सेल्फी बनी दुश्मन !

‘सेल्फी’ की मकबुलियत बढ़ती जा रही है. और सच कहा जाए तो यह अपने चरमोत्कर्ष पर है. आज मोबाइल कैमरे के माध्यम से नन्हे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सेल्फी ले रहे  हैं. यह जीवन की खुशियों को बढ़ा रही है. याद कीजिए जब दस वर्ष पूर्व मोबाइल आ चुके थे मगर  उसमें सिर्फ एक ही कैमरा हुआ करता था. सेल्फी की सुविधा नहीं थी. जब नए सेल्फी मोड कैमरे आने लगे, मोबाइल कंपनियों ने सेल्फी की सुविधा देनी शुरू की तो मानो आम आदमी की दुनिया ही बदल गई.

एक वह वक्त भी था, जब अपना फोटो लेने के लिए हम दूसरे के मोहताज हुआ करते थे. मगर सेल्फी ने आकर हमारी दुनिया ही रंगों से भर  दी है.मगर यह भी सच है कि सेल्फी के कारण आज ऐसा कोई दिन नहीं होता जब कोई बंदा हलाक न हो जाता हो. सेल्फी लेने की धुन में अभी तक जाने कितनी जाने चली गई है इसका कोई सही आंकड़ा नहीं है आवश्यकता है जरूरत है संभलकर चलने की, सेल्फी के इस्तेमाल को समझदारी से करने की.

युवा वर्ग चपेट में….

सेल्फी लेने की धुन में युवा वर्ग ऐसा मद मस्त हो जाता है कि सब कुछ भूल जाता है और ऐसे में दबे पांव मौत आती है. सेल्फी के कारण जाने कितनी मौतें हो चुकी हैं जिसकी कोई गणना सरकार के पास नहीं है. मगर अक्सर अखबारों में सेल्फी के कारण हुई मौत पर खबरें बनती है यह खबर सुर्खियों में आती है और लोग भूल जाते हैं.

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मनोवैज्ञानिक डॉक्टर जी .आर. पंजवानी बताते हैं सेल्फी दरअसल जब जुनून बन जाती है तो दुर्घटना में तब्दील हो जाती है.  आवश्यकता है  होश में रहने और संभलकर सेल्फी लेने की . डॉक्टर पंजवानी बताते हैं सेल्फी से अधिकतम युवा वर्ग ही चपेटे में आता है इसका भी कारण है दरअसल युवा सेल्फी लेने वक्त खुशी से सारोबार हो जाता है और अपनी सुधबुध को भुला बैठता है, और तभी दुर्घटना कारित हो जाती है.

आवश्यकता समझाइस की….

रिटायर्ड पुलिस अधिकारी चंद्रमा सिंह राजपूत ने हमारे सवांददाता को सेल्फी प्रकरण में चर्चा करने पर विस्तार से बताया उन्होंने कुछ ऐसे प्रकरण हैंडल किए हैं जांच की है. उन्होंने बताया जब वे रायगढ़ जिला में पदस्थ थे तब वहां के मशहूर जल प्रताप में दो युवकों की सेल्फी लेते वक्त असामयिक मृत्यु हो गई थी . जांच में यह तथ्य सामने आए की वह उनकी चूक थी. उन्होंने बताया दरअसल युवा वर्ग जब कहीं पिकनिक स्पौट या किसी नए नई जगह या शहर जाता है तो खुशी से सरोबार होता है और आगे पीछे नहीं देखता तभी दुर्घटना हो जाती है. इसलिए परिजनों अभिभावकों को समझाइश देते रहना होगा. ऐसे मौके पर बच्चों पर निगाह रखनी चाहिए.

खतरनाक जगहों पर सावधानी

इंटरनेट, यूट्यूब पर जाने कितने समाचार सेल्फी दुर्घटनाओं से भरे पड़े हैं. जिन्हें देखकर यह आभास होता है कि क्या युवा पीढ़ी इनसे सबक नहीं लेगी ? बस्तर के चित्रकूट जलप्रपात, मध्य प्रदेश के भेड़ाघाट में सेल्फी लेते वक्त दुर्घटना हुई है .अब आने वाले वक्त में ऐसी दुर्घटनाजनक जगहों पर नोटिस बोर्ड, सुरक्षा गार्ड के इंतजाम की महती आवश्यकता है .

सेल्फी दरअसल एक जुनून है जिस पर चलकर युवा एक खुशी और रोमांच का अनुभव करता है .ट्रैनो में लटक कर सेल्फी लेना भी प्रचलन में है जो खतरनाक स्टंट है और सरकार द्वारा प्रतिबंधित है.

नोएडा में सख्ती से कानून का परिपालन जारी

सेल्फी सेल्फी के दरमियान दुर्घटना के पश्चात होने वाले नौटंकी को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट के भी दिशा निर्देश जारी हो चुके हैं. इस संबंध हमारे देश  में सबसे पहले नोएडा पुलिस ने एक्शन लिया है और सख्ती बरतनी प्रारंभ कर दी है .यह जानना जरूरी होगा कि सुप्रीम कोर्ट का दिशा निर्देश है कि दुर्घटना के दरम्यान अगर कोई सेल्फी लेता है,वीडियो बनाता है तो वो गलत है.

इसके मद्देनजर नोएडा पुलिस ने 10 जून से सुप्रीम कोर्ट के परिपालन मे दुर्घटना स्थल पर सेल्फी वीडियो बनाने पर जुर्माना लगाना प्रारंभ कर दिया है .यह लोग गिरफ्तार भी किए जा सकते हैं यह तमाशाबीनों पर लगाम लगाने की कवायद है जो अब देश भर में लागू होनी चाहिए. यही नहीं ऐसे वीडियो शेयर करने वालों पर 5000 का जुर्माना का भी प्रावधान  बन चुका है.

भारत बना सेल्फी डेथ कंट्री!

सेल्फी का क्रेज जानलेवा एडवेंचर में बदल चुका है . रायपुर में बाइक चलाते युवक की सेल्फी लेने के दरम्यान दुर्घटना में मौत सेल्फी की भयावहता दर्शाती है .हमारा देश अब सेल्फी डेथ कंट्रीज मैं शामिल हो चुका है. खतरनाक ढंग से सेल्फी लेने के दरम्यान दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है वहीं खतरनाक स्पाट पर सेल्फी लेना भी मृत्यु का कारण है.

एक सर्वे के मुताबिक दुनिया भर में सेल्फी के दरमियान जितनी मृत्यु हुई है उसमे आधी हमारे भारत देश में घटित हुई है जो चिंताजनक है.

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साइक्रेटिक इसे सेल्फीमेनिया का नाम दे रहे हैं जो एक तरह की बीमारी में बदल चुकी है. सेल्फी के दरम्यान रिस्क लेना और मौत को बुलाना बीमारी नहीं तो और क्या है ? यह इंटरनेट, फेसबुक पर लाइक के लिए भी युवा वर्ग कर रहा है. जिससे युवा वर्ग को बचना चाहिए.

हाल ही में एक व्यक्ति की सेल्फी एक शेर के साथ वायरल हुई, कोई सांप के साथ, तो कोई खतरनाक वन्य प्राणी के साथ सेल्फी ले रहा है और इंस्टाग्राम, फेसबुक, व्हाट्सएप पर मात्र लाइक के लिए अपलोड कर रहा है. वन्य प्राणियों के मध्य वर्षों से काम करने वाले वन अधिकारी मेहतर राम साहू( रेंजर)का कहना है ऐसा प्रयास जानलेवा साबित हो सकता है अतः इस प्रकार की सेल्फी से युवा वर्ग को बचना चाहिए .

नदी, तालाब, समुंद्र मैं सेल्फी लेते वक्त दुर्घटना हो सकती है, इसलिए सतर्कता आवश्यक है . गाड़ी चलाते वक्त गाड़ी से सर बाहर निकालकर सेल्फी लेना दुर्घटना को आमंत्रण देना ही है. पानी में मस्ती और सेल्फी या वीडियो बनाने की कितनी ही दुर्घटनाएं सुर्खियों में है. मगर इसके बावजूद हम इस मसले पर गंभीर नहीं है और भारत में सेल्फी के दरमियान मौते बदस्तूर जारी है  आवश्यकता समझदारी और बुद्धिमत्ता की है क्या आपकी जान से ज्यादा एक सेल्फी हो सकती है ?

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