‘‘खुद को ग्लोबली स्थापित करना है’’- नीतू चंद्रा

मां और मातृभाषा के सम्मान के साथ बिहार की अस्मिता की लड़ाई लड़ती आ रहीं अभिनेत्री नीतू चंद्रा ने अपने कैरियर में अब तक कई पड़ाव पार किए हैं. प्रशिक्षित कत्थक डांसर और मार्शल आर्ट में ब्लैक बैल्ट विनर नीतू चंद्रा ने हिंदी व दक्षिण भारतीय फिल्मों में अभिनय करने के अलावा अपने भाई नितिन चंद्रा के साथ भोजपुरी व मैथिली भाषा की फिल्में बनाई भी हैं.

2 वर्षों से वे जहां म्यूजिक वीडियो भी कर रही हैं वहीं वे अमेरिकन और कोरियन टीवी पर भी कार्यरत हैं. इन दिनों वे पायल देव द्वारा स्वरबद्ध गीत ‘इश्क’ के म्यूजिक वीडियो को ले कर चर्चा में हैं जिस में वे सैंसुअस अवतार में नजर आ रही हैं. इतना ही नहीं, खेल के प्रति उन के समर्पण भाव के चलते उन्हें प्रोकबड्डी लीग में पटना पाइरैट्स का ब्रैंड एंबैसडर बनाया गया है.

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आप क्लासिकल डांसर हैं. यह अभिनय में किस तरह से मदद करता है?

ग्रेसफुलनैस में, मैं हमेशा क्लासिक डांस करती रहती हूं, इसलिए बैलेंस बना रहता है. मैं बहुत फेमिन और ग्रेसफुल हूं.

इन दिनों आप पाल देव के सिंगल गाने ‘इश्क’ को ले कर चर्चा में हैं. जब आप ने यह गीत सुना तो सब से पहले आप के दिमाग में क्या बात आई?

मुझे लगा कि इस गाने में मेरे कई लुक होंगे. मुझे बहुत अलग तरह का डांस करने का मौका मिलेगा. मैं एक प्रशिक्षित डांसर हूं, इसलिए मैं ने सोचा कि यदि मैं इस गाने को क्लासिकल आधार बना कर डांस करूं तो अच्छा होगा. इस से किरदार के साथ न्याय होगा. ‘इश्क’ मेरे लिए एक बहुत ही खास गीत है क्योंकि यह मेरे व्यक्तित्व का एक अलग पक्ष सामने लाता है. एक ऐसा पक्ष जिसे पहले किसी ने नहीं देखा है. इस का म्यूजिक बहुत जोशीला है और एक बार जब आप इसे सुन लेते हैं तो आप इसे पूरे दिन गुनगुनाते रहते हैं.

आप को यह गाना क्यों पसंद आया?

क्योंकि यह गाना मुझ से बहुत कुछ कहता है. यह गीत और धुन से परे है. इस में वह जिंग है जो मुझे उठने और उस पल को दोबारा प्राप्त करने के लिए विवश करता है. पायल की आवाज ने गीत में एक्सफैक्टर जोड़ा है. पायल की आवाज के साथ मुझे लगा कि मैं खुद गा रही हूं.

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आप बेहतरीन क्लासिकल डांसर हैं. आप ने कभी नहीं सोचा कि क्लासिकल डांस पर कोई कार्यक्रम किया जाए?

मैं ने क्लासिकल डांस के कार्यक्रम किए हैं. मैं ने दक्षिण की फिल्मों में क्लासिकल डांस किया है. मैं ने तेलुगू फिल्म ‘गोदावरी’ में क्लासिकल डांस किया था. इस के अलावा एक तमिल फिल्म में मैं ने दोहरी भूमिका निभाई जिस में एक भूमिका में मैं ने क्लासिकल डांस किया है. जब भी मुझे मौका मिला, मैं ने क्लासिकल डांस जरूर किया.

8 वर्ष से आप ने हिंदी फिल्मों से दूरी क्यों बना रखी है?

मैं अच्छे काम को प्राथमिकता देती हूं. मैं ने दक्षिण भारत में 2-2 वर्ष के अंतराल से फिल्में की हैं. जबकि हिंदी में मैं थिएटर करती रही हूं, जो ज्यादा जरूरी है. खराब काम करने से अच्छा है कि अच्छा काम करो.

दूसरी बात 7 साल पहले मेरे पापा को कैंसर हुआ था, तो कुछ समय हम ने उन की देखभाल की, फिर उन का देहांत हो गया. उस के बाद मेरी मम्मी भी बीमार पड़ गई थीं. तब मैं ने कहा कि काम तो होता रहेगा. मैं ने ज्यादा ध्यान घर पर दिया. भाई के साथ प्रोडक्शन हाउस शुरू किया. मेरा भाई नितिन चंद्रा बेहतरीन निर्देशक है. उस ने दिबाकर बनर्जी, तनूजा चंद्रा के साथ काम किया है. उस के बाद उस ने हिंदी फिल्म की, भोजपुरी फिल्म निर्देशित की.

मैं उस के साथ आ गई. मैं ने थिएटर किया, फिल्म बनाती रही. यह सब करने में समय तो लगता ही है. फिर मैं अमेरिका जाने लगी, तो लोगों को लगा कि मैं ब्राजीलियन हूं या इटैलियन हूं. मुझे लगा कि ग्लोबल ऐक्टर वाली इमेज बन सकती है, तो मैं ने सोचा कि ग्लोबल इमेज को पुख्ता करने के लिए हर भाषा में मौजूद बेहतरीन कंटैंट वाली फिल्में करूंगी.

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‘देशवा’ को रिलीज हुए 7 साल हो गए. इस में आप ने जो मुद्दे उठाए थे, वे अभी भी वैसे ही हैं या उन में कुछ बदलाव आया?

बदलाव हुआ है. बिहार की कहानी पर फिल्में बनने लगी हैं, जैसे ‘सुपर थर्टी’ या ‘जबरिया जोड़ी’ बनी हैं.

आप तायक्वांडो में ब्लैक बैल्ट धारी हैं, तो अब इस से आप को क्या फायदा मिलता है?

आत्मविश्वास बना रहता है. आज मेरे अंदर जो आत्मविश्वास है, वह इसी के चलते है. मेरे बुरे समय में या जब मैं बहुत निराश हुई तो मुझे हमेशा स्पोर्ट्स का साथ रहा. स्पोर्ट्स से आप में नेवर गिविंग अप एटीट्यूड रहता है. अनुशासन रहता है. कठिन मेहनत करने का जज्बा बना रहता है. स्पोर्ट्स एटीट्यूड से ही मैं आगे बढ़ पाई हूं.

अब आप को अमेरिका और भारत में क्या फर्क समझ में आ रहा है, जिस की वजह से हम पीछे रह जाते हैं?

हम पीछे नहीं हो जाते हैं. हमारे देश की आबादी बहुत ज्यादा है. मैनेजमैंट की कुछ कमियां हैं. हम लोगों की बहुत सारी चीजों को वे अपना चुके हैं. अलग अलग क्षेत्रों में हमारी भाषाओं में, हमारे इतिहास, हमारे कल्चर व आर्ट्स में सारे लोग लुक अप टू करते हैं. स्थिति यह है कि कहीं वे हम से पीछे हैं, तो कहीं हम उन से पीछे हैं.

नया क्या कर रही हैं?

हाल ही में हौलीवुड की एक कौमेडी फिल्म ‘द वर्स्ट डे’ की शूटिंग पूरी की है. वैब सीरीज कर रही हूं. एक ऐक्शन प्रधान कोरियन फिल्म ‘नरने’ कर रही हूं. हिंदी में स्पोर्ट्स पर फिल्म कर रही हूं. इस फिल्म में बताया गया है कि जो खिलाड़ी ओलिंपिक खेल सकता था, वह सुविधाओं के अभाव में खेल नहीं पाया. लोगों ने उस का साथ नहीं दिया. सरकार ने भी साथ नहीं दिया. भोजपुरी और मैथिली में भी फिल्में कर रही हूं. एक कोरियन टीवी सीरीज कर रही हूं.

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