“बायपास रोड”: ऊंची दुकान फीका पकवान

रेटिंग: दो स्टार

निर्माताः मदन पालीवल और नील नितिन मुकेश

निर्देशकः नमन नितिन मुकेश

कलाकारः नील नितिन मुकेश, अदा शर्मा, शमा सिकंदर, गुल पनाग, सुधांशु पांडे, रजित कपूर, मनीश चैधरी, ताहिर शब्बीर

अवधिः दो घंटे 17 मिनट

धन दौलत के लोभ में इंसान किस कदर गिर गया है, उसी के इर्द गिर्द घूमती कहानी पर नमन नितिन मुकेश के रहस्यप्रधान रोमांचक फिल्म ‘‘बाय पास रोड’’ लेकर आए हैं, जो कि प्रभावित नही करती.

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कहानीः

अलीबाग में रह रहे मशहूर फैशन डिजाइनर विक्रम कपूर (नील नितिन मुकेश) जिस दिन घातक दुर्घटना का शिकार होते है, उसी दिन उनकी कंपनी की सेक्सी और नंबर वन मौडल सारा ब्रिगेंजा (शमा सिकंदर) की अपने घर में रहस्यमयी मौत होती है. मीडिया को लगता है कि इन दोनों हादसों का आपस में कोई न कोई गहरा रिश्ता जरूर है. सारा की मौत पहली नजर में आत्महत्या लगती है. जबकि इस हादसे में विक्रम को कुचल कर मारने की कोशिश की जाती है.

फिर कहानी अतीत में जाती है, जहां विक्रम और सारा के अतिनजदीकी रिश्तों का सच सामने आता है. हालांकि विक्रम अपनी ही कंपनी में इंटर्नशिप करने वाली डिजाइनर राधिका (अदा शर्मा) से प्यार करते है और सारा ब्रिगेंजा भी जिम्मी (ताहिर शब्बीर) की मंगेतर हैं.

अस्पताल में पता चलता है कि विक्रम के दोनों पैर बेकार हो चुके हैं और अब उन्हें सिर्फ व्हील चेअर का ही सहारा हैं. जब विक्रम अस्पताल से अपने पिता प्रताप कपूर (रजित कपूर) के साथ अपने घर पहुंचता है, तो घर पर उनकी सौतेली मां रोमिला (गुल पनाग), सात आठ वर्षीय सौतेली बहन नंदिनी (पहल मांगे) और नौकर की मौजूदगी के बावजूद हादसे का शिकार होते-होते बचते हैं.

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उधर पुलिस अफसर हिमांशु रौय (मनीष चैधरी) सारा की मौत का सच जानने उजागर करने पर आमादा है. हिमांशु रौय को सारा के मंगेतर जिम्मी के अलावा विक्रम के व्यावसायिक प्रतिद्वंदी नारंग (सुधांशु पांडे) पर शक है. पुलिस की जांच अलग चल रही है, तो वहीं व्हील चेअर पर रहेन वाले विक्रम को मारने की कई बार कोशिश होती है. इसी बीच कुछ अन्य हत्याएं भी हो जाती हैं. अंततः सच सामने आता ही है.

लेखनः

अभिनय करने के साथ फिल्म की पटकथा व संवाद नील नितिन मुकेश ने ही लिखी है. उन्होने पूरी कहानी को अपनी तरफ से जलेबी की तरह घुमाते हुए रहस्य का जामा पहनाने का भरसक प्रयास किया है. पर वह पूरी तरह से इसमें सफल नहीं हुए.

कहानी पुरानी ही है. इस तरह की कहानी तमाम सीरियल व अतीत में कुछ फिल्मों में आ चुकी है. फिल्म का क्लायमेक्स तो लगभग हर रहस्यप्रधान सीरियल से मिलता जुलता है. वर्तमान से बार बार अतीत में जाने वाली कहानी काफी कन्फ्यूजन पैदा करती है. कहानी में कई कमियां हैं. एक दृष्य में सारा का प्रेमी जिम्मी पुलिस से भगते हुए कदई मंजिल उपर से नीचे गिरता है. पुलिस उसके पास पहुंच जाती है. और उसे देखकर वह मृत समझती है, पर इंटरवल के बाद जिम्मी पुनः कहानी में नजर आने लगते हैं. कुछ चरित्र ठीक से विकसित नही किए गए. फिल्म के कुछ संवाद बहुत सतही है. कुल मिलाकर फिल्म की सबसे बड़ी कमजोर कड़ी नील नितिन मुकेश का लेखन है.

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निर्देशनः

अपने समय के मशहूर गायक स्व.मुकेश के पोते, गायक नितिन के बेटे व नील नितिन मुकेश के छोटे भाई नमन नितिन मुकेश ने ‘‘बायपास रोड’’ से पहली बार निर्देशन के क्षेत्र में कदम रखा है. तकनीकी दृष्टिकोण से देखें, तो वह पूरी तरह  से सफल रहे हैं. मगर कथा व पटकथा की मदद न मिलने के कारण उनका सारा प्रयास विफल हो गया.

अभिनयः

विक्रम के किरदार को नील नितिन मुकेश ने इमानदारी व शानदार अभिनय के साथ निभाया है. अदा शर्मा ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है. रजित कपूर, शमा सिकंदर और मनीश चैधरी अपनी छाप छोड़ जाते हैं. इसके अलावा अन्य कलाकारों के चरित्र लेखक की कमजोरी की भेंट चढ़ गए.

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