अमूमन बौलीवुड में हर बायोपिक फिल्म में उस इंसान का महिमा मंडन ही किया जाता रहा है, फिर चाहे वह संजय दत्त की बायोपिक फिल्म ‘संजू’ हो या कोई अन्य बायोपिक फिल्म. ऐसा करते समय संबंधित इंसान के स्याह पक्ष को पूरी तरह से फिल्म में नजरंदाज किया जाता रहा है.

मगर शिवसेना प्रमुख स्व. बाला साहेब ठाकरे की बायोपिक फिल्म ‘ठाकरे’ के निर्देशक अभिजीत पनसे का दावा है कि बाला साहेब ठाकरे स्वंय हीरो हैं, इसलिए उन्हे उनकी हीरोइक छवि दिखाने के लिए महिमा मंडित करने की जरुरत नहीं पड़ी. वो कहते हैं, ‘मुझे लगता है कि बाला साहेब को हीरोइक दिखाने की हमारे सामने कोई चुनौती नहीं थी. बल्कि फिल्म के इंटरवल से पहले के हिस्से में हमारे सामने इस बात की चुनौती थी कि उन्हे हीरोइक किस तरह न दिखाया जाए. वो तो पूरे देश के हीरो थे. हमने फिल्म में वास्तविकता का दामन नहीं छोड़ा. दो ढाई घंटे में उनकी पूरी जीवनी को दिखाना संभव नहीं है. मगर देश और महाराष्ट्र को लेकर उनके जो विचार थे, उन्हें हमने पूरी ईमानदारी और वास्तविक रूप से चित्रित किया है. हमने कुछ भी कल्पना नहीं की.’

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