मिथुन चक्रवर्ती को ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ मिलने पर विवाद, क्या है दाल में काला

द्र मोदी की सरकार सत्ता में आने के बाद हर उसे संस्था को कमजोर कर रही है, जिस की एक गरिमा थी, सम्मान था, ऊंचाई थी. अब मिथुन चक्रवर्ती को ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ देने की घोषणा कर यह दुनिया को जता दिया है कि वे सिर्फ अपना हित साधने में लगे हैं, उन्हें अपने से ही मतलब है.

अब जहां तक मिथुन चक्रवर्ती का सवाल है, तो वे एक लोकप्रिय फिल्म स्टार हो सकते हैं, मगर उन के खाते में एक भी फिल्म नहीं है, जिस का उन्होंने भूलेबिसरे भी निर्माण या निर्देशन किया हो. दादा साहब फाल्के के बारे में सारी दुनिया जानती है कि उन्होंने देश में, फिल्म जगत में जो काम किया, उसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने फिल्मों में अभिनय किया, निर्देशन किया, निर्माण किया और अमर हो गए. उन के सम्मान में यह पुरस्कार भारत सरकार प्रदान करती है. मगर उस का एक उद्देश्य है कि देश में यह संदेश जाना चाहिए कि जिन लोगों ने उन के रास्ते पर चल कर के फिल्म निर्माण किया, देशसमाज को संदेश दिया, उन्हें सम्मानित किया जा रहा है.

हम मिथुन चक्रवर्ती के योगदान को खारिज नहीं करते, मगर उन्होंने सिर्फ अभिनय के क्षेत्र में काम किया और अब जब वे खुल कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम चुके हैं, तो अब उन्हें दादा साहब फाल्के जैसा सर्वोच्च सम्मान देना सवाल खड़ा करता है कि क्या भारतीय जनता पार्टी और नरेंद्र मोदी की सरकार को अपने भाजपा परिवार से हट कर कोई महान कलाकार नहीं दिखाई दिया?

भारतीय सिनेमा में आज भी एक से बढ़ कर एक निर्देशक हैं और पहले भी रहे हैं, उन्हें यह सम्मान दे कर ‘दादा साहब फाल्के सम्मान’ का सम्मान रखना चाहिए था. मगर नरेंद्र मोदी की सरकार ने ‘दादा साहब फाल्के सम्मान’ को तारतार कर दिया है.

डिस्को डांसर से ज्यादा क्या अभी भी दर्शक मिथुन चक्रवर्ती को ‘डिस्को डांसर’ जैसी फिल्मों से आगे याद नहीं कर पाते. ऐसे में हम आप को बताएंगे कि हिंदी सिनेमा में डिस्को डांस को लोकप्रिय बनाने वाले और ‘मृगया’, ‘सुरक्षा’, ‘डिस्को डांसर’, ‘डांसडांस’ जैसी फिल्मों के मशहूर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को सिनेमा के क्षेत्र में उन के योगदान के लिए भारत सरकार ने उन्हें अद्वितीय ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ प्रदान किए जाने की घोषणा कर दी है.

मिथुन चक्रवर्ती को यह पुरस्कार 8 अक्तूबर को 70वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार समारोह में दिया जाएगा.
इस घोषणा का कहीं तनिक भी विरोध दर्ज नहीं कराया गया है, इस से पता चलता है कि हमारा देश आज किस दौर से गुजर रहा है, जहां सच बोलने और लिखने की हिम्मत और साहस कोई नहीं कर पा रहा है.

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर यह घोषणा की. उन्होंने कहा कि मिथुन चक्रवर्ती की शानदार सिनेमाई यात्रा ‘पीढ़ियों को प्रेरित’ करती है. यह घोषणा करते हुए गौरव महसूस हो रहा है कि ‘दादा साहब फाल्के’ चयन समिति ने मशहूर अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उन के उल्लेखनीय योगदान के लिए यह पुरस्कार देने का फैसला किया है. 3 सदस्यीय निर्णायक मंडल ने मिठुम चक्रवर्ती को इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिए चुना. निर्णायक मंडल में पूर्व दादा साहब पुरस्कार विजेता आशा पारेख, अभिनेता और राजनेता खुशबू सुंदर और फिल्म निर्माता विपुल अमृतलाल शाह जैसे चेहरे रहे हैं.

दूसरी तरफ मिथुन चक्रवर्ती ने कहा कि जब उन्हें यह खबर मिली, तो उन के दिमाग में भोजन और सिर छिपाने के शुरुआती संघर्ष के दिनों सहित जीवन की अब तक की तमाम यादें ताजा हो गईं.

उन्होंने आगे कहा, ‘मेरे पास शब्द नहीं हैं. यह ऐसा अवसर है जिस ने अतीत की यादें ताजा कर दीं. मैं कोलकाता से मुंबई गया था. मुंबई में मेरे पास खाना नहीं था और कभीकभी मुझे पार्क में भी सोना पड़ा. ये सारी चीजें मुझे याद आने लगीं. इन तमाम चीजों के बाद आपको यह सम्मान मिलता है. मैं निशब्द हूं. मैं सिर्फ इतना कह सकता हूं कि मैं यह पुरस्कार अपने परिवार और दुनियाभर में अपने प्रशंसकों को समर्पित करता हूं.’

मिथुन चक्रवर्ती ने कोलकाता में पत्रकारों से कहा, ‘आप जानते हैं कि मेरा जीवन कभी आसान नहीं रहा. मुझे कभी चीजें थाली में परोस कर नहीं मिली. मुझे हर चीज के लिए लड़ना पड़ा, लेकिन जब इस तरह के परिणाम आते हैं, तो आप हर दर्द भूल जाते हैं.’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती को ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ के लिए चुने जाने की घोषणा पर खुशी व्यक्त करते हुए उन्हें एक सांस्कृतिक दूत बताया है.

नरेंद्र मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘प्रसन्नता है कि मिथुन चक्रवर्ती को भारतीय सिनेमा में उन के अद्वितीय योगदान के लिए प्रतिष्ठित ‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ से सम्मानित किए जाने की घोषणा की गई है. वे एक सांस्कृतिक आदर्श हैं और उन की बहुमुखी प्रतिभा के लिए उन्हें पीढ़ियों से सराहा जाता रहा है.’

‘दादा साहब फाल्के पुरस्कार’ की घोषणा से कुछ महीने पहले ही मिथुन चक्रवर्ती को भारत सरकार के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया गया था.

मिथुन चक्रवर्ती का वास्तविक नाम गौरांग चक्रवर्ती है. मृणाल सेन की साल 1976 में आई फिल्म ‘मृगया’ से मिथुन चक्रवर्ती ने फिल्मों में अभिनय की शुरुआत की थी, जिस के लिए उन्होंने सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी जीता था. उन्होंने वर्ष 1992 की फिल्म ‘तहादेर कथा’ (सर्वश्रेष्ठ अभिनेता) और वर्ष 1998 की फिल्म ‘स्वामी विवेकानंद’ (सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता) के लिए भी 2 और राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे.

मिथुन चक्रवर्ती वर्ष 1982 की फिल्म ‘डिस्को डांसर’ से मशहूर हो गए थे. यह भी सच है कि वे लंबे समय तक दूसरे और तीसरे दर्जे के अभिनेता ही बने रहे. उन्होंने फिल्मों में जो भी काम मिला, उसे ईमानदारी से करने का प्रयास किया, मगर ‘दादा साहब फाल्के सम्मान’ जैसा अद्वितीय सम्मान पाने जैसा कोई काम उन्होंने अभी तक नहीं किया है, जिस के कारण आने वाली पीढ़ियां उन से प्रेरणा लें और समाज में सकारात्मक संदेश जाए.

परिणीति का स्वयंवर, दूल्हे की लिस्ट में होंगे ये 4 TV एक्टर्स

बॉलिवुड की सबसे बबली और क्यूट एक्ट्रेस परिणीति चोपड़ा इन दिनों कलर्स के शो ‘हुनरबाज- देश की शान (Hunarbaaz)’ में बतौर जज नजर आ रही हैं. एक्ट्रेस के साथ करण जौहर और मिथुन चक्रवर्ती भी बतौर जज बने हैं.

शो के होस्ट भारती और हर्ष परिणीति की खूब खिंचाई करते हैं.साथ ही ऐक्ट्रेस भी उनके साथ खूब मस्ती करती नजर आती है. हर्ष और भारती कई दिनों से परिणीति को अपना स्वयंवर करने के लिए बोल रहे थे और फाइनली वो दिन आ ही गया, जब परिणीति ने अपने स्वयंवर के लिए हामी भर दी है.

शो के अपकमिंग वीकेंड एपिसोड में परिणीति का स्वयंवर होते हुए दिखाया जाएगा. परिणीति को अक्सर शो में यह कहते सुना जाता है कि वह शादी करने के लिए तैयार हैं और एक परफेक्ट मैच की तलाश में हैं और अब वो दिन आ गया है, जब परिणीति ने हुनरबाज के मंच पर अपनी तलाश खत्म कर दी है.

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स्वयंवर में शामिल होंगे ये टीवी चेहरे

टेलीविजन इंडस्ट्री के कुछ लोकप्रिय चेहरे परिणीति के स्वयंवर का हिस्सा बनने जा रहे हैं जैसे ‘कुमकुम भाग्य’ ऐक्टर अरिजीत तनेजा, ‘बेगूसराय’ के विशाल आदित्य सिंह, ‘बिग बॉस 13’ फेम सिद्धार्थ डे और पूर्व ‘खतरों के खिलाड़ी 10’ प्रतियोगी शिविन नारंग.

ये सभी ऐक्टर्स परिणीति को अपने अंदाज़ से इम्प्रेस करेंगे. परिणीति के लिए फूल लाने, डांस करने और दूसरी अदाएं दिखाने तक वे ‘हंसी तो फंसी’ की इस एक्ट्रेस को रिझाने के लिए सब कुछ करेंगे.

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शो के जज करण जौहर, मिथुन चक्रवर्ती और होस्ट भारती सिंह और हर्ष लिंबाचिया सही फैसला लेने में परिणीति की मदद करते नजर आएंगे. स्पेशल गेस्ट के रूप में वेटरन सिंगर कुमार शानू भी शो में शामिल होंगे.

करण जौहर अपनी प्रतिभा दिखाने और खुद को साबित करने के लिए उम्मीदवारों को एक-एक करके मंच पर बुलाएंगे. बता दें कि ‘हुनरबाज-देश की शान’ हर वीकेंड कलर्स पर प्रसारित होता है.

मिथुन चक्रवर्ती इस फिल्म में कर रहे हैं कैमियो का रोल प्ले

‘‘घायल’’,‘‘दामिनी’’,‘‘बरसात’’,‘‘चाइना गेट’’,‘‘खाकी’’, ‘‘हल्ला बोल’’सहित कई सफलतम फिल्मों के लेखक व निर्देशक राज कुमार संतोषी इन दिनों अपनी फिल्म ‘‘बैड ब्वाॅयज’’की शूटिंग में व्यस्त है. फिल्म‘बैंड ब्वायज’’की कहानी से प्रभावित होकर 360 से अधिक फिल्मों में अभिनय कर चुके तथा सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तीन राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती भी इस फिल्म में कैमियो कर रहे हैं.

राजकुमार संतोषी इन दिनों अपनी फिल्म‘‘बैड ब्वाॅय’’के लिए नमाशी चक्रवर्ती और अमरीन कुरैशी के साथ हैदराबाद के रामोजी फिल्म सिटी स्टूडियो में एक खूबसूरत रोमांटिक गाना ‘‘जनाब-ए-अली‘‘ फिल्माने में व्यस्त हैं. जिसका नृत्य निर्देशन पियूष भगत और शाजिया सामजी कर रही हैं.इसी गाने में ओजी डिस्को किंग और ग्रैंड मास्टर मिथुन चक्रवर्ती ने मुख्य कलाकारों के साथ मिलकर एक छोटा सा कैमियो कर रहे हैं.मिथुन दा ऐस म्यूजिक कंपोजर हिमेश रेशमिया के म्यूजिक की धुन पर आएंगे नजर. निर्देशक राजकुमार संतोषी कहते है-

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‘‘कोविड ने रिलीज के शेड्यूल में गड़बड़ी की है, हालांकि हम जल्द से जल्द फिल्म को रिलीज करने की उम्मीद करते हैं.मिथुन दा एक लेजेंड हैं, गाने में मिथुन दा के होने से ना केवल अतिरिक्त तड़का आएगा बल्कि लोगों मैं फिल्म ‘बैड बॉय‘ को लेकर और भी जोश बढ़ जाएगा.’’ फिल्म के मुख्य अभिनेता नमाशी चक्रवर्ती कहते हैं, ‘‘आज मैंने अपने आदर्श के साथ न केवल ऑन-स्क्रीन, बल्कि ऑफ-स्क्रीन भी काम किया है. 360 फिल्मों और तीन राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों के अनुभव के साथ अब तक के सबसे महान अभिनेता ने मुझे और मेरी पहली फिल्म को आशीर्वाद दिया.उनके साथ एक ही फ्रेम में रहने के लिए, मैं बहुत ही ज्यादा आभारी हूँ.‘‘

फिल्म की मुख्य अदाकारा अमरीन कुरैशी ने कहा, ‘‘मैं दिग्गजों के साथ काम करके बहुत खुश हूं, मेरे डेब्यू प्रोजेक्ट में, मिथुन अंकल डांस के प्रतीक हैं और वह मेरे सबसे पसंदीदा रहे हैं. यह वास्तव में संजोने का एक क्षण है कि मेरी फिल्म में मुझे ऐसा करने का अवसर मिला है, जिसमे मुझे मिथुन सर के साथ स्क्रीन शेयर करने का मौका मिल रहा है.”

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निर्माता साजिद कुरैशी कहते हैं, ‘‘हर दिन, हम फिल्म की रिलीज के करीब पहुंच रहे हैं.यह गाना हमारे लिए बहुत खास है.इस गाने मेंमिथुन दा का होना एक आदर्श है.यह आधुनिक और पुराने विश्व आकर्षण का एक आदर्श मिश्रण है.”

इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती के साथ ‘अनुपमा’ कर चुकी है रोमांस, 24 साल पहले बनी थीं एक्टर की हीरोइन

टीवी सीरियल ‘अनुपमा’ (Anupamaa) इन दिनों सुर्खियों में छाया हुआ है. शो के लेटेस्ट ट्रैक में किंजल घर के कामों को लेकर बा से बहस करती है, तो वहीं अनुपमा उसे समझाती है. लेकिन किंजल पर अनुपमा की बातों का कोई असर नहीं हो रहा. शो के अपकमिंग एपिसोड में खूब धमाल होने वाला है. हाल ही में काव्या यानी मदालशा शर्मा के ससुर ‘बॉलीवुड के सुपरस्टार’ मिथुन चक्रवर्ती सीरियल के सेट पर पहुंचे. उन्होंने शो के कलाकारों के साथ खूब मस्ती की.

मिथुन चक्रवर्ती अपनी बहू मदालसा के अलावा शो की लीड एक्ट्रेस रुपाली गांगुली (Rupali Ganguly) से भी मुलाकात की. जी हां, उन्होंने सभी के साथ फोटो भी क्लिक करवाई. तो वहीं अनुपमा ने मिथुन के साथ फोटो शेयर करते हुए खूबसूरत नोट लिखा है.

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रुपाली गांगुली ने बताया है कि बतौर हीरोइन वह पहली बार मिथुन चक्रवर्ती के साथ नजर आई थीं. उन्होंने बताया कि जब मैं 4 साल की थी तब मैंने पहली बार कैमरे का सामना किया था. रुपाली ने लिखा है कि फिल्म के सेट पर पापा और मिथुन से बहुत दांट पड़ती थी.

 

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आपको बता दें कि रुपाली गांगुली उम्र में मिथुन चक्रवर्ती से 27 साल छोटी हैं. मिथुन चक्रवर्ती और रुपाली गांगुली ने 1996 में आई फिल्म ‘अंगारा’ में साथ काम किया था.  इस फिल्म में रुपाली मिथुन की हीरोइन थीं. और उन्होंने गुलाबी का किरदार निभाया था.  इस फिल्म को उनके पिता यानी मशहूर डायरेक्टर अनिल गांगुली ने डायरेक्ट किया था.

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रुपाली गांगुली की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उन्होंने 8 साल पहले अश्विन वर्मा से शादी की. रुपाली शादी के 12 साल पहले से अश्विन को जानती थी. अश्विन उनके बेस्ट फ्रेंड हुआ करते थे.

 

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एक इंटरव्यू के अनुसार रुपाली गांगुली ने  बताया था कि वो अश्विन को किसी और के साथ शादी करते नहीं देखना चाहती थीं. रुपाली के मुताबिक, हमारा रिश्ता कुछ ऐसा था कि कभी प्रपोज करने की जरूरत नहीं पड़ी.

द ताशकंद फाइल्स: शास्त्री जी की मौत का वो सच जो कोई नहीं जानता

11 जनवरी 1966 की रात सोवियत संघ के ताशकंद शहर में देश के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय परिस्थितियों में हुई मृत्यु पर सवाल उठाने वाली फिल्म है-‘‘द ताशकंद फाइल्स’. जिसे लेखक व निर्देशक विवेक अग्निहोत्री के अब तक के करियर की बेस्ट फिल्म कहा जा सकता है. फिल्मकार ने इतिहास के किसी भी विवादास्पद पहलू को दिखाने की अपनी रचनात्मक आजादी का बाखूबी उपयोग इस फिल्म में किया है.

लेकिन फिल्मकार की सबसे बड़ी कमजोरी यह है कि फिल्म के आखिरी से पहले कृछ तथ्य एकतरफा नजर आते हैं. एक सीन में एक मसले पर हाथ उठाने के लिए कहे जाने पर इतिहासकार आयशा कहती हैं कि कौन सा हाथ लेफ्ट या राइट?

फिल्म: ताशकंद फाइल्स

निर्देशक: विवेक अग्निहोत्री

कलाकार: मिथुन चक्रवर्ती,पंकज त्रिपाठी,नसीरुद्दीन शाह और श्वेता बसु प्रसाद

रेटिंग: साढ़े 3 स्टार

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कहानी

फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ की कहानी के केंद्र में एक युवा राजनीतिक पत्रकार रागिनी फुले (श्वेता बसु प्रसाद)हैं. उसे अपने अखबार के लिए स्कूप वाली स्टोरी देनी होती है. जिस दिन उसका जन्मदिन होता है, उसी दिन उसके संपादक उसे दस दिन के अंदर बड़ी स्कूप वाली स्टोरी न देने पर उसे नौकरी से बाहर करने की बात कह देता है. अब रागिनी परेशान है. तभी उसके पास एक अनजान नंबर से फोन आता है,जो कि उससे कुछ सवाल करता है और शास्त्री जी को लेकर भी सवाल करता है. फिर कहता है कि उसके जन्मदिन के उपहार के तौर पर उसके टेबल की दराज में एक लिफाफा है. इस लिफाफे में उसे ढेरी सारी जानकारी मिलती हैं, जिसके आधार पर वह अपने अखबार को स्टोरी देती है कि शास्त्री जी की मौत हार्ट अटैक से नहीं हुई थी और वह इसके लिए जांच कमेटी गठित करने की मांग करती है.

The Tashkent files film review in hindi

पूरे देश में हंगामा मच जाता है. तब गृहमंत्री पी के आर नटराजन (नसीरूद्दीन शाह) पहले रागिनी फुले से बात करते हैं और फिर एक जांच कमेटी गठित करने का निर्णय लेते हुए विपक्ष के नेता श्याम सुंदर त्रिपाठी (मिथुन चक्रवर्ती) से मिलते हैं तथा उन्हे इस कमेटी का अध्यक्ष बना देते हैं. श्याम सुंदर त्रिपाठी इस जांच कमेटी में अपने साथ रागिनी फुले, समाज सेविका इंदिरा जय सिंह रौय (मंदिरा बेदी), ओंकार कश्यप (राजेश शर्मा), वैज्ञानिक गंगाराम झा (पंकज त्रिपाठी), जस्टिस कूरियन (विश्व मोहन बडोला), पूर्व रा प्रमुख जी के अनंता सुरेश (प्रशांत बेलावड़ी), युवा नेता वीरेंद्र प्रताप सिंह राना (प्रशांत गुप्ता) के साथ-साथ इतिहासकार आयशा  (पल्लवी जोशी) को भी रखते हैं. आयशा ने शास्त्री जी की मौत पर लिखी अपनी किताब में शास्त्री जी की मौत की वजह हार्ट अटैक लिखी है और उन्हे यह मंजूर नही कि कोई उन्हे व उनकी किताब को गलत ठहराए.

डायरेक्शन

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फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री ने इस बार अपनी फिल्म ‘‘द ताशकंद फाइल्स’’ में अतीत के बहुत ही ज्यादा विवादास्पद मुद्दे को उठाया है. फिल्म देखते वक्त अहसास होता है कि उन्होने इस राजनीतिक ड्रामा वाली फिल्म के लिए गहन शोधकार्य किया है. बेहतरीन पटकथा व उत्कृष्ट निर्देशन के चलते फिल्म दर्शकों को अंत तक बांधकर रखती है. फिल्म रोमांचक यात्रा है. इंटरवल से पहले कहानी बेवजह खींची गयी लगती है, मगर इंटरवल के बाद जबरदस्त नाटकीयता है. विवेक अग्निहोत्री व फिल्म एडीटर की कमजोरी के चलते फिल्म में सुनील शास्त्री, अनिल शास्त्री, कुलदीप नय्यर आदि के इंटरव्यू ठीक से कहानी का हिस्सा नहीं बन पाते.

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अभिनय

जहां तक अभिनय का सवाल है, तो पत्रकार रागिनी फुले का किरदार निभाने वाली अदाकारा श्वेतता बसु प्रसाद के अभिनय की जितनी तारीफ की जाए, उतनी कम है. एक दो सीन को नजरंदाज कर दें, तो वह पूरी फिल्म में अपनी परफार्मेंस की वजह से हावी रहती है. पंकज त्रिपाठी,पल्लवी जोशी, मंदिरा बेदी, मिथुन चक्रवर्ती ने भी बेहतरीन परफार्मेंस दी है. नसीरूद्दीन शाह के हिस्से कुछ खास करने को रहा नही. कैमरामैन उदयसिंह मोहिते भी बधाई के पात्र हैं. इस फिल्म की कमजोर कड़ी इसका बैकग्राउंड साउंड है.

देखें या नहीं

कुल मिलाकर अगर आप एक गंभीर मुद्दे पर कोई अच्छी फिल्म देखना चाहते हैं तो एक बार इसे जरूर देख सकते हैं. लेकिन बौलीवुड की टिपिकल मसाला फिल्में देखने वाले दर्शकों के लिए ये फिल्म नहीं है.

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