उन्हे 21 दिन से फेफड़े के इंफेक्शन के चलते अस्पताल में भर्ती किया गया था. 16 अगस्त को उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था. सोमवार की सुबह से ही उनकी हालत बिगड़ने लगी थी. अंततः सोमवार रात 9: 30 बजे कार्डिएक अरेस्ट के चलते 92 साल की उम्र में उनका निधन हुआ.

खय्याम का पूरा नाम मोहम्मद जहुर ‘खय्याम‘ हाशमी है. उनका जन्म अविभाजित पंजाब के नांवाशहर जिले के राहोन मे हुआ था. आजादी के बाद वह भारत आ गए. जबकि उनका पूरा परिवार, बहन वगैरह पाकिस्तान में ही रहे. उन्होने 17 साल की उम्र में लुधियाना से संगीत की दुनिया में कदम रखा था. मजेदार बात यह है कि खय्याम साहब संगीतकार की बजाय अभिनेता बनना चाहते थे. वह लाहौर फिल्मों में अभिनेता बनने के लिए ही गए थे, मगर लाहौर में बाबा चिष्ती से संगीत की शिक्षा ग्रहण की थी. 1943 में वह लुधियाना आ गए थे. बाद में उन्होने पंडित अमर नाथ से भी संगीत सीखा. बीस साल की उम्र में यानी कि 1947 में उन्होंने फिल्म ‘‘रोमियो एंड ज्यूलिएट’ मे गीत गाया. फिर 1948 में ‘हीर रांझा’ में  संगीतकार शर्माजी वर्माज जोड़ी के शर्मा जी बनकर संगीत दिया. 1950 में फिल्म ‘बीवी’ और 1951 में फिल्म ‘प्यार की बाते’ ‘ में अपने नाम से संगीत दिया. मगर 1953 में फिल्म ‘‘फुटपाथ’ में संगीतकार के रूप में उन्होने अपना नाम खय्याम कर लिया था.

बतौर संगीतकार खय्याम को 1958 में पहचान मिली राज कपूर और माला सिन्हा अभिनीत फिल्म ‘‘फिर सुबह होगी’ से. इस फिल्म का गीत ‘‘वह सुबह कभी तो आएगी’ आज भी लोगों की जुबां पर है. उसके बाद से वह लगातार संगीत जगत में हावी रहे. उन्होने ‘‘शोला और शबनम’, ‘आखिरी खत’, ‘प्यासा दिल’, ‘कभी कभी’, ‘त्रिषूल’, ‘खानदान’,‘नूरी’, ‘थोड़ी सी बेवफाई’ ‘बाजार’’, ‘आहिस्ता आहिस्ता‘, ‘रजिया सुल्तान‘, ‘बेपनाह‘ सहित पचास से अधिक चर्चित और शानदार फिल्मो में सगीत दिया.

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