पहली अक्तूबर, 2016 की बात है. उस दिन भी शाम के वक्त कालेज बस ने लवलीन को माडलटाउन-1 के बसस्टैंड पर उतारा. वहां से कुछ दूरी पर स्थित परमानंद कालोनी में उस का घर था. बस से उतरने के बाद वह पैदल ही अपने घर जा रही थी. जब वह टैगोर पार्क के नजदीक पहुंची, तभी किसी ने अचानक ठीक उस के पीछे पहुंच कर उस की पीठ पर कोई सख्त चीज सटा कर सख्त लहजे में धमकी दी, ‘‘ऐ लड़की, तेरे पास जो कुछ नकदी और मोबाइल है, उसे फौरन मेरे हवाले कर दे वरना अपनी जान से हाथ धो बैठेगी.’’
वह आवाज किसी युवती की थी. लेकिन उस ने जिस तरह धमकी में उस से बात की थी, उस से लवलीन बुरी तरह सहम गई. उस की इतनी भी हिम्मत नहीं हुई कि वह एक बार पीछे मुड़ कर उस युवती या अपनी पीठ पर सटाई गई कठोर वस्तु को एक नजर देख ले. वह जस की तस खड़ी रह गई. लवलीन के ठिठक कर खड़े होते ही पीछे खड़ी युवती ने झट से उस की जेब में अपना दूसरा हाथ डाल दिया और उस की जेब में रखा एचटीसी का महंगा मोबाइल निकाल लिया.
उसी दौरान एक सफेद रंग की कार तेजी से उस के पास आ कर रुकी, उस की ड्राइविंग सीट पर एक युवक था. जिस युवती ने उस की जेब से मोबाइल फोन निकाला था, वह उसी कार में उस युवक के बराबर में जा कर बैठ गई. उस के सीट पर बैठते ही कार माडलटाउन के प्रिंस रोड की ओर बढ़ गई. उस कार के नजरों से ओझल हो जाने के बाद जैसे लवलीन को होश आया.
महंगा मोबाइल फोन लुट जाने पर लवलीन बहुत परेशान हुई. जिस जगह पर उस के साथ वारदात हुई थी, वहां से थोड़ी ही दूरी पर माडलटाउन पुलिस स्टेशन था. वह सोचने लगी कि जिस तरह उस के साथ वारदात हुई थी, वैसे में तो वे लोग अगर उस का अपहरण भी कर लेते तो वह क्या कर सकती थी.
बहरहाल, इस वारदात की रिपोर्ट लिखवाने के लिए वह माडनटाउन थाने पहुंच गई. ड्यूटी अफसर को उस ने अपने साथ घटी घटना की जानकारी दी तो ड्यूटी अफसर ने इस बारे में थानाप्रभारी प्रदीप पालीवाल से बात की. उन के निर्देश पर अज्ञात लोगों के खिलाफ भादंवि की धारा 382 के तहत रिपोर्ट दर्ज कर ली गई और जांच एसआई देवेंद्र कुमार को सौंप दी गई.
एसआई देवेंद्र कुमार ने लवलीन से बदमाश युवक और युवती के कदकाठी और कार के बारे में पूछा तो लवलीन ने बताया कि उस लड़की की उम्र कोई 25 से 30 साल थी. जो युवक सफेद रंग की होंडा ब्रियो कार से आया था, उस का चेहरा वह ठीक से नहीं देख पाई थी. लेकिन उस कार के पीछे की नंबर प्लेट पर कोई नंबर नहीं लिखा था. लवलीन से घटना के बारे में पूछताछ करने के बाद देवेंद्र कुमार ने उसे अपने घर जाने की इजाजत दे दी.
लवलीन से पुलिस को केवल उस लड़की की उम्र आदि के बारे में ही जानकारी मिली थी. यदि उन की कार का नंबर मिल जाता तो उस के सहारे उन दोनों तक पहुंचा जा सकता था. आगे की कारवाई के संबंध में एसआई देवेंद्र कुमार ने थानाप्रभारी प्रदीप पालीवाल से बात की. थानाप्रभारी ने देवेंद्र कुमार को कुछ जरूरी हिदायतें देने के बाद इस वारदात की सूचना उत्तरपश्चिमी दिल्ली के डीसीपी मिलिंद दुबड़े को दी.
डीसीपी मिलिंद दुबड़े ने इस घटना को काफी गंभीरता से लिया. बात सिर्फ एक मोबाइल फोन के लूटे जाने भर तक सीमित नहीं थी, बल्कि इस से ज्यादा महत्त्वपूर्ण बात यह थी कि यह घटना दिल्ली के बेहद पौश कहे जाने वाले इलाके माडलटाउन थाने के नजदीक घटी थी. वैसे भी यह घटना इस प्रकार की पहली घटना नहीं थी.
माडलटाउन, मुखर्जीनगर, मौरिसनगर और रूपनगर थानाक्षेत्र में इस तरह की अनेक वारदातें सितंबर, 2016 के बाद हो चुकी थीं. सभी वारदातों में युवक और युवती वारदात कर के कार से ही भागे थे. उन वारदातों में युवक और युवती बात करने के बहाने किसी लड़की का फोन लेते थे और बात करते करते कार में बैठ कर फरार हो जाते थे.
जानकारी में यह बात भी सामने आई थी कि युवती फर्राटेदार अंगरेजी बोलती थी. इसलिए डीसीपी ने वारदात करने वाले युवक युवती की तलाश के लिए माडलटाउन के एसीपी रविंद्र कुमार त्यागी के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थानाप्रभारी प्रदीप पालीवाल, अतिरिक्त थानाप्रभारी सुधीर कुमार, एसआई देवेंद्र कुमार, हैडकांस्टेबल जितेंद्र, कांस्टेबल सतीश आदि को शामिल किया गया.
पुलिस टीम में शामिल सभी सदस्य अपनेअपने स्तर से युवकयुवती को तलाशने लगे. 22 अक्तूबर की रात 8 बजे माडलटाउन थाने के हैडकांस्टेबल जितेंद्र और कांस्टेबल सतीश मैकडोनाल्ड्स की तरफ जाने वाले रास्ते पर बैरिकेड लगा कर उधर से आनेजाने वाले वाहनों को रोक कर रूटीन चैकिंग कर रहे थे. उन की नजरें खासतौर पर उस सफेद रंग की कार को तलाश रही थीं. उसी दौरान होंडा ब्रियो कार आ कर रुकी. वह भी सफेद रंग की थी. कार की अगली सीट पर एक युवती और युवक बैठे थे. हैडकांस्टेबल जितेंद्र ने कार की नंबर प्लेट की ओर नजर डाली तो वह चौंके, क्योंकि उस कार के आगे कोई नंबर प्लेट नहीं लगी थी.
जब उन से पूछताछ की गई तो वे दोनों पहले इधरउधर की बातें करने लगे. शक होने पर हैडकांस्टेबल जितेंद्र ने एसआई देवेंद्र कुमार को फोन कर के उन्हें इन दोनों के बारे में बताया. कुछ ही देर में देवेंद्र कुमार भी वहां पहुंच गए. उन्होंने उन दोनों से कार के कागजात दिखाने के लिए कहा. युवक ने कार के कागज दिखाए तो आरसी में कार नंबर दर्ज था, जबकि कार के आगेपीछे नंबर प्लेट नहीं लगी थी. कार पर नंबर प्लेट लगी न होने के बारे में उस से पूछा गया तो वह कोई संतोषजनक जवाब नहीं दे सका.
मामला संदिग्ध देख कर पुलिस ने कार की तलाशी ली तो कार के अंदर से 10 महंगे मोबाइल फोन के अलावा ब्रांडेड लेडीज कपड़े और एक बुर्का मिला. पूछताछ के लिए उन्हें थाने ले जाया गया. दोनों से गाड़ी में मिले मोबाइल फोन और बिना नंबर की होंडा ब्रियो कार के बारे में सघन पूछताछ की गई तो दोनों ने स्वीकार कर लिया कि ये मोबाइल अलगअलग जगहों से लूटे गए हैं. युवती ने अपना नाम सोनम और युवक ने नीरज बताया.
दोनों ही शादीशुदा थे. लेकिन अपनेअपने जीवनसाथी को छोड़ कर दोनों लिवइन रिलेशन में रह रहे थे. इस प्रेमी जोड़े ने मोबाइल लूटने की जो कहानी बताई, वह बड़ी ही दिलचस्प निकली. सोनम के पिता एक पुलिस अधिकारी थे और मजलिस पार्क के एक फ्लैट में रहते थे. मजलिस पार्क में ही नीरज के पिता पत्नी और बड़े बेटे के साथ रहते थे. वह भी पुलिस की नौकरी में थे. एक ही महकमे में कार्यरत होने की वजह से उन के घरों में एकदूसरे का आनाजाना एक सामान्य सी बात थी.
सोनम और नीरज बचपन से ले कर जवानी तक साथसाथ पलेबढ़े. जवानी की दहलीज पर पांव रखते ही सोनम और नीरज की दोस्ती प्यार में बदल गई. कुछ ही दिनों में उन की हरकतों को देख कर उन के घर वाले समझ गए कि वे एकदूसरे से प्यार करते हैं. बात आगे बढ़ी तो नीरज ने कह दिया कि वह सोनम से ही शादी करेगा. लेकिन सोनम के मातापिता उस का हाथ नीरज के हाथ में नहीं देना चाहते थे.
बेटी जवान थी, कहीं वह गुस्से में कोई गलत कदम न उठा बैठे, इसलिए पिता ने सोनम के ग्रैजुएट होते ही उस की शादी शालीमारबाग में रहने वाले विक्रम से कर दी. विक्रम एक खातेपीते घर का लड़का था. वह वजीरपुर स्थित नेताजी सुभाष पैलेस में किसी निजी कंपनी में अच्छे पद पर नौकरी करता था. सोनम और विक्रम शादी के बाद कुछ सालों तक एकदूसरे को बेहद प्यार करते रहे. 2 साल हंसीखुशी के साथ गुजारने के बाद सोनम ने एक बेटे को जन्म दिया. बेटे के जन्म पर विक्रम बेहद खुश हुआ. वह सोनम को पहले से भी ज्यादा प्यार करने लगा, लेकिन सोनम नीरज को अपने दिल से कभी नहीं निकाल सकी और एक बार जब उस का आमनासामना नीरज से हुआ तो नीरज ने बताया कि वैसे तो उस की भी शादी हो चुकी है, लेकिन वह अब भी उसे प्यार करता है.
वह नीरज से किनारा नहीं कर सकी. कुछ सालों के अंतराल के बाद उन का सोया प्यार फिर जाग उठा और वे लोगों की नजरों से बच कर एकदूसरे से फिर मिलने लगे. कुछ समय तक तो विक्रम को सोनम की बेवफाई का कुछ पता नहीं चला, लेकिन सोनम के बारबार घर से गायब रहने से उसे उस पर शक हो गया. तब उस ने सोनम के घर से बाहर जाने पर बंदिश लगा दी. लेकिन इश्क पर आज तक किसी का कोई जोर चला है, जो इन पर चलता. लिहाजा इन का मिलनाजुलना लगातार जारी रहा. नीरज और सोनम एकदूसरे से बदस्तूर प्यार करते रहे.
आखिरकार पत्नी की बेवफाई से तंग आ कर विक्रम अपने से 14 साल छोटी युवती नीरजा को अपना दिल दे बैठा. नीरजा भी उसी के औफिस में काम करती थी. नीरजा बेहद हसीन युवती थी और रंगरूप के मामले में सोनम से कहीं ज्यादा सुंदर थी. विक्रम न केवल नीरजा के साथ ज्यादा वक्त बिताता, बल्कि उसे महंगे तोहफे भी देता. नीरजा से नजदीकी बढ़ने के बाद विक्रम ने सोनम की तरफ ध्यान देना बंद कर दिया. सोनम को जब यह जानकारी मिली तो उस ने सारी बात प्रेमी नीरज को बताई. इस समस्या से निजात दिलाने में नीरज ने उस का हर तरह से सहयोग करने का वायदा किया. लेकिन ऐसा करने में नीरज के साथ एक अहम समस्या आड़े आ रही थी.
नीरज एक बेटी का पिता था. कुछ दिनों बाद नीरज की पत्नी शैफाली को जब पता चला कि नीरज के संबंध सोनम से हैं तो उस ने नीरज से नाराजगी जाहिर करते हुए सोनम से संबंध खत्म करने को कहा. जबकि नीरज को पत्नी शैफाली से ज्यादा सोनम की फिक्र रहती थी, इसलिए उस ने शैफाली की बातों को ज्यादा तवज्जो नहीं दी.
पति की तरफ से हो रही उपेक्षा से आहत हो कर शैफाली ने अपना रास्ता अलग कर लिया और फिर वह भी अपने बौयफ्रैंड के साथ मजलिस पार्क में अलग मकान ले कर रहने लगी. पत्नी के अलग रहने पर नीरज को दुख नहीं हुआ, बल्कि उस ने सोचा कि अच्छा हुआ. क्योंकि अब उसे रोकनेटोकने वाला कोई नहीं था. उस ने आव देखा न ताव, सोनम को अपने साथ रहने के लिए राजी कर लिया. सोनम भी इस अवसर की ताक में थी. वह अपने बेटे को ले कर नीरज के पास मजलिस पार्क में रहने लगी. नीरज दुकानों में खिलौने वगैरह सप्लाई करने लगा. इस से उसे ठीकठाक आमदनी होने लगी.
उधर विक्रम को जब पता चला कि उस की पत्नी सोनम नीरज के साथ रह रही है तो उसे बड़ा बुरा लगा. वह पहले से ही नीरज को अपना दुश्मन समझता था. वह नीरज को सबक सिखाना चाहता था.
10 अक्तूबर, 2016 को उसे इस का मौका मिल गया. उस ने नीरज को भाडे़ के गुंडों से पिटवा दिया. इस में नीरज को काफी चोटें भी लगीं. काफी दिनों तक सोनम ने उस की सेवा की तब जा कर वह ठीक हुआ. नीरज के ठीक होने के बाद उस ने अपने पति से बदला लेने का निश्चय किया.
उधर विक्रम की प्रेमिका नीरजा ने 8 अक्तूबर, 2016 को नीरज के खिलाफ मारपीट और पीछा करने की रिपोर्ट थाना आदर्शनगर में दर्ज करा दी. महंगे लाइफस्टाइल को अपनाने तथा विक्रम से नीरज का बदला लेने के लिए उसे एक बड़ी रकम की जरूरत थी, जो उस के पास नहीं थी. इसलिए दोनों ने मिल कर मोबाइल लूटने की योजना बनाई. नीरज अपने पिता की होंडा ब्रियो कार का उपयोग करता था. वारदात को अंजाम देने के लिए उस ने कार की नंबर प्लेटें हटा दीं, जिस से किसी को कार का नंबर पता न चल सके. होंडा ब्रियो कार में सवार हो कर सोनम और नीरज शिकार को तलाशते, इन्हें कोई अकेली युवती सड़क पर चलती मिल जाती तो सोनम फर्राटेदार अंगरेजी बोल कर उस से यह कह कर उस का फोन मांग लेती कि उस के फोन की बैटरी डाउन हो चुकी है और उसे किसी से जरूरी बात करनी है. उस का फोन ले कर बात करतेकरते वह कार में बैठ कर प्रेमी नीरज के साथ फरार हो जाती. अक्तूबर, 2016 से उन्होंने वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया था.
अब तक की तहकीकात के बाद एसआई देवेंद्र कुमार को सोनम और नीरज के खिलाफ दिल्ली में दर्ज 13 मुकदमों की जानकारी मिली है. यह मामले यहां के माडलटाउन, मुखर्जीनगर, मौरिसनगर और रूपनगर थानों में दर्ज हैं. दोनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने 23 अक्तूबर को रोहिणी कोर्ट के ड्यूटी मजिस्ट्रैट के सामने पेश किया. जहां से दोनों को एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया. देवेंद्र कुमार ने 24 अक्तूबर को दोनों को फिर से मेट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट सुनील कुमार की अदालत में पेश कर 2 दिनों के पुलिस रिमांड पर लिया.
रिमांड अवधि में पुलिस ने उन से 6 आईफोन तथा एक एचटीसी का फोन बरामद किया. 26 अक्तूबर को दोनों को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.
– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. नीरजा परिवर्तित नाम है.