बौलीवुड में ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ (सेंसर बोर्ड) के प्रति हर फिल्मकार सदैव नाराजगी जाहिर करता रहता है. हर फिल्म निर्माता का आरोप होता है कि उनकी फिल्म पर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ ने बेवजह कैंची चला दी या गलत प्रमाणपत्र दिया. कुछ फिल्म निर्माता शिकायत करते रहते हैं कि उनकी फिल्म को ‘यू’ प्रमाणपत्र मिलना चाहिए था, मगर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ ने ‘ए’ प्रमाणपत्र दे दिया. ‘उड़ता पंजाब’, ‘लिपस्टिक अंडर बुर्का’ सहित कई फिल्मों के निर्माताओं को अदालत का दरवाजा खटखटाने के बाद ही प्रमाणपत्र मिल सका. हालात यह हैं कि इन दिनों ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ चेयरमैन पहलाज निहलानी भी अपनी फिल्म ‘रंगीला राजा’ के प्रति ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के रवैए से नाराज हैं. और वह भी 12 नवंबर को ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया है. कहने का अर्थ यह कि ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ का चेयरमैन बदलते रहते हैं, फिल्म निर्माता की शिकायतें वही रहती हैं.

फिल्मकार अक्सर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ पर आरोप लगाते हुए अमरीका की तरह रेटिंग सिस्टम की वकालत करते रहते हैं. इतना ही नहीं फिल्मकारों की मांग पर सरकार ने श्याम बेनेगल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ को लेकर सुझाव मांगे थे. इस कमेटी ने दो साल पहले ही सुझाव दे दिए थे, पर सरकार ने उस पर अमल नहीं किया. सूत्रों की माने तो उस वक्त तत्कालीन चेयरमैन पहलाज निहलानी ने स्वयं श्याम बेनेगल कमेटी की सिफारिशों का विरोध किया था.

अब जबकि पहलाज निहलानी ने ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के वर्तमान चेयरमैन तथा फिल्म पटकथा लेखक व गीतकार प्रसून जोशी पर बड़े बड़े स्टूडियो के साथ सहानुभूति रखने का आरोप लगाया है. तो हमने VIACOM18 से बात कर ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ के प्रति उनकी राय को जानें. इस मकसद से हमने VIACOM18 के सीओओ अजीत अंधारे से एक्सक्लूसिव मुलाकात की. इस मुलाकात में उन्होंने ‘केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड’ को लेकर अपनी बेबाक राय देने के साथ ही कुछ सुझाव भी दिए.

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