पहले मिलन को कुछ इस तरह से बनाएं यादगार : 8 रोमांटिक नुस्खे

अगर आप अपने जीवनसाथी के साथ पहले मिलन को यादगार बनाना चाहती हैं तो आप को न केवल कुछ तैयारी करनी होंगी, बल्कि साथ ही रखना होगा कुछ बातों का भी ध्यान. तभी आप का पहला मिलन आप के जीवन का यादगार लमहा बन पाएगा.

  1. करें खास तैयारी: पहले मिलन पर एकदूसरे को पूरी तरह खुश करने की करें खास तैयारी ताकि एकदूसरे को इंप्रैस किया जा सके.

2. माहौल हो खास: वह जगह जहां आप पहली बार एकदूसरे से शारीरिक रूप से मिलने वाले हैं, वहां का माहौल ऐसा होना चाहिए कि आप अपने संबंध को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

कमरे में विशेष प्रकार के रंग और खुशबू का प्रयोग कीजिए. आप चाहें तो कमरे में ऐरोमैटिक फ्लोरिंग कैंडल्स से रोमानी माहौल बना सकती हैं. इस के अलावा कमरे में दोनों की पसंद का संगीत और धीमी रोशनी भी माहौल को खुशगवार बनाने में मदद करेगी. कमरे को आप रैड हार्टशेप्ड बैलूंस और रैड हार्टशेप्ड कुशंस से सजाएं. चाहें तो कमरे में सैक्सी पैंटिंग भी लगा सकती हैं.

फूलों से भी कमरे को सजा सकती हैं. इस सारी तैयारी से सैक्स हारमोन के स्राव को बढ़ाने में मदद मिलेगी और आप का पहला मिलन हमेशा के लिए आप की यादों में बस जाएगा.

3. खुद को रखें साफसुथरा : पहले मिलन का दिन निश्चित हो जाने के बाद आप खुद की ग्रूमिंग पर भी ध्यान दें. खुद को शारीरिक और मानसिक रूप से तैयार करें. इस से न केवल आत्मविश्वास बढ़ेगा, बल्कि आप स्ट्रैस फ्री हो कर बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगी. पहले मिलन से पहले पर्सनल हाइजीन को भी महत्त्व दें ताकि आप को संबंध बनाते समय झिझक न हो और आप पहले मिलन को पूरी तरह ऐंजौय कर सकें.

4. प्यार भरा उपहार: पहले मिलन को यादगार बनाने के लिए आप एकदूसरे के लिए गिफ्ट भी खरीद सकते हैं. जो आप दोनों का पर्सनलाइज्ड फोटो फ्रेम, की रिंग या सैक्सी इनरवियर भी हो सकता है. ऐसा कर के आप माहौल को रोमांटिक और उत्तेजक बना सकती हैं.

6. खुल कर बात करें: पहले मिलन को रोमांचक और यादगार बनाने के लिए खुद को मानसिक रूप से तैयार करें. अपने पार्टनर से इस बारे में खुल कर बात करें. अपने मन में उठ रहे सवालों के हल पूछें. एकदूसरे की पसंदनापसंद पूछें. जितना हो सके पौजिटिव रहने की कोशिश करें.

7. सैक्स सुरक्षा: संबंध बनाने से पहले सैक्सुअल सुरक्षा की पूरी तैयारी कीजिए. सैक्सुअल प्लेजर को ऐंजौय करने से पहले सैक्स प्रीकौशंस पर ध्यान दें. आप का जीवनसाथी कंडोम का प्रयोग कर सकता है. इस से अनचाही प्रैगनैंसी का डर भी नहीं रहेगा और आप यौन रोगों से भी बच जाएंगी.

8. सैक्स के दौरान

 – सैक्सी पलों की शुरुआत सैक्सी फूड जैसे स्ट्राबैरी, अंगूर या चौकलेट से करें.

– ज्यादा इंतजार न कराएं.

– मिलन के दौरान कोई भी ऐसी बात न करें जो एकदूसरे का मूड खराब करे या एकदूसरे को आहत करे. इस दौरान वर्जिनिटी या पुरानी गर्लफ्रैंड या बौयफ्रैंड के बारे में कोई बात न करें.

– संबंध के दौरान कल्पनाओं को एक तरफ रख दें. पोर्न मूवी की तुलना खुद से या पार्टनर से न करें और वास्तविकता के धरातल पर एकदूसरे को खुश करने की कोशिश करें.

– बैडरूम में बैड पर जाने से पहले अगर आप घर में या होटल के रूम में अकेली हों तो थोड़ी सी मस्ती, थोड़ी सी शरारत आप काउच पर भी कर सकती हैं. ऐसी शरारतों से पहले सैक्स का रोमांच और बढ़ जाएगा.

– सैक्स संबंध के दौरान उंगलियों से छेड़खानी करें. पार्टनर के शरीर के उत्तेजित करने वाले अंगों को सहलाएं और मिलन को चरमसीमा पर ले जा कर पहले मिलन को यादगार बनाएं.

– मिलन से पहले फोरप्ले करें. पार्टनर को किस करें. उस के खास अंगों पर आप की प्यार भरी छुअन सैक्स प्लेजर को बढ़ाने में मदद करेगी.

– सैक्स के दौरान सैक्सी टौक करें. चाहें तो सैक्सुअल फैंटेसीज का सहारा ले सकती हैं. ऐसा करने से आप दोनों सैक्स को ज्यादा ऐंजौय कर पाएंगे. लेकिन ध्यान रहे सैक्सुअल फैंटेसीज को पूरा के लिए पार्टनर पर दबाव न डालें.

– संयम रखें. यह पहले मिलन के दौरान सब से ज्यादा ध्यान रखने वाली बात है, क्योंकि पहले मिलन में किसी भी तरह की जल्दबाजी न केवल आप के लिए नुकसानदेह होगी, बल्कि आप की पहली सैक्स नाइट को भी खराब कर सकती है.

सैक्स के दौरान बातें करते हुए सहज रह कर संबंध बनाएं. तभी आप पहले मिलन को यादगार बना पाएंगे. संबंध के दौरान एकदूसरे के साथ आई कौंटैक्ट बनाएं. ऐसा करने से पार्टनर को लगेगा कि आप संबंध को ऐंजौय कर रहे हैं.

जानें, इन वजहों से देते हैं आप एक-दूसरे को धोखा!

अमेरिकी लेखिका पेगी वौगैन अपनी किताब दि मोनोगैमी मिथ में अनुमान लगाती हैं कि तकरीबन 60 प्रतिशत पुरुष और 40 प्रतिशत महिलाएं अपने वैवाहिक जीवन के दौरान कभी-न-कभी अपने साथी को धोखा देते हैं. और अक्सर इसका कारण सेक्स नहीं होता.

बेवफाई रिश्तों में कुछ समय से चली आ रही समस्या का लक्षण है; ऐसे प्रेम-संबंधों की शुरुआत बेवजह या फिर इसलिए नहीं होती कोई व्यक्ति ‘बुरा इंसान’ है. लोग रिश्ते में किसी कमी के चलते बेवफाई करते हैं – स्नेह की कमी, ध्यान की कमी, सेक्स या आदर की कमी या फिर भावनात्मक जुड़ाव की कमी. अत: यदि अब आप कभी किसी को बेवफाई करते पाएं तो ये न सोचें कि वो ऐसा क्यों कर रहे हैं? क्योंकि हम वे कारण बता रहे हैं.

वे सुरक्षित नहीं महसूस करते:

यदि आप लगातार किसी बात को लेकर असुरक्षित महसूस करते हैं तो समझिए कि आपका रिश्ता टूटने की कगार पर है. वफादारी के पनपने के लिए जरूरी है कि पति-पत्नी के बीच प्यार और भरोसे का सतत प्रवाह बना रहे. ‘‘वैवाहिक रिश्तों में इन भावनाओं का होना अनमोल है और बहुत जरूरी भी. इससे सुनिश्चित होता है कि पति-पत्नी खुश और संतुष्ट हैं,’’ यह कहना है कोलकाता के साइकियाट्रिस्ट व रिलेशनशिप एक्सपर्ट डॉ सिलादित्य रे का.

उनके पास बातचीत के लिए कुछ नहीं है:

जब मेरे पति की और मेरी मुलाक़ात हुई थी, तब हम दोनों हौस्पिटैलिटी इंडस्ट्री में काम करते थे,’’ यह बताते हुए रिलेशनशिप एग्जेक्यूटिव प्रिया नायर, 29, कहती हैं,‘‘कुछ समय बाद मैंने वह इंडस्ट्री छोड़ दी और जनसंपर्क के क्षेत्र में आ गई. सालभर बाद तो हमारे पास एक-दूसरे से जुड़ने और बातचीत के लिए कोई साझा मुद्दा ही नहीं बचा था. थोड़े समय बाद हम दोनों को कुछ ऐसी गतिविधियों की जरूरत महसूस होने लगी, जिनका आनंद हम साथ-साथ उठा सकें. फिर हमने दौड़ने की अपनी रुचि पर ध्यान देना शुरू किया. हम एक-दूसरे को प्रोत्साहित करते, साथ-साथ मैराथन की तैयारी करते और इस बारे में चर्चा करते. इससे हमारी सेहत में भी सुधार आया और परस्पर रिश्ते में भी.’’

वे नाराज हैं, पर इसे छुपा रहे हैं:

यदि आपके बीच लड़ाई के दौरान अक्सर वे आपको ‘इमोशनल’ और आप उन्हें ‘संवेदनहीन’ कहती हैं तो साफ है कि आप दोनों एक-दूसरे की बात नहीं सुन रहे हैं. ऐसी टिप्पणियों से बचें और आरोप लगाने के बजाय एक-दूसरे से अपने एहसासात बांटें.

डॉ रे सलाह देते हैं,‘‘यदि उनकी किसी बात से आप आहत हो रही हैं तो उन्हें बताएं, पर इसका तरीका सही रखें. नकारात्मक भावनात्मक आवेग को बाहर निकालने का सेहतमंद रास्ता ढूंढ़ें. ये आपके वैवाहिक जीवन के लिए आवश्यक है.’’

उनके संकेतों को नजरअंदाज़ किया जा रहा है:

हर रिश्ते की कुछ सीमाएं होती हैं, जिनका सम्मान करना आप दोनों के लिए ज़रूरी है. आपको शायद ये अच्छा नहीं लगता हो कि आपके पति अब भी अपनी पूर्व-प्रेमिका से बातचीत करते हैं, पर वे इस बारे में आपको अक्सर संकेत देते रहते हैं.

डॉ रे कहते हैं कि इस तरह की सांकेतिक सीमाओं को समझना चाहिए और इनका आदर भी करना चाहिए. यदि आप इन अनकहे नियमों को तोड़ते हैं तो आपका साथी अपनी वफादारी को संदेह की दृष्टि से देखना शुरू कर सकता है और बेवफाई की संभावना बढ़ जाती है.

अपने व्यवहार में खुलापन लाइए. यदि आपको कोई आकर्षक लगता है तो इस बारे में बात कीजिए, क्योंकि यदि आप छिपाएंगी तो आपके इरादों को नेक नहीं कहा जा सकता.

उन्हें सेक्स की जरूरत है:

‘‘यदि आपके सेक्शुअल संबंध सेहतमंद नहीं है तो जाहिर है, आपका साथी यह सुख कहीं और से पाने का प्रयास करेगा,’’ कहना है डा. रे का. अपने सेक्स जीवन पर ध्यान दीजिए और यदि ये आपके, आपके साथी के या फिर आप दोनों के लिए संतुष्टिदायक नहीं है तो इस समस्या का समाधान ढूंढि़ए. इस मामले में मूक दर्शक मत बनिए, बल्कि किसी काउंसलर की मदद लीजिए.

पीरियड्स में सेक्स, नो टेंशन!

अकसर आप ने सुना होगा कि पीरियड्स में सैक्स करना सही नहीं माना जाता है. यहां तक कि आज भी कई जगह पीरियड्स के दौरान महिलाओं को अपने घर में ही पराया बना दिया जाता है. उन्हें पति से दूरी बनाने को कहा जाता है, रसोईघर में घुसने नहीं दिया जाता है, यहां तक कि महिलाएं पीरियड्स के दौरान खुद को सब से अलगथलग कर लेती हैं, जिस से ऐसा लगता है कि उन के लिए पीरियड्स अभिशाप हों, जबकि हमें यह मानना होगा कि यह उन्हें प्रकृति की देन है.

1972 में जब ‘द जौय औफ सैक्स : ए गोरमैट गाइड टू लवमेकिंग’ नामक एक बैस्ट सैलर पुस्तक प्रकाशित हुई थी तब पीरियड्स के दौरान सैक्स की मनाही थी. लेकिन लेखक ने पीरियड्स के दौरान सैक्स को पौजिटिव नजरिए से देखा और यह वास्तव में सही भी है.

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ऐसा माना जाता है कि पीरियड्स में सैक्स लंबे समय से सांस्कृतिक व धार्मिक कारणों से निंदा का कारण बन गया है. अभी भी बहुत से लोग मानते हैं कि यह खतरनाक व बुरा है. लेकिन शिक्षा के माध्यम से इस भ्रांति को दूर करने की कोशिश की जा रही है.

अनेक शोधों से तो यह भी पता चला है कि पीरियड्स के दौरान सैक्स के काफी फायदे हैं व महिलाएं पीरियड्स के दौरान बहुत ज्यादा कामोत्तेजित हो जाती हैं, क्योंकि योनि से अधिक खून का बहाव जो होता है, इसलिए महिलाओं में होने वाली इस प्राकृतिक प्रक्रिया को स्वीकार करें, क्योंकि यह उन की सिर्फ शारीरिक खुशहाली के लिए ही नहीं, बल्कि मानसिक खुशहाली के लिए भी आवश्यक है.

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सैक्स के लाभ

पीरियड्स की अवधि का कम होना : संभोग के दौरान मांसेपशियों में संकुचन तेजी से होने से पीरियड्स का खून तेजी से बाहर निकलता है, जिस का मतलब है कि अगर आप के पीरियड्स 7 दिन तक चलेंगे तो संभोग के कारण उन की अवधि घट कर 2-3 दिन हो जाती है.

दर्द से राहत : पीरियड्स में मांसपेशियों में जो ऐंठन होती है, संभोग उसे शांत करता है, क्योंकि इस से खून का प्रवाह बढ़ता है और ऐंड्रोफिंस रिलीज होता है जो दर्द से राहत दिलाने का काम करता है.

करे लुब्रिकेशन का काम : सैक्स के दौरान जितने लुब्रिकेशन की जरूरत होती है, कई महिलाओं में इस दौरान इस की कमी रहती है. लेकिन पीरियड्स के दौरान गुप्तांगों में ऐक्स्ट्रा फ्लूड रहता है.

सैक्स की इच्छा बढ़ाए : आप को बता दें कि महिलाओं में बड़ी तेजी से हार्मोन बदलते हैं खासकर प्रोजेस्टेरोन हार्मोन ओब्युलेशन से पहले ओवरीज से रिलीज होता है, जो ऐंड्रोमैट्रियन को अंडों को फलदायक बनाने के लिए तैयार करता है.

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प्रोजेस्टेरोन को कामेच्छा कम करने के लिए जाना जाता है इसलिए यह हार्मोन सर्किल की शुरुआत में न्यून होता है और आप की सैक्स की इच्छा बढ़ जाती है. तनाव को कम करे : सैक्स से ऐंड्रोफिंस नामक कैमिकल्स रिलीज होते हैं जिस से आप अच्छा महसूस कर पाते हैं. इस से पीरियड्स के दौरान होने वाले तनाव में भी कमी आती है. सिरदर्द से राहत : ज्यादातर महिलाओं को इस दौरान पैन्स्ट्रूअल माइग्रेन की शिकायत होती है, लेकिन सैक्स से सिरदर्द से उन्हें राहत मिल सकती है. मूड को सुधारे : साबित हुआ है कि संभोग से ऐंड्रोफिंस हार्मोंस जैसे औक्सिटोसिन व डोपामाइन रिलीज होते हैं, जो पीरियड्स के लक्षणों को कम कर के मूड को सुधारने का काम करते हैं.

सेफ सैक्स के लिए यह भी जरूरी

* पीरियड्स के दौरान कंसीव करने के चांस बहुत कम होते हैं लेकिन अगर आप का पीरियड सर्किल छोटा है तो कंसीव करने के चांस काफी बढ़ जाते हैं, इसलिए अगर आप कंसीव नहीं करना चाहती हैं तो पीरियड्स की शुरुआत में ही सैक्स करें, वह भी सेफ तरीके से.

* पीरियड्स में सैक्स से सैक्सुअल ट्रांसमिटिड इंफैक्शन होने का भी डर रहता है, इसलिए सेफ सैक्स के लिए कंडोम वगैरह का इस्तेमाल करना न भूलें.

* वेजाइनल यीस्ट इंफैक्शन होने के चांसेज ज्यादा रहते हैं क्योंकि आप की योनि 3.8-4.5 के बीच पीएच लैवल को मैंटेन रखती है लेकिन मैंसुरेशन के दौरान यह बढ़ जाता है. इस का कारण है कि खून का पीएच लैवल काफी बढ़ा हुआ होता है.

* बैक्टीरिया को पनपने से रोकने के लिए जल्दीजल्दी सैनेटरी पैड्स वगैरह बदलें.

लिहाजा, सैक्स को ऐंजौय कर खुद को हैल्दी और ऐक्टिव रखें. साथ ही, पीरियड्स में सैक्स से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करने की कोशिश करें.

– जैसमीन वासुदेवा

मार्केटिंग मैनेजर, नाइन    

कोरोनल डिप्रेशन का बढ़ता खतरा

लेखक- धीरज कुमार   

जिस तरह से अपने देश में कोरोना वायरस की दूसरी लहर बढ़ रही है और पूरे देश में संक्रमित लोगों की तादाद रोजाना बढ़ती जा रही है, उस से डाक्टरों के साथसाथ आम लोग भी कोरोना वायरस के बदले हुए स्ट्रेन के चलते चिंतित और परेशान हैं. हर किसी के मन में यह लग रहा है कि कहीं वह कोरोना वायरस से ग्रसित न हो जाए.

कुछ पढ़ेलिखे और समझदार लोग मास्क लगा रहे हैं और दूरी का पालन कर रहे हैं, वहीं कुछ बेपरवाह लोग मौजमस्ती में हाटबाजार और सड़कों पर घूमते नजर आ रहे हैं. कुछ सम झदार लोग वायरस से बचाव के लिए काफी एहतियात बरत रहे हैं, ठंडी चीजों से परहेज कर रहे हैं, गरम पानी पी रहे हैं व भीड़भाड़ से अपनेआप को दूर रख रहे हैं.

कुछ लोग टीका लगवाने की भी कोशिश कर रहे हैं, ताकि इस बीमारी के जोखिम से बचा जा सके, वहीं कुछ लोग कोरोना वायरस के चलते जितने ज्यादा चिंतित हो गए हैं कि एक तरह से डिप्रैशन का शिकार हो गए हैं.

वैसे तो लोग बारबार हाथ धो रहे हैं, तरहतरह के सैनिटाइजर का इस्तेमाल कर रहे हैं, यहां तक तो ठीक है, लेकिन कुछ लोग बारबार अपनी सांसें चैक कर के देख रहे हैं. कुछ लोग टैलीविजन और दूसरे मीडिया में खबरें देख कर जिनजिन लक्षणों के बारे में बताया जा रहा है, उन्हें खुद में ढूंढ़ कर अपनेआप को शक के घेरे में डाल रहे हैं. ऐसा करना सही नहीं है.

शक की इसी बीमारी को कोरोनल डिप्रैशन का नाम दिया जा रहा है. आज इस तरह के डिप्रैशन से सैकड़ों लोग पीडि़त हो चुके हैं. कई लोगों को इस डिप्रैशन की वजह से नींद नहीं आ रही है. कई लोग बारबार नींद खुलने की शिकायतें भी कर रहे हैं. मन में घुसे इस डर की वजह से सिरदर्द और चिंता होना लाजिमी है.

संजीव कुमार रोहतास, बिहार में एक कालेज में पढ़ाते हैं. उन्होंने बताया, ‘‘कई बार बुरे सपनों के चलते मेरी नींद टूट जा रही है. ऐसा लग रहा है कि मुझे कोरोना हो चुका है. खुद के तापमान को बारबार नापने की कोशिश करता हूं. अपनी सांसें रोक कर चैक कर रहा हूं.

‘‘कभी गुड़, तो कभी गोल मिर्च (गोलकी मसाला) खा कर अपनेआप को टैस्ट करने की कोशिश कर रहा हूं कि कहीं खाने का स्वाद तो नहीं चला गया है? कहीं मेरी सांसें तो नहीं अटक रही हैं? सीने में दर्द तो नहीं हो रहा है? ऐसा मन में डर के चलते हो रहा है.

‘‘पर, जब मैं डाक्टर के पास गया, तो उन्होंने मु झे पूरी तरह से ठीक बताया और जरूरत पड़ने पर नींद की गोली खाने को दे दी. अब मैं इस वहम से छुटकारा पा गया हूं.’’

वहीं डेहरी ओन सोन की रहने वाली मंजू देवी का कहना है, ‘‘घर पर कोई आ रहा है, तो मु झे इस बात का डर रहता है कि कहीं उन से मैं भी कोविड 19 से ग्रस्त न हो जाऊं. मैं काफी डरी हुई हूं. ऐसे माहौल में मैं क्या करूं, सम झ में नहीं आ रहा है. दिनरात चिंता के चलते सिर में दर्द और नींद नहीं आने की बीमारी हो गई है.

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‘‘कभीकभी तो शक के चलते जब तक खुद को साफसुथरा नहीं कर लेती हूं, तब तक अपने बच्चों के पास भी  नहीं जा पाती हूं. कभी बीच में उठ कर अपने बच्चों को चैक करती हूं, तो कभी खुद को.’’

इस तरह की बेवजह की चिंता और घबराहट बढ़ने की अहम वजह है कि टैलीविजन और दूसरे मीडिया में यह दिखाया जा रहा है कि श्मशान घाटों पर अनेक लाशें रोजाना जल रही हैं. वहां लंबीलंबी कतारें लगी हुई हैं. अस्पताल के बाहर उन के परिवार वालों को चीखतेचिल्लाते हुए दिखाया जा रहा है. देशभर में औक्सीजन सिलैंडर की काफी कमी हो गई है. उन के लिए जगहजगह मारामारी हो रही है.

इस तरह की खबरें सभी चैनलों पर कमोबेश दिखाई जा रही हैं. यह सब आम लोगों में डर पैदा कर रहा है. इस तरह की खबरों से लोगों में घबराहट बढ़ रही है और इस घबराहट से उन में डिप्रैशन बढ़ रहा है.

कुछ लोगों को तो यह लग रहा है कि इस महामारी के बाद वे अपनेआप को बचा पाएंगे या नहीं?

इतना ही नहीं, कुछ लोग मोबाइल पर और मीडिया में देख रहे वीडियो को एकदूसरे को भेज रहे हैं, जिस से डर का माहौल बनता जा रहा है. ऐसे में सम झ में नहीं आ रहा है कि कुछ लोग अपने परिवार वालों को जागरूक कर रहे हैं या उन्हें डरा रहे हैं? हालांकि यह डर लाजिमी है, लेकिन कुछ लोगों में डर इतना बढ़ गया है कि उन में डिप्रैशन बढ़ता ही जा रहा है.

सासाराम के अर्ष मल्टीस्पैशलिटी नर्सिंगहोम के डायरैक्टर डाक्टर आलोक तिवारी का कहना है, ‘‘कोरोना की वजह से लोगों में घबराहट ज्यादा बढ़ गई है. कोरोना से पीडि़त की मौत कोरोना वायरस से कम, बल्कि घबराहट के चलते हार्टअटैक से ज्यादा हो रही है. कुछ लोग एहतियात के तौर पर पहले से ही काढ़ा पी रहे हैं, अपने ऊपर तरहतरह के प्रयोग कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं करना चाहिए. ऐसी चीजें लिवर के लिए नुकसान देने वाली हो सकती हैं.

‘‘सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करें. पर इस के लिए दहशत में पड़ने की जरूरत नहीं है. अगर किसी आदमी में कोरोना के लक्षण जैसे सर्दी, खांसी, बुखार, पेट खराब, शरीर में दर्द, आंखों का लाल हो जाना, थकावट जैसे लक्षण पाए जाते हैं, तो तुरंत अस्पताल में इस की जांच कराएं.

‘‘अगर जांच के बाद यह पता चलता है कि किसी को कोरोना हो गया है, तो घबराने की जरूरत नहीं है, बल्कि डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करें.

‘‘वैसे, घर पर ही शरीर के तापमान को माप कर पता किया जा सकता है  कि बुखार है या नहीं. घर पर ही औक्सीमीटर से औक्सीजन लैवल को जांच सकते हैं. अगर औक्सीजन लैवल 94 से नीचे आ रहा है तो अस्पताल में जाने की जरूरत है, वरना घर पर भी इलाज किया जा सकता है.’’

घबराने से काम नहीं चलेगा. घर पर रह कर डाक्टर के निर्देशों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए. पौष्टिक आहार, जैसे फलसब्जियां वगैरह का सेवन करें. सांस लेने की कसरत करनी चाहिए. साफसफाई का ध्यान रखना चाहिए. सब से जरूरी बात है कि खुद को घर के दूसरे लोगों से अलग कमरे में कर लेना चाहिए, ताकि घर के बाकी लोग कोरोना वायरस की चपेट में न आने पाएं.

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सोशल मीडिया पर डाले गए तरहतरह के काढ़ा वगैरह के सेवन के बारे में भरम फैलाया जा रहा है. उस के बहुत ज्यादा सेवन से बचना चाहिए. बेवजह की चिंता भी नहीं करनी चाहिए. सब से जरूरी है कि भरम फैलाती खबरों से दूर रहना चाहिए.

अपने आसपास क्या हो रहा है, इस पर नजर जरूर रखनी चाहिए. घर की छत पर या अपने गार्डन में कसरत  करनी चाहिए. खुद को अफवाहों से दूर रख कर कोरोनल डिप्रैशन से बचा जा सकता है.

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