यूनल जा चुके हैं और फिल्म ट्रिब्यूनल ने उन्हें शुक्रवार, 23 नवंबर की तारीख दी है. इस पर अदालत ने कहा कि वह ट्रिब्यूनल की सुनें, उसके बाद जरुरत हो तो अदालत आएं. लंबी सुनवाई के बाद अब अदालत ने अगली सुनवाई के लिए 28 नवंबर की तारीख तय की है.

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