कालेज की पढ़ाई पूरी करने के साथ साथ महज 19 साल की उम्र में गुलजार के साथ मिलकर ‘‘उदास पानी’’ नामक अलबम को संगीत से संवारने व इसके गीतों को अपनी आवाज में गाने वाले अभिषेक रे की संगीतकार व गायक के तौर पर एक नई पहचान बन चुकी है. सन् 2000 में अलबम ‘‘उदास पानी’’ आया था, उसके बाद से अभिषेक रे को पीछे मुड़कर देखने की जरुरत नहीं पड़ी. तब से अब तक वह गुलजार के ही साथ ‘‘रात चांद और मैं’’ सहित 10 गैर फिल्मी अलबमों, 10 फिल्मों में संगीत, कई अलबमों के गीतों को गाने के अलावा कई फिल्मों में पार्श्व गायन भी कर चुके हैं. इन दिनों वह डिजीटल मीडिया व  ‘यू ट्यूब’’ पर हर माह एक गैर फिल्मी गाना लेकर आने के साथ ही नवोदित गायिका जश की आवाज से बौलीवुड को परिचित कराने के लिए सिंगल अलबम लेकर आ रहे हैं. इनमें से एक गैर फिल्मी गाना ‘‘आतिशा आतिशा’’ बहुत जल्द ‘‘जी म्यूजिक’’ पर आएगा. इस गीत को अभिषेक ने अपने संगीत निर्देशन में गायिका जश के साथ मिलकर गाया है. इस गीत के गीतकार हैं गुलरेल शाहिद जिसके बोल हैं- ‘‘ आतिशा आतिशा आतिशा सुरमुई रात का शमा..’’

संगीत की तरफ रूझान कैसे हुआ ?

मैं मूलतः कलकत्ता के बंगाली परिवार से हूं. मेरे परिवार में संगीत और शिक्षा दोनों का माहौल है. हमारे ननिहाल और पापा दोंनों के घरों में संगीत का माहौल रहा है. लेकिन मेरे माता पिता ने संगीत को कभी पेशा नहीं बनाया. मेरे पिता इंजीनियर और एमबीए हैं. उन्होंने पूरी जिंदगी सरकारी नौकरी की. पर आफिस से लौटते ही वह सितार बजाने बैठ जाते थे. वह मशहूर सितार वादक हैं. जबकि मेरी मां कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कालेज में बोटोनी की प्रोफेसर थीं. पर उन्होंने भी संगीत में बिशारद किया था. इस तरह मेरे घर में शास्त्रीय संगीत का पूरा माहौल था. मुझे घर में ही शास्त्रीय संगीत की शिक्षा मिली. लेकिन मैंने पश्चिमी संगीत व पियानो बजाना बाहर से सीखा. जब मैं पियानो बजाता हूं, तो लोगों को लगता है कि मैं पश्चिमी संगीत से जुड़ा हुआ हूं. पर जब मैं गाता हूं, तो लगता है कि मैं भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुड़ा हुआ हूं.

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