सुबह 2 ग्लास पानी रखे आपकी सेहत को स्वस्थ

सुबह उठकर आप जो भी करते उससे कहीं ने कहीं आपके पूरे दिन में असर पढ़ता हैं. दिन की शुरुआत अगर थोड़ी एक्सरसाइज करे तो काफई अच्छा रहेंगा. इसके साथ अगर आप अपने ब्रेकफास्ट पर भी ध्यान देंगे तो ये अपको पुरी दिल खुश और सेहतमंद रखेंगे. इसके साथ ही सुबह की एक ऐसा भी आदात है जो आपको स्वस्थ रखने में काफी मदद करेंगी और वो है दो ग्लास पानी. दो ग्‍लास पानी के साथ अपने दिन की शुरुआत करना स्वस्थ आदत है जिसकी आदत सभी को डालनी चाहिए. इसको शुरूआत में करने पर आपको थोड़ी परेशानी हो सकती है, मगर कुछ ही दिन में आप आसानी से सुबह दो ग्‍लास पानी पीने लग जाएंगे. अगर ये पानी थोड़े गुनगुने होंगे तो इसके लाभ दोगुने हो सकते हैं.

पेट साफ तो हर रोग माफ

सुबह अगर आपका पेट साफ नही होता तो 2 ग्लास पानी आपे लिए वरदान हो सकता हैं. यह मल त्याग में सुधार कर सकता है और इससे संबंधित सभी पाचन विकारों को रोक सकता है. यदि आप नियमित रूप से खाली पेट पानी पीते हैं तो आपको रोज मल त्याग आसानी से होगा.

मेटाबौलिज्‍म के रखे स्वस्थ

पानी का सेवन आपके मेटाबौलिज्‍म को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है. खाली पेट पानी पीने से मेटाबौलिज्‍म बेहतर होगा. सिर्फ सुबह का पानी ही नहीं, आपको अपने मेटाबौलिज्‍म को बेहतर बनाने के लिए दिन भर में पर्याप्त पानी पीना चाहिए.

चेहरे पर निखार लाता है पानी

पानी का सेवन आपकी त्वचा के स्वास्थ्य से विभिन्न तरीकों से संबंधित है. सुबह-सुबह एक या दो ग्‍लास पानी भी आपकी त्वचा की सेहत में सुधार करेगा और आपकी त्वचा को ग्लो देगा. त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए पर्याप्त पानी का सेवन सबसे आसान तरीका है.

एनर्गी को बढ़ता है पानी

खाली पेट पर पानी पीना आपके दिन को बेहतर बनाता है. ये आपके एनर्गी लेवल को बढ़ा सकता है क्योंकि ये आपके शरीर से विषाक्त पदार्थों (Toxic substances) को बाहर निकालता है. नियमित रूप से खाली पेट पानी पीने की कोशिश करें और फर्क महसूस करें.

पानी पीने के सही तरीके, 55 की उम्र में दिखेगा 25 वाला निखार

पानी का रिश्ता खूबसूरती से है कई लोगों को कहते सुना होगा कि पानी पिएं और जवां रहे. बिलकुल सही बात है, पानी आपकी स्किन को ग्लोइंग और शाइनिंग बनाता है. ऐसे में ज़रुरी है कि पानी कितना और कैसे पिया जाएं ये बेहद ही ज़रुरी बात है. क्योकि सही तरीके से पिया गया पानी आपके त्वचा को निखार सकता है आपको 50 की उम्र में 25 वाला लुक दे सकता है इसलिए आज हम आपको पानी पीने के 5 सही तरीके बताएंगे. जिससे आप जवां रहेगी.

  1. खाना खाने के तुरंत बाद कभी भी पानी नहीं पीना चाहिए. खाने के करीब आधे घंटे बाद ही पानी पिएं. अगर आप खाना खा चुके हैं और कुछ पीना चाहते हैं तो दूध, मट्ठा, दही और शिकंजी पी सकते हैं.
  2. ठंडा पानी पीने से हर किसी को बचना चाहिए. अगर प्यास तेज लगी है और आप चिल्ड वॉटर खोज रहे हैं तो यह गलत है. हमेशा गर्मी के दिनों में मिट्टी के घड़े का पानी पीना ज्यादा बेहतर होता है.
  3. पानी को हमेशा आराम-आराम से पीना चाहिए. यानी की एक झटके में पूरा पानी नहीं पीना चाहिए. घूंट भरकर पीना चाहिए. इससे आपकी स्किन शाइनिंग बनेगी.
  4. सुबह फ्रेश होने के बाद एक गिलास गुनगुना पानी पीने के बाद ही ब्रेकफास्ट करना चाहिए. या फिर पहली चाय पीनी चाहिए. इससे शरीर में जमा टॉक्सिन्स बाहर आ जाता है.
  5. अक्सर लोग खड़े-खड़े ही पानी पीने लगते हैं, यह तरीका बिल्कुल ठीक नहीं है. इससे बचना चाहिए. ऐसा करना सेहत के लिए अच्छा नहीं होता है. इसलिए कभी भी पानी खड़े होकर नहीं पीना चाहिए.

जानिए क्या करें जब आग लग जाए

यों तो सालभर देशभर में कहीं न कहीं से भयानक आग लगने की खबरें आती रहती हैं लेकिन गरमी के मौसम में आग लगने के हादसों की तादाद बढ़ जाती है. इस साल अप्रैल में आग लगने की 2 दर्जन बड़ी घटनाएं हुईं जिन में सब से ज्यादा दिल दहला देने वाला हादसा मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के हर्रई ब्लौक के गांव बारगी में हुआ. 22 अप्रैल की शाम 4 बजे चिलचिलाती धूप में बारगी गांव के सैकड़ों लोग राशन की दुकान के सामने लाइन में लगे थे. यह राशन की दुकान ठीक वैसी ही है, जैसी देशभर में होती हैं कि एकाधदो कमरे राशन की सहकारी दुकान चलाने वाला किराए पर ले लेता है. इन में बांटा जाने वाला अनाज और राशन के दूसरे आइटम ठूंसठूंस कर भरे रहते हैं. एक तरह से राशन की इन सस्ती दुकानों को छोटेमोटे गोदाम कहना ज्यादा बेहतर होगा.

बारगी में गांव वालों को बांटने के लिए कैरोसिन का तेल इस दिन आया था. यह खबर आग की तरह गांवभर में फैली तो देखते ही देखते तेल लेने वालों की भीड़ इकट्ठी हो गई. बाहर लाइन लगी तो दुकानदार भीतर अनाज बांटने लगा. चूंकि कैरोसिन चाहने वालों की तादाद ज्यादा थी, इसलिए दुकानदार ने दरवाजे पर कैरोसिन का ड्रम रख लिया. जिन्हें अनाज चाहिए था वे दुकान के भीतर रह गए और जिन्हें कैरोसिन चाहिए था वे बाहर लाइन में खड़े हो गए.

सैकड़ों लोगों को उन की मांग के मुताबिक कैरोसिन का तेल बांटने में देर लग रही थी. लाइन में लगे गांव वालों में से किसी ने आदतन बीड़ी सुलगा ली और पीने के बाद आदत के मुताबिक ही उस का ठूंठ फेंक दिया. इसी दौरान एक और गांव वाले ने बीड़ी सुलगा कर तीली फेंकी तो वह कैरोसिन के ड्रम के पास जा गिरी. कैरोसिन ने आग पकड़ी तो देखते ही देखते हाहाकार मच गया.

बचने के बजाय फंसे

कैरोसिन ने आग पकड़ी तो भगदड़ मच गई. बाहर लाइन में खड़े लोग तो खुले की तरफ जान बचाने के लिए भाग गए पर जो लोग अंदर कमरे में बंद थे, उन की हालत चूहेदानी में फंसे चूहे जैसी हो गई थी. आग अंदर तक फैली और अनाज के बारदानों तक जा पहुंची. अंदर फंसे लोगों में से किसी को नहीं सूझा कि क्या करे.

हरेक की हर मुमकिन कोशिश खुद की जान बचाने की थी. इस से हुआ उलटा, कि जरा से कमरे से भागादौड़ी के चलते इनेगिने लोग ही बाहर आ पाए और 13 लोग आग की भेंट चढ़ गए यानी जिंदा जल मरे.

मंजर यह था कि महज 5 मिनट में ही आग ने पूरी दुकान को अपनी गिरफ्त में ले लिया. भीतर वाले कमरे में रखा सामान और अनाज के बारदाने भी जलने लगे तो छोटा सा कमरा धुंए से भर गया. नतीजतन, वहां मौजूद लोगों का दम भी घुटने लगा. जान बचाने के लिए लोगों को कुछ नहीं सूझा तो वे बारदानों के ऊपर चढ़ गए पर वहां भी आग की लपटों ने उन का पीछा नहीं छोड़ा.

हादसे के गवाह रहे एक घायल मनोज कुमार मालवीय का कहना है कि उसे और दूसरे लोगों को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें. बाहर निकलने के लिए एक ही दरवाजा था और लोग उस की तरफ भाग रहे थे. चूंकि कैरोसिन या खाने वाला तेल फर्श पर फैल गया था, इसलिए लोग उस पर से फिसलने लगे थे. इस आपाधापी और भागादौड़ी में कुल 4 लोग ही बाहर निकल पाए.

आग जब शबाब पर आई तो 200 लिटर से भरे ड्रमों में से भड़ामभड़ाम की आवाजें आने लगीं जिस से लोग और दहशत से भर उठे. देखते ही देखते सोसाइटी की दुकान का यह कमरा श्मशान घाट बन गया. बाहर खड़े चिल्लाते लोग बेबसी से मौत का यह मंजर देखते रहे, जिसे शायद ही वे जिंदगीभर भुला पाएं.

आग के इस हादसे की खबर भी आग की तरह फैली और जिलेभर से फायरब्रिगेड आईं. दुकान की दीवार तोड़ कर आग बुझाई गई पर जब तक जो होना था वह हो चुका था.

बच सकते थे

मनोज की बातों से जाहिर होता है कि घबराए लोगों ने वही गलती की जो आमतौर पर ऐसे हादसों के वक्त लोग करते हैं वह थी भगदड़ मचा कर पहले भागने की.

लोग चाहते थे तो एकएक कर बाहर निकल सकते थे पर हर एक को अपनी जान की पड़ी थी, इसलिए भीतर फंसे लोगों में से कोई नहीं बच सका. मरने वालों में 5 औरतें भी थीं.

साफ दिख रहा है कि लोग आग से कम, भगदड़ से ज्यादा मरे. हो यह रहा था कि लोग एकदूसरे को धकिया कर पहले बाहर निकलने के लिए दरवाजे की तरफ भाग रहे थे और आगेवाले पीछे वालों को धक्का दे रहे थे. इस गफलत में कोई बाहर नहीं निकल पाया और आग ने उन्हें बख्शा नहीं.

यह ठीक है कि हमारे देश में आग और दूसरी कुदरती आफतों से बचने के लिए कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती है जो कि अब आग की बढ़ती घटनाओं को देख जरूरी लगने लगी है.

छिंदवाड़ा की आग के बाद हफ्तेभर में ही अकेले मध्य प्रदेश के ही भोपाल, इंदौर, मंडला और बैतूल में लगी आग से 6 लोग और मारे गए.

इंदौर में पटाखों की दुकान में आग लगी तो भोपाल में रिहायशी इलाके सोनागिरि की एक बिल्ंिडग को आग ने अपनी गिरफ्त में ले लिया. बैतूल और मंडला में खेतखलिहानों में आग लगी थी. यानी आग से कहीं कोई महफूज नहीं है, वह बंद और खुली दोनों जगहों में लग सकती है.

खुली जगहों मसलन, मैदान, खेत और खलिहान में आग से बचने के मौके ज्यादा होते हैं लेकिन बंद जगहों में समझदारी से ही अपनी जान बचाई जा सकती है.

ऐसे बचें हादसे से

जिस तेजी से आग लगने के हादसे बढ़ रहे हैं, उन से लगने लगा है कि लोगों को खुद अपना बचाव करना आना चाहिए जिस से ऐसे बुरे वक्त में वे अपनी और औरों की जान बचा पाएं. इस के लिए इन बातों को ध्यान में रखना चाहिए-

– अगर यंत्र का इस्तेमाल करना न आता हो तो आसपास देखें कि शायद कोई ऐसी चीज मिल जाए जिस आग पर फेंक देने से उसे रोका जा सके. मसलन, रेत या पानी, ये चीजें अगर मिल जाएं तो इन्हें तुरंत तेजी से आग पर फेंकना चाहिए पर अगर आग बिजली के तारों या शौर्ट सर्किट की वजह से लगी दिखे तो उसे बुझाने के लिए पानी का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इस से करंट लगने का डर बना रहता है.

– आजकल तकरीबन हर जगह आग बुझाने के अग्निशामक यंत्र रखे जाते हैं, पर अफसोस की बात यह है कि इन्हें चलाना हर कोई नहीं जानता. इसलिए नजदीकी फायर ब्रिगेड दफ्तर से इन्हें चलाने का तरीका सीखने में हर्ज नहीं, क्योंकि पता नहीं, कब कहां ऐसी नौबत आ जाए.

– आग में फंसने पर ऊपर के कपड़े उतार कर फेंक देना चाहिए क्योंकि ये जल्दी आग पकड़ते हैं. इन के जरिए ही शरीर जलता है और बचने का मौका नहीं मिल पाता.

– आग कहीं से भी उठती दिखे, तुरंत बिजली के खटकों और हो सके तो मेनस्विच को बंद कर देना चाहिए क्योंकि बिजली के तार जल्द आग पकड़ते हैं.

– आग कहीं भी, कैसे भी लगे, उस से धुआं जरूर फैलता है. इसलिए रूमाल, गमछा, दुपट्टा जो भी मिले, उस से मुंह ढक लेना चाहिए ताकि दम न घुटे.

– आग कपड़ों तक आ जाए तो जमीन पर लेट कर लुढ़कना चाहिए. इस से आग बुझने में मदद मिलती है. चादर, कंबल या दूसरा बड़ा कपड़ा मिल जाए तो उसे शरीर पर लपेट लेना चाहिए. फिल्मों में अकसर इसी तरह आग से जलते आदमी को बचाते हुए दिखाया जाता है.

– किसी बड़ी इमारत में आग लगे तो भागने के लिए लिफ्ट के बजाय सीढि़यों का इस्तेमाल करना चाहिए.

– आग जहां से उठती दिखे, उस के आसपास की चीजों को हटा देना चाहिए क्योंकि उन से आग को फैलने का मौका मिलता है.

छिंदवाड़ा के बारगी गांव के हादसे से एक बात साफ और उजागर यह हुई कि लोगों ने समझ खो दी थी. अगर पीछे वाले, आगे वाले लोगों को दरवाजे से बाहर निकल जाने देते तो उन्हें भी अपनी जान बचाने का मौका मिल सकता था. आगे वाले की तो जान बच ही जाती.

बीड़ी और जलती तीली फेंकने वाले तो गुनहगार हैं ही, लेकिन जब आग लग ही गई थी तो लोग सब्र का दामन न छोड़ते, समझ से काम लेते तो हादसा इतना भयानक नहीं होता.

जलने पर यह करें

– आग में थोड़ा जलें या ज्यादा, बेहतर यह होता है कि जब तक जलन कम न हो, तब तक आप जख्म पर ठंडे पानी का छोटा कपड़ा रखें.

– जहां आग लगी है वहां की खिड़कियां खोलने की कोशिश करनी चाहिए.

– जली हुई जगह पर चूना, हलदी या टूथपेस्ट न लगाएं, इस से घाव ठीक नहीं होता, उलटे डाक्टर को  घाव साफ करने में परेशानी पेश आती है.

– जली हुई जगह पर पानी डालने से जख्म गहरा नहीं हो पाता.

– तुरंत ऐंबुलैंस को फोन करें.

एहतियात जरूरी

आग अकसर लापरवाही से लगती और फैलती है. बागरी गांव में लोग जलती बीड़ी या तीली नहीं फेंकते तो एक बड़े हादसे और 13 मौतों से बच सकते थे. अगर ये एहतियात बरती जाएं तो आग लगने की घटनाओं को रोका जा सकता है-

– आग लगने के आधे से ज्यादा हादसे बिजली के तारों और शौर्ट सर्किट होने के चलते होते हैं. गरमी में बिजली की खपत ज्यादा होती है, इसलिए बिजली के तारों पर जोर ज्यादा पड़ता है और वे जलने लगते हैं.

– इसलिए बेहतर यह होता है कि घटिया किस्म के बिजली के तारों का इस्तेमाल न किया जाए, हमेशा ब्रैंडेड तार ही इस्तेमाल किए जाएं.

– झुग्गीझोंपडि़यों और कच्चे मकानों में आमतौर पर सीधे खंबे से बिजली ले ली जाती है, यह बेहद जोखिम वाला काम है, इस से बचना चाहिए. मकान

चूंकि कच्चे होते हैं और उन में लकड़ी, घासफूस वगैरा का ज्यादा इस्तेमाल होता है, इसलिए बिजली के तारों से आग लगने का खतरा ज्यादा रहता है.

– हर दूसरेतीसरे साल में घर की बिजली फिटिंग की जांच कराते रहना चाहिए और खराब व गले तारों को हटवा देना चाहिए.

– आमतौर पर घरों में बिजली का एक ही मेनस्विच रखा जाता है जिस पर बिजली का सारा लोड पड़ता है. इस से उस के जलने का खतरा बना रहता है. इस से बचने के लिए 2 मेनस्विच लगवाने चाहिए.

– इलैक्ट्रिक और इलैक्ट्रौनिक आइटमों में जरा सी भी खराबी आ जाने पर उन की रिपेयरिंग करवानी चाहिए.

– एसी, फ्रिज, कंप्यूटर, टीवी, टुल्लू पंप और ओवन जैसे आइटमों के लिए पावरस्विच लगवाना चाहिए. साधारण खटके से चलाने पर वे जल्द गरम होते हैं और आग लगने का खतरा बढ़ जाता है.

– रात को सोने से पहले गैस सिलैंडर की नौब बंद कर देनी चाहिए.

– घर में बेवजह की रद्दी व कचरा नहीं रखना चाहिए, ये आइटम जल्द आग पकड़ते हैं.

– खेतखलिहानों में सूखी घास, लकडि़यां आदि महफूज जगह पर रखनी चाहिए और नरवाई में आग नहीं लगानी चाहिए. गांवदेहातों में आजकल आग नरवाई लगाने से ज्यादा लग रही है, इसलिए इसे कानूनी जुर्म भी घोषित कर दिया गया है.

इन बातों पर अमल किया जाए तो आग से बचा जा सकता है. बेहतर तरीका यह है कि आग से बचाव पर ध्यान दिया जाए वरना आग लगने में देर नहीं लगती.

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