अगर कोई टीचर बच्चों को अंगरेजी के कायदे से ‘सी फोर कार’ पढ़ाए और अगर उन बच्चों ने कभी कार देखी ही न हो तो. अगर कोई टीचर किसी बच्चे से यह सवाल पूछे कि वह बड़ा हो कर क्या बनना चाहता है और बच्चा कहे कि टीचर, क्योंकि उस के हाथ में भविष्य की चाबी होती है. इस पर टीचर अचंभित हो कर कहे... अच्छा? क्या आप ने कभी ऐसी जगह के बारे में सुना है, जहां कागज जलाना पैसे जलाने के बराबर समझा जाता हो?

ऐसे ही कुछ दिलचस्प सवालों के जवाब पाने के लिए आप को भारत के पड़ोसी देश भूटान चलना होगा, जहां की राजधानी थिंपू में एक नौजवान सरकारी टीचर अपनी बूढ़ी दादी के साथ रहता है. पर उस टीचर की एक बड़ी समस्या भी है, जो उस के भविष्य से जुड़ी है.

दरअसल, उग्येन दोर्जी नाम के इस नौजवान में अपनी टीचरी को ले कर कोई जोश नहीं है. हालांकि वह एक सरकारी टीचर है, पर वह टीचर बनना ही नहीं चाहता है, क्योंकि वह तो भूटान छोड़ कर आस्ट्रेलिया में बसने का सपना देख रहा है, जहां अपने सिंगिंग टैलेंट से लोगों का दिल जीत सके.

उग्येन दोर्जी की आवाज बड़ी मीठी है और वह गाता भी सुर में है. थिंपू में वह एक बार टाइप रैस्टौरैंट में अंगरेजी गाने गाता है, लिहाजा जब उसे दुनिया के सब से रिमोट स्कूल, जो गांव लुनाना में है, बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी जाती है, तो वह सरकारी नुमाइंदे के सामने साफ कह देता है कि उसे पढ़ाने में कोई दिलचस्पी नहीं है

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