Social Problem: शादी को तरसे लड़के

Social Problem, लेखक – शकील प्रेम

भारतीय समाज में बेटा पैदा होना हमेशा से मूंछ की बात रही है. किसी के घर बेटा हुआ तो इसे त्योहार की तरह मनाया जाता है. पकवान बनते हैं और रिश्तेदारों में मिठाई बांटी जाती है. वजह, घर का नया वारिस पैदा हो गया है, जो वंश को आगे बढ़ाएगा.

इस के उलट बेटी पैदा होने पर बहुत से घरों में मातम का माहौल होता है. ज्यादा बेटी पैदा करने वाली औरत की भारतीय समाज में कोई इज्जत नहीं है. पहले ऐसी औरत का मर्द बेटे की चाह में दूसरी औरत ब्याह लाता था. नतीजतन, ऐसी औरतें बेटा पाने के चक्कर में बाबाओं का शिकार होती थीं.

बेटा और बेटी के इसी फर्क के चलते भारत के कई इलाकों में बेटियों को अफीम चटा कर मार देने का घिनौना रिवाज कायम था. यही वजह है कि कई राज्यों में लड़का और लड़की के लिंगानुपात में भारी गड़बड़ी पैदा हो गई. हरियाणा इस बात का बड़ा उदाहरण है.

हरियाणा में विकराल होती समस्या

हरियाणा में लिंगानुपात लंबे समय तक गड़बड़ रहा है. साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, हरियाणा में प्रति 1000 पुरुषों पर 879 महिलाएं थीं, जो राष्ट्रीय औसत (943) से कम है. कन्या भ्रूण हत्या के चलते लड़कियों की तादाद कम होती गई, जिस से पूरा सामाजिक सिस्टम गड़बड़ा गया.

लड़कियां कम हुईं, तो इस का खमियाजा लड़कों को भुगतना पड़ रहा है. हरियाणा में यह समस्या लंबे समय से बनी हुई है. वहां के तकरीबन हर गांव में ऐसे ढेरों नौजवान कुंआरे बैठे हैं, जिन की उम्र 40 पार कर चुकी है. इस के पीछे वजह यह है कि लड़कियों की तादाद कम है. वैसे भी अब लड़कियों के परिवार वाले अपनी बेटियों की शादी गांव में नहीं करना चाहते हैं.

हरियाणा में शादी के लिए लड़के के पास अच्छी जमीन, मोटा बिजनैस या सरकारी नौकरी होना जरूरी है. जिन लड़कों के पास इन में से कोई एक है, वे गांव से निकल कर शहरों में बस जाते हैं और जिन लड़कों के पास अच्छी जमीन, मोटा बिजनैस या सरकारी नौकरी में से कुछ भी नहीं है, उन के लिए रिश्ते ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता है.

हरियाणा के हिसार जिले में ही 40 साल से ज्यादा उम्र के तकरीबन 7 लाख कुंआरे हैं. इन में भी ज्यादातर जाट समुदाय से हैं.

हरियाणा के कुछ गांवों में तो खराब सड़कों, सीवेज सिस्टम की कमी और तंग गलियों के चलते भी रिश्ते नहीं हो पाते हैं या टूट जाते हैं.

लड़कों के कुंआरे रहने में खाप पंचायतें भी खास रोल निभाती हैं, जो इंटरकास्ट शादी की खिलाफत करती हैं, जिस से प्रेम विवाह करना मुश्किल हो जाता है. इस से भी शादी के मौके और कम हो जाते हैं.

पिछले विधानसभा चुनावों के दौरान हरियाणा के कई इलाकों में कुंआरे लड़कों ने विधायक उम्मीदवारों के सामने शादी न होने को इलाके की बड़ी समस्यायों में से एक बताया था.

हरियाणा के कई लड़के तो बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड जैसे राज्यों से दुलहन लाने को मजबूर हैं. यही वजह है कि हरियाणा में इन राज्यों से लड़कियों की तस्करी के मामले उजागर हुए हैं.

उत्तराखंड में लड़कों की शादी में अड़चन

साल 2020-21 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक, उत्तराखंड में प्रति 1000 पुरुषों पर 984 महिलाएं हैं. लिंगानुपात के मामले में यह राष्ट्रीय औसत से भी बेहतर है, फिर भी इस राज्य में हरियाणा जैसे हालात क्यों पैदा हो गए हैं?

हरियाणा की तरह उत्तराखंड में भी अब लड़कों के लिए शादी की समस्या बड़े पैमाने पर नजर आने लगी है. उत्तराखंड पहाड़ों से घिरा हुआ प्रदेश है. वहां के कई पहाड़ी गांवों में सड़क, बिजली, पानी और सेहत से जुड़ी सेवाओं जैसी बुनियादी सहूलियतों की कमी है. कोई भी परिवार अपनी लड़कियों की शादी ऐसे गांव में नहीं करना चाहता, जहां पहुंचना मुश्किल हो.

उत्तराखंड में नैनीताल जिले के गैरीखेत जैसे अनेक गांव ऐसे हैं, जहां सड़क की कमी के चलते बरात नहीं पहुंच पाती, जिस से बनेबनाए रिश्ते टूट जाते हैं.

इस के अलावा उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में लड़कों की शादी में बेरोजगारी भी एक बड़ी अड़चन है. रोजगार के मौके बड़े कम हैं. कई नौजवान नौकरी की तलाश में शहरों की ओर भाग जाते हैं, लेकिन जो नौजवान गांव से बाहर नहीं निकल पाते, उन की माली हालत कमजोर रहती है. ऐसे लड़कों से कोई परिवार अपनी बेटी की शादी नहीं करना चाहता.

कई लड़के अपनी मनपसंद लड़की से प्रेम विवाह करना चाहते हैं, लेकिन गांवों में जातिवाद आज भी इतना मजबूत है कि जाति से बाहर शादी करने की हिम्मत करने वाले लड़कों को गांव तक छोड़ना पड़ता है.

राजस्थान में ऐसे हालात

हरियाणा और उत्तराखंड की तरह राजस्थान में भी लड़कों को शादी के लिए लड़कियां नहीं मिल रही हैं. शादी हो भी जाए तो ज्यादातर लड़कों की पत्नियां उन्हें छोड़ कर चली जाती हैं.

साल 2011 की जनगणना के मुताबिक राजस्थान का लिंगानुपात प्रति 1000 पुरुषों पर 928 महिलाएं था. इस मामले में तो राजस्थान अपने पड़ोसी राज्य हरियाणा से बेहतर है, लेकिन लड़कों के लिए लड़की न मिलने की जो समस्या हरियाणा और उत्तराखंड में है, वही राजस्थान में भी है.

राजस्थान के गांवदेहात के इलाकों में रोजगार के कम मौके हैं. कई नौजवान पढ़ाईलिखाई पूरी करने के बाद भी बेरोजगार हैं. छोटामोटा रोजगार करने का कोई स्किल नहीं है. जिस के पास कोई स्किल है भी उस की माली हालत ऐसी नहीं है कि वह कोई रोजगार कर सके.

राजस्थान में जनसंख्या घनत्व कम है, जिस से यहां प्राइवेट कंपनियां उतनी तादाद में नहीं हैं कि पढ़ेलिखे नौजवानों की बेरोजगारी कम हो सके. वहां के बड़े शहर गांवों से काफी दूर हैं, जिस से नौजवानों के लिए छोटीमोटी नौकरी मिलना भी मुश्किल होता है.

राजस्थान के कई इलाकों में दहेज प्रथा अभी भी चलन में है. लड़के के परिवार द्वारा मांगे जाने वाले दहेज की रकम कई बार लड़की के परिवार की माली हालत से मेल नहीं खाती, जिस के चलते शादी होने में अड़चन आती है.

गांवदेहात में ज्योतिष और कुंडली मिलान जैसे अंधविश्वास गहराई तक बैठे हुए हैं, जिस से कई बार लड़कों की शादी होतेहोते रह जाती है.

मांगलिक दोष जैसे अंधविश्वासों में भी नौजवानों को बेवकूफ बनाया जाता है. मांगलिक लड़के की शादी केवल मांगलिक लड़की से होनी चाहिए, इस पाखंड के चलते जोड़ी ढूंढ़ना मुश्किल हो जाता है.

राजस्थान के गांवदेहात के इलाकों में आज भी ‘नाता प्रथा’ कायम है, जिस में एक विधवा या तलाकशुदा औरत अपने पति की मौत होने या तलाक लेने के बाद उस के परिवार के किसी दूसरे मर्द जैसे देवर, भाई या कोई और करीबी रिश्तेदार के साथ शादी या सैक्स करती है.

इस प्रथा के चक्कर में कई बार औरतों की रजामंदी के बिना ही उन्हें ऐसा करने पर मजबूर किया जाता है. सामाजिक दबाव के चलते वे इस प्रथा की खिलाफत नहीं कर पाती हैं.

हालांकि, अब यह प्रथा पहले जितनी बड़े पैमाने पर नहीं रह गई है, लेकिन इस प्रथा के चलते भी आज की लड़कियां गांवदेहात में शादी करना नहीं चाहती हैं.

राजस्थान के कुछ गांवों में सड़क, परिवहन और दूसरी बुनियादी सहूलियतों की कमी के चलते बरात का आनाजाना मुश्किल होता है, जिस से बहुत से लड़के कुंआरे रह जाते हैं.

राजस्थान के दूरदराज के इलाकों में भी लड़कियां अब पढ़लिख रही हैं. लड़कियों को पढ़ाने को ले कर लोग भी पहले से ज्यादा जागरूक हो रहे हैं.

ऐसे में लड़कियां अब अपना भलाबुरा समझने लगी हैं, जिस के चलते कम पढ़ेलिखे या नकारा लड़कों को रिश्ते मिलने में मुश्किल होने लगी है.

शादी न होने की यह समस्या हरियाणा, उत्तराखंड और राजस्थान के लड़कों तक ही नहीं सिमटी है, बल्कि गुजरात और महाराष्ट्र के लड़कों के साथ भी तकरीबन ऐसे ही हालात पैदा हो रहे हैं, जो चिंता की बात है. Social Problem

Social Problem: मेरे घर के सामने पान की दुकान खुली है जिससे मैं बहुत परेशान हूं

Social Problem: अगर आप भी अपनी समस्या भेजना चाहते हैं, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें.

सवाल –

मैं दिल्ली के ग्रेटर कैलाश इलाके का रहने वाला हूं और मेरी उम्र 32 साल है. मेरे घर में मेरी पत्नी और मेरे 2 छोटे बच्चे हैं, जिस में एक बेटा और एक बेटी हैं. हमारे घर के सामने किसी ने एक दुकान खरीदी है और पान वाले को किराए पर दी है. पहले हमारी कालोनी का माहौल काफी अच्छा रहता था और बच्चों के साथ हम रात के समय टहलने भी निकलते थे. पर पान की दुकान खुलने से हमारे घर के सामने जवान लड़केलड़कियों का मेला लगा रहता था. कोई सिगरेट के कश लगा रहा होता है, तो कोई पान खा कर पिचकारी मार के गंदगी फैला रहा होता है. मैं ने जब उस पान वाले से इस बारे में बात की, तो उस ने कहा कि मेरा धंधा ही यही है और मैं दुकान का पूरा किराया देता हूं तो मैं इसे बंद नहीं कर सकता. ऐसे माहौल के चलते मैं अपनी पत्नी और बच्चों के साथ शाम के समय टहलने भी नहीं जा पाता. मुझे क्या करना चाहिए?

जवाब –

आप की बात काफी सही है, क्योंकि अकसर जहां पान की दुकानें होती हैं वहां लड़केलड़कियां घंटों तक बैठ कर इधरउधर की बातें करते दिखाई देते हैं और टाइमपास करते हैं. आप की परेशानी मैं समझ सकता हूं, क्योंकि पान की दुकान पर हर तरह के लोग आते हैं और तरहतरह की बातें करते हैं, जिस से फैमिली वालों को परेशानी हो सकती है.

आप सब से पहले अपने आसपड़ोस वालों से पूछिए कि क्या उन्हें भी इन सब चीजों से फर्क पड़ रहा है, क्योंकि जाहिर सी बात है कि अगर आप को दिक्कत हो रही है तो और लोगों को भी हो रही होगी. जो काम एक अकेला इनसान नहीं कर पाता, वह काम पूरी सोसाइटी मिल कर कर लेती है.

आप सब मिल कर सब से पहले दुकान के मालिक से बात कीजिए कि पान वाले की वजह से सोसाइटी का माहौल खराब हो रहा है जो बिलकुल गलत है. आप उस दुकान के मालिक से रिक्वैस्ट कर सकते हैं कि वे अपनी दुकान किसी किराना स्टोर या किसी और काम के लिए किराए पर चढ़ाएं.

अगर वे नहीं मानते हैं तो आप सब मिल कर पुलिस में शिकायत कर सकते हैं कि पान की दुकान के कारण आप की सोसाइटी का माहौल खराब हो रहा है और गंदगी भी होने लगी है. उम्मीद है कि पुलिस आप की जरूर सहायता करेगी.

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Social Problem: मेरे घर के सामने पीजी के लड़के अंडरवियर पहने बाहर खड़े रहते हैं

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सवाल –

मैं कोटा, राजस्थान का रहने वाला हूं और मेरी उम्र 27 साल है. मेरे घर के सामने एक पीजी है, जिस में स्टूडैंट्स रहते हैं. वे सभी स्टूडैंट्स आईआईटी की तैयारी करने यहां आए हुए हैं. मैं शुरुआत से ही कोटा में रहता हूं. मेरे घर में मांबाप और 3 बहने हैं. हमारे घर में अकसर मेरी बहनों की फ्रैंड्स भी आती हैं. पिछले कई दिनों मैं अपने घर के सामने वाले पीजी में देखता हूं कि वहां के लड़के ज्यादातर समय बालकनी में खड़े हो कर मेरे घर की तरफ देखते रहते हैं, जो मुझे काफी अजीब लगता है. कई बार तो वे लड़के सिर्फ अंडरवियर पहने बाहर खड़े रहते हैं. हमारे घर में लड़कियों का होना और सामने ऐसे लड़के जानबूझ कर इस अवस्था में खड़े रहेंगे तो किसी को भी अच्छा नहीं लगेगा. ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए, क्योंकि उस पीजी का मालिक भी वहां नहीं रहता, ताकि मैं शिकायत कर सकूं?

जवाब –

आप का चिंता करना जायज है, क्योंकि जिस के घर में भी मांबहनें होंगी, वह ऐसे लोगों से परेशान होगा कि जो इस तरह की हरकत करते हैं. उन्हें खुद सोचना चाहिए कि उन के घर की बहनबेटियों के सामने अगर कोई बिना कपड़ों के सिर्फ अंडरवियर पहने खड़ा रहेगा तो उन्हें कैसा लगेगा.

आप को सबसे पहले उस पीजी के मालिक को यह सब बताना चाहिए, क्योंकि उन लड़कों को बोलने का कोई फायदा नहीं है. आप को पीजी के मालिक को इस बात को ले कर शिकायत करनी चाहिए कि उन के किराएदार बिना कपड़ों को आप के घर की तरफ घूरते रहते हैं. हो सकता है कि पीजी का मालिक आप की बातों को सीरियस न ले, तो ऐसे में आप उसे पुलिस में शिकायत दर्ज करने की धमकी भी दे सकते हैं.

अगर धमकी से भी बात न बने तो जब वे लड़के बाहर खड़े हों तब आप उन की वीडियो बना लीजिए. वीडियो बनाने के बाद आप सीधा पुलिस में शिकायक दर्ज करा सकते हैं कि आप उन लड़कों की इस हरकत से परेशान आ चुके हैं. पुलिस में शिकायत करने से लड़के ऐसी हरकत करने से पहले सौ बार सोचेंगे.

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Social Problem: हमारी बिल्डिंग में एक फैमिली शिफ्ट हुई है जो देर रात तक पार्टी करते हैं

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सवाल –

मेरी उम्र 25 साल है और मैं अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहता हूं. मेरे पिताजी की सरकारी नौकरी है और मां हाउसवाइफ हैं. मैं एक प्राइवेट कंपनी में जौब करता हूं और साथ ही साथ सरकारी नौकरी की भी तैयारी कर रहा हूं. हमारे फ्लैट के ऊपर वाले फ्लोर पर एक फैमिली शिफ्ट हुई है जो अकसर पार्टी करती रहती है. उन की पार्टी देर रात तक चलती है जिस के चलते जोरजोर से गानेबजाने की आवाज हमारे फ्लैट तक आती है. हम ने कई बार उन से रिक्वैस्ट कर के भी देख लिया कि हमें सुबह औफिस जाना होता है और हमारी नींद खराब होती है पर वे किसी की नहीं सुनते. मैं ने पुलिस में शिकायत करने की बात भी की पर मेरे पिताजी काफी शरीफ हैं तो वे किसी से दुश्मनी नहीं मोल लेना चाहते. आप ही बताइए कि हमें क्या करना चाहिए?

जवाब –

दिल्ली जैसा शहर में अकसर ऐसी समस्याएं आती हैं जहां लोग देर रात तक पार्टी और गानाबजाना कर अपनी तो नींद खराब करते ही हैं और साथ ही दूसरों की भी करते हैं. आप को और आप की फैमिली को थोड़ा स्ट्रौंग बनना पड़ेगा और उन से सख्ती से बात करनी पड़ेगी.

आप अपने साथसाथ ऐसे लोगों को देखिए जो उन की इस हरकत से परेशान हों क्योंकि ऐसा नहीं हो सकता कि अकेले आप ही उन के गानेबजाने से परेशान हो रहे हों. आप लोगों को इकट्ठा कर उन के पास बात करने जाएं और उन से कहें कि उन के इस तरह देर रात तक गानाबजाना करने से सभी लोग परेशान हो रहे हैं.

आप के पिताजी की सोच ठीक है कि किसी से दुश्मनी नहीं मोल लेनी चाहिए लेकिन ऐसे लोगों से डर कर परेशान होना भी गलत है. इस से आप की डेली लाइफ पर असर पड़ सकता है. आप उस फैमिली को धमकी दे सकते हैं कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो आप उन के खिलाफ पुलिस में शिकायत कर देंगे. अगर वे मान जाते हैं तो ठीक नहीं तो एक बार आप पुलिस में शिकायत कर सकते हैं. ऐसा करने से उन के मन में डर पैदा होगा.

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Social Problem: लव जिहाद का जंजाल

Social Problem: दूसरे धर्म के लड़के से शादी करना कोई गुनाह नहीं होना चाहिए पर हर धर्म इस पर न सिर्फ नाकभौं चढ़ाता है, मरनेमारने को भी तैयार हो जाता है. धर्म के कारण चाहे न लड़के के बदन में कोई कोढ़ हो, न पैसा हो, लड़की को कोई कैंसर जैसी बीमारी न हो पर धर्मों ने ऐसा जाल बुन रखा है मानो दूसरे धर्म में शादी करना ऐसा है जैसे कोरोना के मरीज से शादी हो रही हो.

दिल्ली के पास रह रही गाजियाबाद की सोनिका चौहान की जिंदगी उस के मांबाप और आसपास के लोगों ने मुहाल कर रखी है क्योंकि उस ने एक खातेपीते मुसलिम घर के लड़के अकबर से शादी कर ली. हिंदू गैंग इसे लव जिहाद मान कर अकबर को भी परेशान कर रहे हैं और सोनिका के मांबाप से उन्होंने सोनिका को किडनैप करवाने की एफआईआर भी लिखवा दी. अकबर 16 दिन जेल में काट कर आया और तब उसे जमानत पर छोड़ा गया. मामला तो लंबा चलेगा और कब सोनिका के घर वाले उस को मनवा लें कि उस ने अपने प्रेमी से बहकावे व धोखे में शादी कर ली, पता नहीं.

यह शादी अगस्त, 2022 में हुई थी पर 3 साल बाद भी हिंदू गैंगों का गुस्सा ठंडा नहीं हुआ है.

अकबर व सोनिका एकदूसरे को बचपन से जानते थे और एक ही इलाके में रहते थे. शादी उन्होंने स्पैशल मैरिज ऐक्ट के तहत की थी इसलिए 3 साल की गुंडागर्दी के बाद भी दोनों आराम से नहीं रह पा रहे.

यह हाल हजारों जोड़ों का देशभर में हो रहा है जिन्होंने किसी दूसरे धर्म में शादी की, जबकि स्पैशल मैरिज ऐक्ट इसे वाजिब मानता है. जहां भाजपा सरकारों ने इस तरह की शादियों पर कानून बनाए भी हैं, वे भी सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के अनुसार काफी लचीले बनाने पड़े हैं और इन शादियों को मुश्किल बनाया गया, पूरी तरह गैरकानूनी नहीं. धार्मिक गैंगों के दबाव में पुलिस वालों को दखल देना पड़ता है.

इस की जड़ में दोनों धर्मों के दुकानदारों के पैसे खोने का डर है. हर ऐसी शादी का मतलब है कि जो दानदक्षिणा पंडितों या मुल्लाओं को मिलती है, वह बंद हो जाएगी. यही नहीं, ऐसी शादी से होने वाले बच्चों का कोई धर्म नहीं होता क्योंकि उन्हें 18 साल का होने पर धर्म चुनने का हक होता है. हर धर्म जन्म से ही बच्चों पर अपना हक जमाने लगता है और उन के जरीए कमाई करना शुरू कर देता है. तरहतरह की रीतियां धर्म के दुकानदार की मौजूदगी में उसे पैसा दे कर होती हैं. ऐसे में कोई ग्राहक को यों ही क्यों खोने दे?

लव जिहाद का नाम ले कर हिंदू गुंडों को एकजुट होने का मौका मिलता है. गाय तस्करी, मूर्ति को तोड़ना और लव जिहाद गुंडागर्दी के बड़े मौके होते हैं. खाली बैठे कट्टर हिंदू युवाओं को कमाई का अच्छा मौका हर लव जिहाद में मिलता है. इसे ऐसे ही कोई हाथ से क्यों निकलने दे?

अफसोस है कि सरकार अब युवाओं के हकों की जगह दोनों धर्मों के गुरगों की धौंस को बढ़ावा दे रही है. यह युवाओं के दिल की पुकार पर हमला है. प्रेम और शादी युवाओं का मौलिक हक है और धर्म की पैसा वसूलने की जो फटी सी मैली सी चादर उन्हें दी जाती है उस से प्रेम का जोर छिपता नहीं है. इस फटी चादर को तो सदियों पहले फेंक दिया जाना चाहिए था, पर आज भी सोनिका और अकबर जैसों के लिए यह आफत है. Social Problem

Social Problem : हर जगह पसरा नशा

Society Problem : बात चाहे शराब की हो या फिर स्मैक और गांजे की, सब से बड़ी चिंताजनक बात यह है कि बड़े तो दूर बच्चे भी अब नशे की लत में जकड़ते जा रहे हैं. इन में स्कूली बच्चे भी शामिल हैं. किशोर उम्र के बच्चे गलत संगत के चलते बिगड़ रहे हैं और नशा कर रहे हैं.

नशे की लत लगने से जहां एक ओर नौजवान व बच्चों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर उन का भविष्य भी अंधकारमय हो रहा है.

स्मैक और गांजे का सेवन आम हो गया है. इन से शरीर का नाश ही नहीं होता है, बल्कि इन की लत को पूरा करने के लिए बहुत से बच्चे जुर्म के दलदल में फंस रहे हैं.

पुलिस के अब तक के ऐक्शन में यह सचाई सामने आई है कि गांजा और स्मैक पीने वालों की बढ़ती तादाद के चलते इस का गैरकानूनी कारोबार तेजी से पनपा है. यह नशा केबिन, ठेले और दुकानों पर आसानी से मिल रहा है. इन के खरीदार बड़े ही नहीं, बल्कि बच्चे भी खूब हैं.

हाल ही में भीलवाड़ा पुलिस के हाथ लगे बच्चे भी गांजा और स्मैक के आदी नजर आए. इज्जत को धक्का न लगे, इसलिए परिवार ने भी पुलिस अफसरों से गुजारिश कर के उन की कार्यवाही से पल्ला झाड़ लिया.

निशाने पर कोटा और सीकर के छात्र भी

देशभर से कोटा और सीकर शहर में तालीम के लिए आए छात्र ड्रग्स माफिया का सौफ्ट टारगेट बन रहे हैं. ड्रग कैरियर पहलेपहल बच्चों के रोजमर्रा के कामों में मदद कर के उन का भरोसा जीतते हैं, फिर पढ़ाई में एकाग्रता बढ़ाने की ‘गोली’ देने के बहाने उन्हें ड्रग्स से जोड़ देते हैं. पहले कुछ दिन में एक पुडि़या या गोली से बात शुरू होती है, फिर धीरेधीरे लत लग जाती है.

ड्रग्स सप्लाई करने वालों ने कोचिंग और होस्टल वाले इलाकों के आसपास अपने ठिकाने बना रखे हैं, जहां से एक फोन करने पर ड्रग्स सप्लाई की जाती है. कोटा व सीकर में अलगअलग इलाकों में एमडी, गांजा, स्मैक और चरस के अलगअलग कोडवर्ड भी चलन में हैं.

‘पुडि़या’, ‘माल’, ‘बंशी’, ‘पीपी’, ‘टिकट’, ‘बच्चा’, ‘ट्यूब’, ‘पन्नी’, ‘डब्बा’ जैसे कोडवर्ड में नशे का कारोबार होता है. यहां 200 से 2,000 रुपए की कीमत पर गलीगली में नशा बिक रहा है. शहर में रोजाना 40 से
50 लाख रुपए का नशा बिकता है.

ड्रग्स के सौदागर छात्रों को होम डिलीवरी भी कर रहे हैं. बुकिंग सोशल मीडिया पर होती है और बिना नंबर की बाइक से ड्रग्स सप्लाई की जाती है.

प्राइवेट पार्ट में नशे का इंजैक्शन

नशे ने गांव से शहर तक नौजवानों को इस कदर अपने आगोश में ले लिया है कि नौजवान नशे के इंजैक्शन लगा कर अपनी जिंदगी को बरबाद कर रहे हैं. हैरानी की बात यह है कि जब हाथपैर की नसें इंजैक्शन लगाने के काबिल नहीं रहती हैं, तो वे अपने प्राइवेट पार्ट पर भी इंजैक्शन लगाने लगते हैं और कुछ महीनों या कुछ साल नशा करने के बाद बहुत से तो दम तोड़ देते हैं.

बीते कुछ ही महीनों में राजस्थान के अलगअलग इलाकों से 2 दर्जन से ज्यादा नौजवानों की मौत की ऐसी ही खबरें सामने आई हैं. ये नौजवान सुनसान जगहों पर जा कर नशे का इंजैक्शन लगाते हैं और फिर ओवरडोज से वहीं दम तोड़ देते हैं.

8 जनवरी, 2025 को जयपुर के चाकसू कसबे के एक सूखे तालाब में एक नौजवान की लाश मिली थी, जिस के नशे की ओवरडोज से मौत होने की बात सामने आई है.

पिछले कुछ महीनों में देहात इलाकों में नशे का चलन खतरनाक ढंग से बढ़ा है. नौजवान समूह में झाडियों व सुनसान जगह जा कर नशा कर रहे हैं.

जो नौजवान नशे के आदी हो चुके हैं, उन में ज्यादातर की उम्र 30 साल से कम है. ये नौजवान नशे को स्टेटस सिंबल बना रहे हैं और फिर इस मकड़जाल में फंसते जा रहे हैं. जिसे एक बार नशे की लत लग जाती है, वह फिर नशा करने के लिए आपराधिक वारदातों को अंजाम देता है.

ये नशेड़ी कृषि यंत्रों, कबाड़ की दुकानों, धार्मिक स्थलों को भी निशाना बनाते हैं. नशे की ललक पूरी करने के लिए वे अपने घर का सामान तक भी चोरी कर के बेच देते हैं.

स्मैक के बढ़ते मामलों पर ऐक्सपर्ट लोगों का मानना है कि यह ऐसा नशा है, जिस से मुंह से बदबू नहीं आती. ऐसे में परिवार के दूसरे सदस्य को इस का पता नहीं चल पाता. जब नशे की लत पड़ जाती है, तो वे घर में छोटीबड़ी चोरियां करने लगते हैं.

जब तक उन की हरकतों का पता परिवार वालों को चलता है, तब तक वे नशे के पूरी तरह आदी हो चुके होते हैं और अब तो नौजवानों के साथ ही औरतें और लड़कियां भी नशा कर रही हैं. यह बड़ी चिंता की बात है.

बच्चों में नशे के लक्षण

डाक्टरों के मुताबिक, जिन बच्चों को गांजे और दूसरे नशे की लत पड़ जाती है, उन के बरताव में बदलाव होता है. वे अनिद्रा के शिकार होने लगते हैं, आंखों के नीचे काले धब्बे पड़ जाते हैं, वे पढ़ाई में दिलचस्पी लेना बंद कर देते हैं. इस के साथ घर से चोरी और झूठ का सहारा तक लेते हैं.

इस के समाधान के लिए आने वाली नौजवान पीढ़ी को नशामुक्ति अभियान से जोड़ना जरूरी है. स्कूलों में बच्चों के साथ काउंसिलिंग कर के उन को नशे के गलत नतीजों के बारे में समयसमय पर बताना जरूरी है.

इस के तहत बच्चों को नशे का प्रकार, शारीरिक नुकसान, गलत संगति और बुरे असर के बारे में अच्छी तरह से बताना जरूरी है. इस के अलावा परिवार वालों के साथ टीचर भी बच्चों पर नजर रखें.

दिक्कत यह है कि लोग इस समस्या को छोटा समझ कर अनदेखा कर देते हैं. पुलिस प्रशासन भी ढीला पड़ जाता है. यही वजह है कि नशे का दानव दिनोंदिन अपने पैर पसार रहा है.

झूठे प्रचार की मिली सजा : रामदेव की सुप्रीम कोर्ट में माफी

योग के जरीए देशदुनिया में अपनी पहचान बनाने वाले बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में हाथ जोड़ कर माफी मांग कर देश की जनता को जता दिया है कि अपने झूठे विज्ञापनों के चलते वे देश से माफी मांग रहे हैं और ऐसा काम आगे नहीं करेंगे.

दरअसल, कोरोना काल में कोरोनील नाम की एक दवा आई थी, जिसे लोगों ने विश्वास कर के खरीदा और रामदेव ने करोड़ों रुपए कमा लिए. यह सीधासीधा किसी लूट से कम नहीं था, मगर नरेंद्र मोदी की केंद्र सरकार ने तब आंखें बंद कर ली थीं.

इस का सीधा सा मतलब यह है कि अगर आप हमारे काम आते हैं तो आप का सारा अपराध माफ है. यह कल्पना की जा सकती है कि अगर सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव के बरताव और काम करने के तरीके पर ध्यान नहीं दिया होता तो रामदेव आज भी मुसकराते हुए बड़ेबड़े दावे कर के अपनी उन दवाओं को देश की जनता को बेचते रहते, जिसे सीधेसीधे झूठ और ठगी काम कहा जा सकता है. इतना ही नहीं, देशभर के बड़े चैनलों में विज्ञापन को दे कर अपनी बात को सच बताना भी कोई छोटामोटा अपराध नहीं है. यही वजह है कि सुप्रीम कोर्ट में इसे गंभीरता से लिया और आखिरकार रामदेव ने वहां हाजिर हो कर माफी मांग ली.

इस तरह जो काम नरेंद्र मोदी की सरकार नहीं कर पाई उसे देश के सुप्रीम कोर्ट ने देश की जनता के सामने ला कर रख दिया और चेहरे पर से नकाब उतार दी या कहें कि रामदेव के तन से वह चोला उतार दिया, जिस के भरोसे वे देश की जनता और कानून को ठेंगा दिखाते रहे हैं. यह साबित हो गया है कि रामदेव कोई जनसेवा या देश की जनता के हमदर्द नहीं हैं, बल्कि वे भी एक ऐसे व्यापारी हैं, जो सिर्फ मुनाफा कमाना चाहता है.

आप को बता दें कि पहले भ्रामक विज्ञापन के मामले में पतंजलि आयुर्वेद को सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाई थी और बाबा रामदेव व कंपनी के एमडी आचार्य बालकृष्ण को पेशी पर बुलाया था. आखिर तय तारीख पर रामदेव और बालकृष्ण दोनों ही बड़ी अदालत पहुंचे. इस दौरान सुनवाई शुरू हुई तो बाबा रामदेव के वकील ने कहा कि हम ऐसे विज्ञापन के लिए माफी मांगते हैं. आप के आदेश पर खुद योगगुरु रामदेव अदालत आए हैं और वे माफी मांग रहे हैं और आप उन की माफी को रिकौर्ड में दर्ज कर सकते हैं.

बाबा रामदेव के वकील ने आगे कहा, ‘हम इस अदालत से भाग नहीं रहे हैं. क्या मैं यह कुछ पैराग्राफ पढ़ सकता हूं? क्या मैं हाथ जोड़ कर यह कह सकता हूं कि जैंटलमैन खुद अदालत में मौजूद हैं और अदालत उन की माफी को दर्ज कर सकती है.

सुनवाई के दौरान पतंजलि के वकील ने भ्रामक विज्ञापन को ले कर कहा कि हमारे मीडिया विभाग को सुप्रीम कोर्ट के आदेश की जानकारी नहीं थी, इसलिए ऐसा विज्ञापन चला गया.

इस पर बैंच में शामिल जस्टिस अमानुल्लाह और जस्टिस हिमा कोहली की बैंच ने कहा कि यह मानना मुश्किल है कि आप को इस की जानकारी नहीं थी.

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर, 2023 में ही रामदेव के पतंजलि को आदेश दिया था कि वह भ्रामक दावे करने वाले विज्ञापनों को वापस ले. यदि ऐसा नहीं किया गया तो फिर हम ऐक्शन लेंगे. ऐसी हालत में पतंजलि के हर गलत विज्ञापन पर 1 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया जाएगा.

इस दौरान जस्टिस अमानुल्लाह ने कहा कि रामदेव ने योग के मामले में बहुत अच्छा काम किया है, लेकिन एलोपैथी दवाओं को ले कर ऐसे दावे करना ठीक नहीं है, जबकि इंडियन मैडिकल एसोसिएशन के वकील ने कहा कि वे अपना विज्ञापन करें, लेकिन उस में एलोपैथी चिकित्सा पद्धति की बेवजह आलोचना नहीं होनी चाहिए.

सुनवाई के दौरान जस्टिस हिमा कोहली ने केंद्र सरकार की भी खिंचाई की. उन्होंने कहा कि हमें हैरानी है कि आखिर इस मामले में केंद्र सरकार ने अपनी आंखें बंद रखीं.

इस पूरे मामले पर अगर देश की जनता गौर करे तो यह साफ है कि रामदेव ने सिर्फ रुपए कमाने के लिए झूठा विज्ञापन जारी किया और सीधेसीधे जनता को ठग लिया. दरअसल, ये सारे पैसे सरकार को वसूल लेने चाहिए, ताकि देश में यह संदेश चला जाए कि ठगी करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा.

शर्मनाक: जीती जागती लड़की का मृत्युभोज

कल एक ह्वाट्सएप ‘ग्रुप में शोक संदेश का कार्ड आया. शोक संदेश में एक लड़की की मौत होने और उस की ‘पीहर गौरणी’ यानी मृत्युभोज का आयोजन होने का ब्योरा छपा था. शोक संदेश पर लड़की की तसवीर भी छपी थी.

बहुत ही कमउम्र लड़की की मौत के इस शोक संदेश को पढ़ कर दुख हुआ, लेकिन जैसे ही कार्ड के साथ लिखी इबारत को पढ़ा तो मैं हैरान रह गया. आंखें हैरानी से खुली रह गईं, क्योंकि यह मृत्युभोज किसी लड़की की मौत पर नहीं, बल्कि उस के जीतेजी किया जा रहा था.

उस शोक संदेश में लड़की की मौत की तारीख  1 जून, 2023 लिखी थी और मृत्युभोज  का आयोजन 13 जून, 2023 को आयोजित किया जाना लिखा था. यह मृत्युभोज लड़की के दादा, पिता, चाचा, ताऊ और भाई कर रहे थे.

यह मामला केवल हैरानी तक सीमित नहीं है, बल्कि यह परेशान करने वाला है. इस से पता चलता है कि हमारा समाज आज भी किस मोड़ पर खड़ा है. यह शोक संदेश राजस्थान के भीलवाड़ा जिले के एक गांव से आया था.

वहां की 18 साल की एक लड़की ने अपनी पसंद के लड़के से शादी रचा ली थी और उस के इस ‘अपराध’ की सजा उसे जीतेजीते मरा घोषित कर के दी जा रही थी.

इस लड़की की सगाई गांव के ही एक लड़के से हुई थी. किसी वजह से परिवार वालों ने यह सगाई तोड़ दी, लेकिन लड़की ने इसे मंजूर नहीं किया. वह उसी लड़के से शादी करने पर अड़ गई.

परिवार वालों ने हामी नहीं भरी, तो लड़की ने घर से भाग कर उसी लड़के से शादी कर ली.  जब परिवार वालों ने लड़की की गुमशुदगी दर्ज कराई, तो पुलिस ने उसे ढूंढ़ कर बयान लिए. लड़की ने अपनी मरजी से शादी करने की बात कह कर परिवार वालों के साथ जाने से इनकार कर दिया.

लड़की का यह रवैया परिवार वालों को किस कदर नागवार गुजरा होगा, इस बात का अंदाजा शोक संदेश से लगाया जा सकता है. उन्होंने इस के विरोध में वही तरीका अपनाया, जो गांवदेहात में प्रचलित है यानी लड़की को मरा घोषित कर के उस का मृत्युभोज कर देना.

लड़की के परिवार वालों ने इसे अपनी ‘पगड़ी की लाज’ बचाने का कदम बताया है.  जब कोई लड़की भाग कर शादी कर लेती है, तो समाज उस के परिवार वालों को किस कदर शर्मिंदा करता है, यह किसी से छिपा नहीं है.

लड़की के भाग जाने की खबर सार्वजनिक होते ही उस के परिवार वालों पर थूथू की जाने लगती है. इस मामले में भी यही हुआ. जब प्रिया नामक इस लड़की ने अपनी मरजी से शादी रचाई, तो किसी ने इस की खुशी नहीं मनाई.

परिवार वालों पर यह खबर बिजली की तरह गिरी. उन्हें लगा कि वे किसी को चेहरा दिखाने लायक नहीं रहे. गांव के पंचपटेलों ने भी जलती आग  में घी का काम किया.

इस का नतीजा जीतीजागती लड़की के शोक संदेश के रूप में सामने आया. यह अपनी तरह का कोई पहला मामला नहीं है. लड़की के अपनी मरजी से शादी कर लेने पर गांवदेहात में ऐसी बातें अकसर सुनने को मिलती रहती हैं.

पहले ऐसी बातें अखबारों की सुर्खियां नहीं बनती थीं, लेकिन सोशल मीडिया के दौर में अब ऐसी बातें फौरन घरघर तक पहुंच जाती हैं. 2-3 साल पहले मध्य प्रदेश में मंदसौर के पास एक गांव की 19 साल की शारदा ने अपनी पसंद के लड़के से शादी की, तो उस के परिवार वालों ने भी वैसा ही कुछ किया था, जो अब प्रिया के परिवार वालों ने करने की सोची.

सवाल उठता है कि आखिर ऐसा कर के किसी को मिलेगा क्या? दरअसल, भाग कर शादी करने वाली लड़कियों के परिवार वाले उन के जीतेजी मृत्युभोज कर के अपनी नाक ‘ऊंची’ फिर से करना चाहते हैं.  उन्हें लगता है कि जब वे अपनी लड़की को मरा मान लेंगे, तो समाज उन्हें कुसूरवार नहीं ठहराएगा, बल्कि उन की गिनती उन ‘बेचारों’ में होगी, जिन की परवाह उस औलाद ने भी  नहीं की, जिसे उन्होंने पालापोसा और पढ़ायालिखाया.

21वीं सदी में पहुंचने के बावजूद भी समाज की असली तसवीर यही है. इस का सुबूत हैं वे बातें, जो भीलवाड़ा की प्रिया के मृत्युभोज का कार्ड सोशल मीडिया पर वायरल होने पर सामने आईं.  ऐसे लोगों की तादाद कम नहीं है, जो जीतीजागती लड़की का मृत्युभोज करने को सही ठहरा रहे हैं.

इसे अच्छी पहल बताया जा रहा है. समाज में हम अकसर लोगों को नारी सशक्तीकरण की बातें करते सुनते हैं, लेकिन जब कोई लड़की अपनी मरजी  से शादी कर लेती है, तो उसे कुलटा, कलंकिनी, कुलबैरन, खानदान की नाक कटाने वाली और न जाने क्याक्या कहा जाने लगता है.

कई बार तो मनमरजी से शादी करने का बदला लड़की की हत्या कर के लिया जाता है. समझ नहीं आता कि लड़की के अपनी मरजी से शादी करने पर ही कुल की नाक नीची क्यों होती है? कोई लड़का अगर पसंद की लड़की से शादी कर ले, तो ऐसा हंगामा क्यों नहीं बरपता? इस से भी बड़ा सवाल यह है कि क्या एक बालिग लड़की को अपनी पसंद से शादी करने का भी हक नहीं है?

नामर्द भी बना सकता है तंबाकू

तंबाकू सभी जानते हैं कि हमारे देश में नौजवानों की आबादी ज्यादा है, पर आज के मौडर्न लाइफस्टाइल और बेफिक्रे स्वभाव का उन पर बहुत ज्यादा असर दिखता है. ऐसे में उन में तंबाकू का सेवन और बीड़ीसिगरेट पीने का चलन ज्यादा दिखता है. इस की लत इतनी ज्यादा खराब होती है कि चाह कर भी इस के चंगुल से बाहर निकल पाना मुश्किल होता है. इस से इन का शरीर और घरपरिवार धीरेधीरे सब खत्म हो जाता है. इस बारे में एसआरवी हौस्पिटल, चैंबूर, मुंबई की हैड और नैकओरल औंकोसर्जन डाक्टर खोजेमा फतेही कहते हैं कि तंबाकू के लगातार सेवन से कैंसर जैसी बीमारी होने के साथसाथ इनसान नामर्द भी बन सकता है,

क्योंकि तंबाकू के सेवन से दिमाग और नर्वस सिस्टम कमजोर हो जाता है. इस से इनसान के दिमाग से ले कर उस की सैक्स लाइफ पर बुरा असर पड़ता है. अगर इन बीमारियों से बचना है, तो इस की लत छोड़ने की जरूरत है. मुंह के कैंसर में बढ़ोतरी एक सर्वे में यह पाया गया है कि भारत में तंबाकू के सेवन से मुंह के कैंसर में लगातार बढ़ोतरी हो रही है, जिस में 90 फीसदी फेफड़ों के कैंसर और दूसरे कैंसर की वजह बीड़ीसिगरेट पीना ही है. दरअसल, ज्यादा बीड़ीसिगरेट पीने से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है, क्योंकि ऐसा करने के चलते ब्लड प्रैशर में अचानक बढ़ोतरी होने से दिल को खून की सप्लाई में कमी हो जाती है. इस से दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है. इस के अलावा तंबाकू और बीड़ीसिगरेट के सेवन की वजह से औरतों और लड़कियों में पेट गिरने का खतरा बढ़ जाता है,

जबकि मर्दों में यह सब नामर्दी की वजह बनता है. तंबाकू है क्या दरअसल, तंबाकू में 4,000 से ज्यादा रसायन होते हैं. इन रसायनों में निकोटिन एक ऐसा रसायन है, जो इनसान को थोड़ी देर के लिए अच्छा महसूस करवाता है, इसलिए इनसान तंबाकू का सेवन करता है. निकोटिन के अलावा फिनाइल, नाइटोअमाइड, कार्बनमोनोऔक्साइड, डेनजिन वगैरह भी होते हैं, जिन का इनसान के शरीर पर बुरा असर पड़ता है, जिस में मुंह, होंठ, जबड़े, फेफड़े, गले, पेट, गुरदे और मूत्राशय का कैंसर होने का डर बना रहता है. खतरनाक होते हैं रसायन डाक्टर खोजेमा फतेही आगे कहते हैं कि तंबाकू एक ऐसा पदार्थ है, जिस में कई ऐसे रसायन हैं, जिन का इनसान की सेहत पर बुरा असर पड़ता है और जो उन्हें कई बीमारियों का शिकार बनाने के अलावा नामर्दी की ओर धकेलते हैं, खासकर नौजवान तबके को इस से बचना होगा, क्योंकि 80 फीसदी नौजवान तबका इस दलदल में फंस चुका है.

होता है बांझपन तंबाकू का सेवन करने वालों को इस का सेवन न करने वालों की तुलना में ज्यादा बांझपन का सामना करना पड़ता है. तंबाकू की वजह से अंडे और शुक्राणु का डीएनए खराब हो जाता है. प्रजनन समस्याओं का सामना करने वाले मर्दों के अलावा नशे की लत वाली औरतों और लड़कियों में भी पेट से होने की उम्मीद कम हो जाती है, क्योंकि अंडे के खराब होने के पीछे निकोटिन, कार्बनमोनोऔक्साइड और साइनाइड खास वजह होते हैं. शीघ्रपतन की समस्या ज्यादा बीड़ीसिगरेट पीने या तंबाकू के सेवन के चलते मर्दों में नामर्दी बढ़ती है. साथ ही, उन की सैक्सुअल लाइफ पर बुरा असर पड़ता है. उन में शीघ्रपतन की समस्या भी शुरू हो जाती है. ज्यादा मात्रा में तंबाकू का सेवन करने से धीरेधीरे उन की सैक्स ताकत में कमी आ जाती है. इलाज करें ऐसे इस तरह के नशे से खुद को छुड़ाने के लिए किसी संस्था या डाक्टर की सलाह लेना जरूरी है. किसी भी तरह के झाड़फूंक और पूजापाठ से बचें, ताकि आप को सही सलाह मिले और आप इस बुराई से दूर रह सकें.

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