• निर्माता: टैग प्रोडक्शन
  • निर्देशकः अनिल रामचंद्र षर्मा और पवित्रा दास
  • कलाकारः सनम जीया, अभीक बेनजीर, अलका अमीन, अतुल श्रीवास्तव, मीर सरवर, विशाल सिंह, वेद प्रकाश, संजू धीरहे व अन्य..
  • ओटीटी प्लेटफार्म: मास्क टीवी
  • अवधिः दो घंटे पांच मिनट

कहानीः

कहानी के केंद्र में खुद को एलेक्सिथिमिया की बीमारी से पीड़ित बताने वाले मशहूर लेखक फे्रड्कि (अभीकबेनजीर) है.एलेक्सिथिमिया अर्थात ऐसी स्थिति जहां किसी के पास अपने या दूसरों के लिए कोई भावना नहीं है. फैड्कि की पत्नी सादिया (सनम जीेया ) और गोद लिया हुआ बेटा एरिक (ऋतिक लांबा) है.फ्रेड्कि बिलकुल ठंडा है.उसके चेहरे पर मुस्कान तक नही आती.उनके पास एक नोयर लेखक का अध्ययनशील रूप है,लेकिन वह कुछ भी महसूस नही करते.पर उसकी किताबें पुरस्कृत होती हैं.उधर सादिया को रेनफील्ड सिंड्रोम यानी कि इंसानी खून पीने का जुनून है.फ्रेडिक और सादिया अपने रिष्ते को एक समझौतावादी रिष्ते की संज्ञा देते हैं.सादिया के मन में अपने पति और दत्तक पुत्र एरिक के लिए सषक्त भावनाएं हैं.फ्रेडिक की लिखी कहानियों की खासियत यह है कि उसकी कहानी लिखी जाने के बाद सच साबित हो जाती हैं.

फ्रेंडिक हर दो तीन माह में एक बार समय बिताने अपने पहाड़ी स्थल पर बने होलीडे होम जाया करते हैं.इस बार जब वह अपने होलीडे होम पहुॅचते हैं, तो पता चलता है कि उनके हॉलिडे होम केयरटेकर कल्पेश(अमित श्रीवास्तव) और उसकी नौकरानी अनीता (राधिका) की रहस्यमय परिस्थितियों में हत्या कर दी गई है.फ्रेडिक नया केयरटेकर जावेद (संजू धीरहे) रखते हैं.अचानक एक दिन उनका बेटा एरिक लापता हो जाता है.इससे फ्रेड्रिक प्रभावित नहीं होता.लेकिन सादिया व्याकुल होकर निजी जासूस हैमिल्टन ( विशाल सिंह) , और न्यूटन (वेद प्रकाष ) की मदद लेती है.कई घटनाक्रम तेजी से बदलते हैं.अंततः सारा सच सामने आता है.

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