Society News in Hindi: संपूर्ण दृष्टिकोण से देखा जाए तो एक बार इस्तेमाल किए जाने वाली सभी प्रकार की प्लास्टिक हमारे लिए जहर के समान है. लगभग 10 वर्षों से प्लास्टिक को लेकर वैज्ञानिक तथ्य सामने आ चुके हैं कि इसे जल्द से जल्द प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए. इसमें रखा हुआ खाद्यान्न जहरीला हो जाता है. कई रोगों का कारण बनता है, यह सब मालूम होने के बावजूद हम प्लास्टिक का इस्तेमाल बेखौफ कर रहे हैं और अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं. अनेक प्रकार के रोगों की सौगात हमारे जीवन को दुश्वार कर रही है. यही नहीं यह प्लास्टिक मानव समाज के साथ-साथ पर्यावरण को भी नष्ट कर रही है और मासूम जानवरों पर भी यह प्लास्टिक कहर बनकर टूट रही है.
गाय के पेट से निकला प्लास्टिक
पौलीथिन का उपयोग पर्यावरण के लिए घातक है, वहीं मनुष्य समाज के लिए जहरीला और जानलेवा साबित हो रहा है. इसे अनजाने में खाकर मवेशियों की भी असामयिक मौत की खबरें निरंतर आ रही हैं. ऐसा ही एक वाक्या छत्तीसगढ़ के धमतरी शहर से लगे ग्राम अर्जुनी कांजी हाउस में देखने को मिला. अर्जुनी के कांजी हाउस में ढाई साल की बछिया की मृत्यु प्लास्टिक का सेवन करने से हो गई. सहायक पशु शल्यज्ञ डा. टी.आर. वर्मा एवं उनकी टीम के द्वारा शव परीक्षण के दौरान पाया गया कि बछिया के उदर में बड़ी मात्रा में पौलीथिन साबुत स्थिति में है.
साथ ही प्लास्टिक, रस्सी के गट्ठे के अलावा भी कुछ वस्तुएं पाई गईं. उप संचालक पशु चिकित्सा सेवाएं डौ. एम.एस. बघेल के बताते हैं कि लोग अनुपयोगी अथवा सड़े-गले भोजन को पौलीथिन में रखकर सड़क किनारे फेंक देते हैं, जिसे अनजाने में भोजन के साथ-साथ पौलीथिन को भी घुमंतू किस्म के लावारिस जानवर अपनी भूख मिटाने खा जाते हैं. प्लास्टिक से निर्मित पौलीथिन को मवेशी पचाने में असमर्थ होते हैं, जो आगे चलकर ठोस अपचनीय अपशिष्ट पदार्थ का रूप ले लेती है, जिसके कारण बाद में भारी तकलीफ होती है और उनकी मौत हो जाती है. प्रसिद्ध पशु प्रेमी निर्मल जैन बताते हैं गायों के पेट की अधिकांश जगह में पौलीथिन स्थायी रूप से रह जाती है जिससे पशु चाहकर भी अन्य प्रकार के भोजन को ग्रहण करने में असमर्थ होता है.
जिलाधिकारी (आई ए एस) रजत बंसल ने उक्त घटना की जानकारी मिलने पर संवेदनशीलता व्यक्त करते हुए दु:ख व्यक्त कर कहा – दैनिक जीवन में प्रतिबंधित प्लास्टिक थैलियों एवं कैरी बैग को पूर्णतः परित्याज्य करने आमजनता को प्रशासन के साथ आगे आना होगा. एक बात प्रयोग किए जाने वाले प्लास्टिक से सिर्फ मानव जीवन, पर्यावरण को ही खतरा नहीं है, बल्कि बेजुबान जानवर गाय, भैंस, बकरी की भी अकाल मृत्यु हो रही है.
प्लास्टिक की जगह जूट के बैग अपरिहार्य
पौलीथिन के स्थान पर जूट के बैग तथा गैर प्लास्टिक से निर्मित कैरी बैग का उपयोग करने एवं पैकेटों को ढके हुए डस्ट बिन में ही डालने की आवश्यकता है. देश परदेश के आवाम को चाहिए कि प्लास्टिक का जल्द से जल्द इस्तेमाल बंद कर दें. हम सरकार के आह्वान अथवा जागरूकता अभियान का इंतजार क्यों करें समझदारी इसी में है कि ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो.
इसके अलावा यह भी एक सच है कि पशु मालिक अपने मवेशियों को खुला छोड़ देते हैं परिणाम स्वरूप आवारा लावारिसों की तरह घूमते हुए जानवर अनेक बीमारियों का शिकार हो रहा है. प्लास्टिक खाकर मौत का बुला रहा है .अच्छा हो हम अपने जानवरों की रक्षा स्वयं करें और उसे कदापि खुला छोड़ने का स्वार्थ भरा कृत्य न करें, इससे पशुधन की हानि को रोका जा सकेगा, साथ ही सड़क दुर्घटनाएं घटित नहीं होंगी.कहा जाता है कि भारतीय नागरिक परजब तलक कठोर दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाती, वह सही रास्ते पर नहीं आते हैं.
अभी हाल ही में मोटर यान अधिनियम लागू हुआ तो त्राहि-त्राहि मच गई, दस हजार से पचास हजार तक जुर्माने लगने लगे तो लोगों के दिमाग ठिकाने आ गए और घटनाक्रम सुर्खियों में आ गया. क्या सरकार को सड़कों पर घूमने वाले पशुओं के संदर्भ में भी ऐसे नियम कानून बनाने होंगे, क्या नियम बनने के बाद ही इस पर लगाम लग सकेगी, अच्छा हो, हम अपने पशुधन की रक्षा स्वयं करें और आदर्श नागरिक समाज बनाने में मदद करें.