सिनेमा तेजी से विकसित हो रहा है. सिनेमा में कई नए आयाम खुल रहे हैं. बौलीवुड में 2001 से स्टूडियो सिस्टम और फिर मल्टीप्लैक्स आ गए. मगर आज भी बौलीवुड में मसाला फिल्मों से हटकर बेहतरीन विषयों पर फिल्मों का निर्माण करना और उन्हे थिएटरों में प्रदर्शित करना काफी मुश्किल है. यही वजह है कि लेखक व निर्देशक सार्थक दास गुप्ता को 2001 में लिखी गयी फिल्म ‘म्यूजिक टीचर’ की पटकथा वाली फिल्म के निर्माण में सत्रह वर्ष लग गए. जबकि इस पटकथा के लिए उन्हे 2013 में ही ‘सन डांस अंतरराष्ट्रीय फिल्मोत्सव’’ की तरफ से ‘‘सन डांस ग्लोबल अवार्ड’’मिला था. और यह पटकथा ‘‘सन डांस स्क्रीन प्ले लैब’’ का भी हिस्सा थी.

बौलीवुड में अपनी अब तक की यात्रा को किस तरह सेे देखते हैं?

हर रचनात्मक इंसान की तरह मुझे भी बौलीवुड में काफी संघर्ष करना पड़ा और मेरा संघर्ष अभी भी जारी है. मैं मूलतः बंगाली हं, पर मेरा जन्म व परवरिश मुंबई में हुई. मैं अपने माता पिता का इकलौटा बेटा हूं मेेरे पिता पोस्ट आफिस में नौकरी करते थे और मां शिक्षक थी. मैं पढ़ने में तेज था. मैने मैकेनिकल इंजीनियर और एमबीए की पढ़ाई पूरी कर ‘सेबी’मे नौकरी करने लगा . पर यह नौकरी रास नही आयी. मुझे पर फिल्म लेखक व निर्देषक बनने का ऐसा भूत सवार हुआ कि मैंने ‘सेबी’ की नौकरी छोड़ दी. फिर मैं जी टीवी में सुभाषचंद्र गोयलजी के साथ काम करने लगा. उसी दौरान मैंने तमाम डायरेक्टरों से उनके साथ सहायक के रूप में काम करने की इच्छा जाहिर की, पर परिणाम शून्य रहा. अंत में एक दिन मैंने यह नौकरी छोड़कर कहानियां व फिल्म की पटकथा लिखनी शुरू की.

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