पीरियड खत्म होने की घंटी बजी तो क्लास में सभी बच्चे इधरउधर चले गए कोई मैदान में टहलने, कोई लाइब्रेरी में पढ़ने तो कोई कैटीन में खानेपीने, क्योंकि उन का अगला पीरियड खाली था. ममता भी अगला पीरियड खाली देख कर अपनी सहेली सरिता के साथ कैंटीन की ओर चल पड़ी. वहां कुछ लड़केलड़कियां गाबजा रहे थे. एक लड़का गा रहा था और उस के साथी कैंटीन की बैंच बजा रहे थे.

ममता ने सोचा कि शायद यहां कोईर् पार्टी चल रही है. जब उस ने वहां खड़ी एक लड़की से पूछा तो उस ने बताया, ‘‘जब यहां राजेश आता है तो ऐसा ही माहौल होता है.’’

अब ममता ने यह पूछने की जरूरत नहीं समझी कि राजेश कौन है क्योंकि वह जान गई थी कि जो लड़का गा रहा है, वही राजेश होगा. सभी में वही खास जो बना हुआ था. राजेश उसे देखने में अच्छा लगा. उस से प्रभावित तो वह पहले से ही थी.

ममता और सरिता जल्दीजल्दी चाय पी कर बाहर चली गईं. ममता बीए द्वितीय वर्ष में पढ़ती थी. उस दिन उस का यह कालेज में पहला दिन था. अगले दिन जब वह लाइब्रेरी में गई तो वहां राजेश बैठा था. उस ने जब ममता को देखा तो उसे देखते ही बोला, ‘‘तुम ममता हो न?’’

‘‘हां,’’ उस ने कहा, ‘‘लेकिन तुम्हें किस ने बताया?’’

‘‘मुझे किस ने बताना है. मैं तो खुद ही बहुत होशियार हूं,’’ कह कर वह हंसने लगा.

ममता मुसकराई. पूछा, ‘‘फिर भी?’’

‘‘अरे, तुम हमारी ही कक्षा में तो आई हो और अपनी कक्षा के बारे में इतना तो पता होना ही चाहिए कि कौन नया आया है और कौन गया.’’

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