Top 10 Social Story Of 2022: समाज में कुछ नियम-कानून होते हैं, जिसे किसी भी हाल में फॉलो करने के लिए मजबूर किया जाता है. तो इस आर्टिकल में हम आपके लिए लेकर आए हैं, सरस सलिल की Top 10 Social Story in Hindi. समाज से जुड़ी दिलचस्प कहानियां, जिससे आप समाज में हो रहे घटनाओं से परिचित होंगे. तो अगर आपको भी है कहानियां पढ़ने के शौक तो पढ़िए Top 10 Social Story Of 2022.
- अनोखी सजा: सहर्ष ने उस सजा को क्यों स्वीकार किया?
दुकान का काम समाप्त कर के रमेश तेजी से घर की ओर चला जा रहा था. आसमान में कालेकाले बादल छाए हुए थे अत: वर्षा आने से पहले ही वह घर पहुंच जाना चाहता था. तभी अचानक तेज वर्षा होने लगी. रमेश वर्र्षा से बचने के लिए फुटपाथ के पास बनी अपने मित्र राकेश की दुकान की ओर दौड़ा. दुकान के बाहर लगी परछत्ती के नीचे एक बूढे़ सज्जन पहले से ही खड़े थे. परछत्ती बहुत छोटी थी. वर्षा के पानी से उन का केवल सिर ही बच पा रहा था. रमेश का ध्यान उस बूढे़ आदमी की ओर नहीं गया. वह सीधा दौड़ता हुआ आया और राकेश के पास जा कर दुकान में बैठ गया.
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2. डर: जीवन में मौत तो कभी भी आ सकती है ऐसा किसने बोला?
मैं सुबह की सैर पर था. अचानक मोबाइल की घंटी बजी. इस समय कौन हो सकता है, मैं ने खुद से ही प्रश्न किया. देखा, यह तो अमृतसर से कौल आई है.
‘‘हैलो.’’
‘‘हैलो फूफाजी, प्रणाम, मैं सुरेश बोल रहा हूं?’’
‘‘जीते रहो बेटा. आज कैसे याद किया?’’
‘‘पिछली बार आप आए थे न. आप ने सेना में जाने की प्रेरणा दी थी. कहा था, जिंदगी बन जाएगी. सेना को अपना कैरियर बना लो. तो फूफाजी, मैं ने अपना मन बना लिया है.’’
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3. अबोध: आखिर क्या कसूर था मासूम गौरा का
माधव कुछ दिनों से बीमार चल रहे थे, 50 साल की उम्र. सफेद दाढ़ी. उस पर भी बीमारी के बाद की कमजोर हालत. यह सब देख कर घर के लोगों ने माधव को बेटी की शादी कर देने की सलाह दे दी. कहते थे कि अपने जीतेजी लड़की की शादी कर जाओ. माधव ने अपने छोटे भाई से कह कर अपनी लड़की के लिए एक लड़का दिखवा लिया. माधव की लड़की गौरा 15 साल की थी. दिनभर एक छोटी सी फ्रौक पहने सहेलियों के साथ घूमती रहती, गोटी खेलती, गांव के बाहर लगे आम के पेड़ पर चढ़ कर गिल्ली फेंकने का खेल भी खेलती. जैसे ही गौरा की शादी के लिए लड़का मिला, वैसे ही उस का घर से निकलना कम कर दिया गया.
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4. एहसानमंद: क्यों बन गया विवेक गुनहगार
घड़ी के अलार्म की घंटी बजी और डाक्टर विवेक जागा. साथ में सोती हुई उस की पत्नी सुधा भी उठ रही थी.
‘‘शादी की सालगिरह बहुतबहुत मुबारक हो, डार्लिंग,’’ विवेक ने उस का आलिंगन किया.
‘‘आप को भी बहुतबहुत मुबारक हो,’’ सुधा ने उत्तर दिया.
नहाधो कर जब विवेक नाश्ता खाने बैठा तो सुधा ने उस के सामने उस के मनपंसद गरमागरम बेसन के चीले और पुदीने की चटनी रखी. विवेक बहुत खुश हुआ.
‘‘पत्नी हो तो तुम्हारे जैसी,’’ उस ने सुधा से कहा, ‘‘बोलो, आज तुम्हारे लिए क्या उपहार लाऊं? जो जी चाहे मांग लो.’’
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5. रैगिंग: ममता को किस पर तरस आ रहा था?
पीरियड खत्म होने की घंटी बजी तो क्लास में सभी बच्चे इधरउधर चले गए कोई मैदान में टहलने, कोई लाइब्रेरी में पढ़ने तो कोई कैटीन में खानेपीने, क्योंकि उन का अगला पीरियड खाली था. ममता भी अगला पीरियड खाली देख कर अपनी सहेली सरिता के साथ कैंटीन की ओर चल पड़ी. वहां कुछ लड़केलड़कियां गाबजा रहे थे. एक लड़का गा रहा था और उस के साथी कैंटीन की बैंच बजा रहे थे.
ममता ने सोचा कि शायद यहां कोईर् पार्टी चल रही है. जब उस ने वहां खड़ी एक लड़की से पूछा तो उस ने बताया, ‘‘जब यहां राजेश आता है तो ऐसा ही माहौल होता है.’’
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6.आदमकद: जब सूरज को मिला सबक
सूरज को पुलिस महकमे में आए हुए ज्यादा समय नहीं हुआ था. उस ने एक महीने पहले ही थाने का चार्ज लिया था.
एक दिन की बात है. सूरज तैयार हो रहा था. आज वह बहुत ही जल्दी में था, क्योंकि मंत्रीजी आ रहे थे. उसे ठीक 11 बजे सर्किट हाउस पहुंचना था. वहीं मंत्रीजी जिले के सभी अफसरों की बैठक लेने वाले थे.
सूरज बाथरूम से बाहर आया और यूनिफौर्म पहन कर आदमकद आईने के सामने जा खड़ा हुआ. उसे याद आया कि उस ने कभी अपने बड़े साले के कंधे पर हाथ रख कर कहा था, ‘त्रिभुवन, मुझे आधेअधूरे काम से सख्त नफरत है. मैं जो भी पसंद करता हूं, वह पूरा और परफैक्ट होना चाहिए, इसीलिए मैं उसी आईने में खुद को देखना पसंद करता हूं, जो आदमकद हो और मैं उसी शख्स को ही सब से ज्यादा पसंद करना चाहूंगा, जो आदमकद हो.’
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7. वतनपरस्ती: क्यों समीक्षा और हफीजा की दांत काटी दोस्ती दुश्मनी में बदल गई?
‘‘नया देश, नए लोग दिल नहीं लगता… जी करता है इंडिया लौट जाऊं,’’ समीक्षा ने रोज का राग अलापा. ‘‘यह आस्ट्रेलिया है. सब से अच्छे विकसित देशों में से एक. यहां आ कर बसने के लिए लोग जमीनआसमान एक कर देते हैं और तुम यहां से वापस जाने की बात करती हो. अब इसे मैं तुम्हारा बचपना न कहूं तो और क्या कहूं?’’
‘‘तो क्या करूं? तुम्हारे पास तो तुम्हारे काम की वजह से अपना सोशल सर्कल है, दोनों बच्चों के पास भी उन के स्कूल के फ्रैंड्स हैं. बस एक मैं ही बचती हूं जिसे दिन भर चारदीवारी में अर्थहीन वक्त गुजारना पड़ता है. अकेले रहरह कर तंग आ गई हूं मैं.’’ ‘‘हां, लंबे समय तक चुप रहने के कारण तुम्हारे मुंह से बदबू भी तो आने लगती होगी,’’ प्रतीक चुटकी लेते हुए बोला.
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8. औपरेशन: डाक्टर सारांश ने ऐसा क्या कर दिखाया
रामबन, कश्मीर घाटी का एक संवेदनशील जिला. ऊंचे पहाड़, दुर्गम रास्ते और गहरी खाइयों के बीच स्थित है यह छोटा सा इलाका. भोलेभाले ग्रामीण जो मौसम की मार सहने के तो आदी थे मगर हाल ही में हुईं आतंकी वारदातों की मार के उतने आदी नहीं थे. मन मार कर इस को भी झेलने के अलावा उन के पास कोई चारा न था. सभी अच्छे दिनों की कल्पना को मन ही मन संजो रहे थे इस यकीन के साथ कि दुखों की रात की कभी तो खुशियोंभरी सुबह होगी.
पूरे इलाके में रामबन में ही एक सरकारी स्कूल, छोटा सा डाकखाना और एक अस्पताल था. राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़े होने के चलते कभीकभी इन सेवाओं की अहमियत बढ़ जाती थी. हालांकि स्कूल था मगर शिक्षक नदारद थे, अस्पताल था मगर सुविधाएं ना के बराबर थीं, डाकखाना था जो डाकबाबू के रहमोकरम पर चल रहा था. मगर फिर भी उन की इमारतें उन के होने का सुबूत दे रही थीं.
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9. मौत जिंदगी से सस्ती है: क्या सोनू की जान बच पाई
‘‘इस बार दिल्ली में बारिश के दर्शन कुछ ज्यादा ही हो गए. जहां देखो पानी ही पानी. लगता नहीं कि यह वही दिल्ली है, जहां लोगों की आपसी दुश्मनी की वजह पानी बन जाता है.
‘‘सुबह से ही महल्ले की गलियों में बारिश और नाले का पानी जमा हो रखा है. बारिश जैसे ही कम हुई, काम पर जाने के लिए निकला ही था कि रास्ते में पूरे कपड़े भीग गए.
यह बात सोनू अपने दोस्त बिरजू को बता रहा था, जो उस का दिल्ली शहर में एकलौता खास दोस्त था और जिस से वह अपनी जिंदगी की सभी बातें किया करता था.
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10. अनिता की समझदारी: अनिता ने जालसाजों को कैसे सबक सिखाया
गरमी की छुट्टियों में पापा को गोआ का अच्छा और सस्ता पैकेज मिल गया तो उन्होंने एयरटिकट बुक करा लिए. अनिता और प्रदीप की तो जैसे मुंहमांगी मुराद पूरी हो गई थी. एक तरफ जहां हवाईयात्रा का मजा था वहीं दूसरी तरफ गोआ के खूबसूरत बीचिज का नजारा देखने की खुशी थी. अनिता ने जब से अपने सहपाठी विजय से उस की गोआ यात्रा का वृत्तांत सुना था तब से उस के मन में भी गोआ घूमने की चाह थी. आज तो उस के पांव जमीं पर नहीं पड़ रहे थे. बस, इंतजार था कि कब यात्रा का दिन आए और वे फुर्र से उड़ कर गोआ पहुंच गहरे, अथाह समुद्र की लहरों का लुत्फ उठाएं. उस का मन भी समुद्र की लहरों की तरह हिलौरे मार रहा था. अनिता 12वीं व प्रदीप 10वीं कक्षा में आए थे. हर साल पापा के साथ वे किसी हिल स्टेशन पर रेल या बस द्वारा ही जा पाते थे, लेकिन पहली बार हवाई यात्रा के लुत्फ से मन खुश था.
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