मशहूर गायक व अभिनेता जस्सी गिल की भी अपनी एक लंबी यात्रा है. इस यात्रा के अब तक के पड़ाव में उन्होने काफी तकलीफें उठाई हैं. पर अब उनकी गिनती पंजाबी संगीत व पंजाबी फिल्म जगत में सुपर स्टार के रूप में होती है. जस्सी गिल ने हिंदी फिल्म ‘‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’’ से बौलीवुड में कदम रखा था. मगर इस फिल्म को आपेक्षित सफलता नहीं मिली.
इन दिनों वह ‘‘फौक्स स्टार स्टूडियो’’ की अश्विनी अय्यर तिवारी निर्देशित 24 जनवरी को रिलीज हो रही फिल्म ‘‘पंगा’’ को लेकर अति उत्साहित हैं. वह ‘‘पंगा’’ को भी अपनी पहली बौलीवुड फिल्म मानते हैं.
प्रस्तुत है उनसे हुई एक्सक्लूसिब बातचीत के अंश..
आपने कालेज की पढ़ाई संगीत और फिजिकल ट्रेनिंग मे ली. इसके पीछे आपकी क्या सोच थी?
– सच कहूं तो मैंने स्कूल में ठीक ठाक पढ़ाई की थी. पर मैं पढ़ने से दूर भागता था. पढ़ाई में रूचि कम थी. मुझे पता चला कि कौलेज में पढ़ना कम पड़ता है. कौलेज में एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टीविटीज होती है. हर दिन कक्षा में बैठना आवश्यक नहीं होता. वहां शिक्षक से मार भी नहीं खानी पड़ती. फिर मैने पता किया कि ऐसे कौन से विषय हैं, जिनमें कम पढ़ना पड़ता है. तो मुझे पता चला के कौलेज में संगीत और फिजिकल ट्रेनिंग जैसे प्रैक्टिकल विषय में कम पढ़ना पड़ता है. मेरी रूचि संगीत और फिजिकल ट्रेनिंग में थी. मैं वौलीबाल का राष्ट्रीय खिलाडी हूं. इसके अलावा मुझे गाने का भी बचपन से शौंक रहा है.
ये भी पढ़ें- Bigg Boss 13: पारस पर बरसा सलमान का गुस्सा तो एक बार फिर भिड़े सिद्धार्थ-असीम
स्कूल में जब मैं आठवीं कक्षा में पढ़ता था, तब सीनियर के साथ राष्ट्रीय स्तर पर वौलीबाल खेल चुका था. तो मेरे दिमाग में यह बात थी कि मेरी रूचि इन दोनो विषयों में है, तो इनकी पढ़ाई में मेरा मन लगा रहेगा.
आपने वौलीबाल खेलना क्यों बंद कर दिया?
– मेरे स्कूल में वौलीबाल खिलाते थे. पर कालेज में पहुंचने के बाद मुझे एहसास हुआ कि राष्ट्रीय स्तर पर वयस्क खिलाड़ी के रूप में मेरे अंदर दूसरे खिलाड़ियों जैसी क्षमता/ टैलेंट/प्रतिभा नही है. एक्स्ट्रा आर्डनरी टैलेंट नहीं था. दूसरी बात खिलाड़ी के तौर पर वौलीबाल में भविष्य क्या है, इसकी मुझे जानकारी नहीं थी. इस खेल में कैसे आगे बढ़ा जाए, वह राह नहीं पता थी. मुझे लगा कि वौलीबाल को कैरियर बनाना मेरे लिए रिस्क है. पर कालेज के दिनों में मेरे दिमाग में साफ नही था कि आगे क्या करना है. पर मुझे लगा कि मैं अपनी रूचि के विषय में कौलेज की पढ़ाई पूरी करके दुनिया को समझकर आगे के बारे में सोच सकता हूं.
संगीत की तरफ रूझान कैसे पैदा हुआ?
– मैने पहले ही कहा कि बचपन से ही मुझे गाने का शौंक रहा है. जब मैं स्कूल में पढ़ता था, उन दिनों मशहूर गायकों को सुनता था, उनके संगीत एलबम के कवर और उनकी तस्वीर के पोस्टर देखकर सोचता था कि एक दिन मेरा भी इसी तरह एलबम आए और इसी तरह पोस्टर में मेरी फोटो भी हो. फिर सीडी आने लगी, तो मैंने सीडी भी घर लाकर सुनना शुरू किया. इसके अलावा पंजाब में कौलेज में नियम था कि जिसके नाम के साथ ‘सिंह’ सरनेम है, उसे पगड़ी बांधनी पडे़गी, तो मैं पगड़ी भी बांधने लगा था. उसके बाद मैने उन गायकों के एलबम व सीडी खरीदने लगा, जो कि पगड़ी पहनकर गाते थे. ऐसे गायकों के प्रति मन में इज्जत थी,आकर्षण था.
मेरे मन में भी यह इच्छा थी कि एक दिन मैं भी गीत गाउंगा. मन में था कि एक दिन मेरा एलबम भी बाजर में आएगा, पर उस वक्त मुझे नहीं पता था कि यह कैसे होगा? पर दिल में जरुर था. जब मैंने संगीत व फिजिकल ट्रेनिंग के विषय लिए, तो कौलेज में संगीत की ट्रेनिंग मिली. कौलेज में पूछा गया कि कौन गा सकता है. उसके बाद मुझे कौलेज के हर फंक्शन में गाने का मौका दिया जाने लगा. तो पहली बार मैने कौलेज फंक्शन में ही मैने स्टेज पर गाया और जबरदस्त प्रशंसा मिली. उसके बाद लगातार चार साल अपने कौलेज की तरफ से यूथ फेस्टिवल में जाता रहा और हर बार सेकंड प्राइज मिला, पर इससे मेरा सपना ज्यादा बलवान हुआ कि मैं गा सकता हूं. फिर मैंने अपना एलबम निकालने और अपने गाने को रिकौर्ड करने के लिए लोगों से मिलना जुलना शुरू किया.
पहला अलबम लाने में काफी संघर्ष करना पड़ा?
– कौलेज में संगीत की बेसिक जानकारी हासिल की. यूथ फेस्टिवल में मौलिक गीत ही गाने पड़ते हैं, तो क्रिएशन करना आ गया था. फिर जब अपने एलबम के लिए लोगों से मिलना जुलना शुरू किया, तो लोगों ने पैसे मांगे, एलबम बनाने के लिए. मैंने काफी सोचकर समझकर एक बंदे को चुना, जो कि हमारे गांव का रिश्तेदार भी था, मगर उसने भी मुझे धौखा दिया. फिर मैं निराश हो गया.
मेरी बड़ी बहन डाक्टर, बीच वाली बहन ने एमबीए किया है और मेरी तीसरी बहन इंजीनियर है. और मैं सबसे छोटा हूं. मेरे पिता जी के पास खेती है. उन्होने हम सभी को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए काफी मेहनत की. हमें सपोर्ट किया. मेरे पापा ने कभी कोई तकलीफ हम तक पहुंचने नही दिया.
खैर, मैने किसी तरह पापा से पैसे लेकर उसे दिए थे, उसने काम नहीं किया, तो दिल टूटा और मैंने निर्णय लिया कि अब मैं संगीत एलबम तभी निकालूंगा, जब मेरे पास अपने पैसे होंगे. फिर मैने सोचा कि स्पौन्सरशिप लेकर विदेष जाकर उच्च शिक्षा हासिल कर लेता हूं. मैंने यह बात सोची और औस्ट्रेलिया में रह रही मेरी बहन ने मेरा व मां का वीजा भेज दिया. हम चार पांच माह के लिए औस्ट्रेलिया गए. वहां पर खाली बैठने की बजाय जीजा के दोस्त के गैरज में ‘कार वौश’ का काम किया. जो पैसे मिले, उन्हे लेकर वापस भारत आकर संगीत एलबम के बारे सोचना शुरू किया. पहला एलबम बनाया, जिसे मैंने टीसीरीज को दिया.
पहले अलबम का रिस्पांस किस तरह का मिला था?
– एलबम बनाने के बाद उस एलबम को रिलीज करने के लिए लोग पैसे मांग रहे थे. इसी बीच मुझे एक बंदा मिला, जिसने कहा कि वह टीसीरीज से मेरा अलबम निकलवा देगा. मेरे लिए हैरानी की बात थी. मेरी नजर में टीसीरीज बहुत बड़ी कंपनी है. मुझे राह मिली, मेरा पहला गाना टीसीरीज तक पहुंचा, टीसीरीज ने एक माह का विज्ञापन भी किया, मगर यह गाना सफल नहीं हुआ.
फिर मैने एक दूसरे गाने “चूड़ियां” का वीडियो अपने दोस्तों के साथ बहुत कम पैसे खर्च करके बनाया. हमने यह गाना 31 दिसंबर को टीसीरीज को दिया. उसी वक्त पंजाब में एक नया चैनल लांच हुआ था, जिसे टीसीरीज ने मेरा वह गाना मुफ्त में चलाने के लिए दे दिया. चार पांच दिनो में ही यह चैनल और मेरा गाना दोनों बहुत लोकप्रिय हो गए. इस गाने के वीडियो से लोगो ने मेरी शक्ल पहचान ली. मेरी पहचान बन गयी. जबकि उस वक्त पंजाबी संगीत तेजी से उभर रहा था. पंजाबी संगीत बन भी अच्छा रहा था. हनी सिंह जैसे गायकों का जलवा था. हनी सिंह का रैप संगीत काफी लोकप्रिय था. पर मेरा ‘चूड़ियां’ गाना लोगों को काफी सिंपल और अलग सा लगा.
टीसीरीज को भी अच्छा रिस्पौंस मिला, उन्होेने मुझसे कहा कि वह मेरे नए सिंगल गाने को लेना चाहते हैं. उन्होने मुझसे कहा कि मैं गाने का आडियो उनको दूं, वह उसके दो वीडियो शूट करवाएंगे और उसे रिलीज कर विज्ञापन भी करेंगे. मैने गाना किया ‘लेंसर’. यह गाना इस कदर हिट हुआ कि कमाल हो गया. पंजाब ही नहीं विदेशों में भी जहां भी पंजाबी गीत संगीत सुना जाता है, सभी को पता चला कि जस्सी नामक एक नंया बंदा अच्छा लगता है. इस गाने के वीडियो में अभिनय करते हुए मैने एक गरीब लड़के का किरदार निभाया था, जो कि कालेज में पढ़ता है, जिसे देखकर मुझे पंजाबी फिल्म में अभिनय करने के औफर मिले.
ये भी पढ़ें- VIDEO: ऐन मौके पर होगी नायरा-कार्तिक की शादी में गड़बड़, आएगा ऐसा ट्विस्ट
मैने पंजाबी फिल्म में अभिनय किया और वह पंजाबी फिल्म भी हिट हो गयी. यह मेरी जिंदगी व कैरियर का टर्निंंग प्वाइंट था. उसके बाद मुझे पंजाबी फिल्मों में अभिनय करने के औफर मिलने लगे. फिर मेरा कैरियर तेजी से आगे बढ़ने लगा, जो कि अभी भी आगे बढ़ता जा रहा है, पर मैं अपनी तरफ से कुछ ज्यादा ही चूजी और मेहनत करने लगा हूं.
आपके कैरियर पर नजर दौड़ाने पर पता चलता है कि आप लगभग हर वर्ष छह सिंगल गाने लेकर आ रहे थे, पर पिछले दो वर्ष से यह संख्या कम हो गयी है?
– देखिए, पहले हम आठ गानों का एलबम बनाते थे. जिसमें से किसी को कोई भी गाना पसंद आ जाता था, जो गाना सबसे ज्यादा पसंद किया जाता था, उसका वीडियो बनता था. पर अब वह दौर खत्म हो गया. अब डिजिटली सिंगल गाना रिलीज होने लगा है. उसी सिंगल गाने का वीडियो बनाकर रिलीज किया जाता है. इससे हमारी जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गयी है. इसी के चलते अब सिंगल गाने में काफी वक्त लगता है. फिर मुझे चालू काम करना पसंद नही. मैं गाने के शब्द, संगीत से लेकर हर बात पर काफी ध्यान देता हूं. गाना रिकौर्ड होने के बाद उसका वीडियो अच्छे एंगल से फिल्माता हूं. तब योजना बनाकर रिलीज करता हूं, तो इसमें वक्त लगता है. इसलिए इन दिनों मेरे सिंगल गाने काफी कम आ रहे हैं. पर जो काम कर रहा हूं, उससे खुश हूं. किसी को पीछे छोड़कर आगे निकलना मेरे स्वभाव में नहीं है. मैं अलग तरह के गाने ही करता हूं.
आप खुद गीत लिखते हैं या नहीं?
– मैने कौलेज के दिनों में ही खुद गीत लिखने शुरू कर दिए थे, पर खुद को अच्छा गीतकार नहीं मानता. हमारे यहां काफी काबिल गीतकार व शायर हैं. मैं अच्छे गीतकारों से ही गाने ले रहा हूं. पर अभी मैने अपने दो पसंदीदा गायको को अपने गाने दिए हैं, जो कि बहुत जल्द रिकौर्ड होकर बाजार में आएंगे. पर पिछले एक साल से कोई नया गीत नहीं लिखा. मुझे गीत लिखने में अपने दिमाग पर काफी जोर लगाना पड़ता है.
अब आप हिंदी में गा रहे हैं या नहीं ?
-जी हां! मैने अपनी इसी फिल्म ‘‘पंगा’’ में एक गाना गाया है. शंकर एहसान लौय का संगीत है और जावेद अख्तर का लिखा हुआ गीत है.
संगीत में लोकप्रिय होते ही आपने अचानक अभिनय में भी कदम..?
– अचानक तो नहीं हुआ. देखिए, मैने 2011 में बतौर गायक पंजाबी इंडस्ट्री में कदम रखा था, उस वक्त दलजीत व गिप्पी ग्रेवाल जो मशहूर पंजाबी गायक हैं, फिल्मों में भी अभिनय कर रहे थे. तो हम सभी संगीत के क्षेत्र में काफी गंभीरता से काम करते हैं. हम हर सिंगल गाने के वीडियो का कौसेप्ट बनाकर ही फिल्माते हैं. तो कौंसेप्ट में रहकर क्या अभिनय करना है, यह जानकर मेरे अभिनय की शुरूआत तो गाने के वीडियो एलबम से ही हो गयी थी. लोगों ने मेरे वीडियो को देखकर कहना शुरू कर दिया था कि जस्सी तू तो अभिनेता भी है.
ये भी पढ़ें- फिर ट्रोलिंग की शिकार हुईं अनन्या पांडे, गन्ने के खेत में पहुंचीं तो ऐसे बना मजाक
फिर जब मेरा गाना ‘लेंसर’ आया, उसके वीडियो को देखने के बाद मुझे पंजाबी फिल्म में अभिनय करने का औफर मिला, फिल्म हिट हुई. तब से मैं गायन व अभिनय दोनो करता आ रहा हूं. अब तो पांच वर्ष हो गए. मैने गुरदास मान सहित पंजाबी के टौप लोगों के साथ अभिनय किया. हिंदी फिल्मों में पियूष मिश्रा, सोनाक्षी सिन्हा, अली फजल, मुदस्सर अजीज, कंगना रानौट, अश्विनी अय्यर तिवारी, नीना गुप्ता आदि के साथ काम करते हुए काफी कुछ सीखा. इनके साथ काम करके मेरे अंदर कौन्फीडेंस/ आत्म विष्वास पैदा हुआ. मैने हर दिन सीखा. मैं यह सोचकर नहीं आया था कि मुझे अभिनेता बनना है, बल्कि लोगों ने मुझे बताया कि मैं अभिनय कर सकता हूं.
आपकी बौलीवुड की पहली फिल्म ‘‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’’ को आपेक्षित सफलता नहीं मिली थी. क्या वजहें थी?
– देखिए, मैने इस सिक्वअल की पहली फिल्म देखी हुई थी, इसलिए मैं यह नही कहूंगा कि मेरे या किसी अन्य कलाकार की वजह से फिल्म असफल हुई. मै बार बार कहता हूं कि हर फिल्म निर्देशक की होती है. फिल्म निर्देशक ने अपनी आंखों में देख रखी थी. हम तो सिर्फ उनके वीजन के अनुसार काम करने वाले लोग थे. मैं आपसे एकदम खुलकर बात कर रहा हूं. मैं यह कभी नहीं कहूंगा कि यह फिल्म मेरी वजह से असफल हुई. यदि फिल्म हिट हो जाती, तब भी मैं यह नहीं कहता कि मेरी वजह से हिट हुई. सच यही है कि किसी को नहीं पता है कि दर्शक को फिल्म में क्या पसंद आएगा. निर्देशक ने अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ देने का काम किया, हम कलाकारों ने भी सर्वश्रेष्ठ देने का काम किया. मैं बौक्स आफिस की बात नहीं करता. मैं बौलीवुड में अच्छा काम करने के लिए आया हूं. यदि मैं अच्छा काम करुंगा, तभी मुझे काम मिलेगा. इसलिए मैं अपनी तरफ से सौ प्रतिशत बेहतर देने का प्रयास करता हूं. यही मैने हैप्पी फिर भाग जाएगी’ में किया था और उससे अधिक ‘पंगा’ में किया है. यही फंडा आगे भी रहेगा. मैं पूरे दिल के साथ काम करना पसंद करता हूं. बाकी दर्शकों पर निर्भर करता है.
फिल्म ‘‘पंगा’’ से कैसे जुड़े?
-मुझे इस फिल्म का औफर ‘‘हैप्पी भाग जाएगी’’ के प्रदर्शन से पहले मेरे एक संगीत वीडियों के चलते मिला. ‘हैप्पी फिर भाग जाएगी’ 24 अगस्त 2018 को रिलीज हुई थी और मैंने फिल्म ‘‘पंगा’’ 22 अगस्त 2018 को साइन कर ली थी. इसीलिए मैं ‘पंगा’ को भी अपनी पहली बौलीवुड फिल्म मानता हूं और बेहतर काम करने का प्रयास किया है.
फिल्म ‘‘पंगा’’ करने के लिए किस बात ने उकसाया?
– फिल्म की स्क्रिप्ट सुनते हुए मुझे लगा कि यह तो मेरी मम्मी की कहानी है, मैने कभी उनके बारे में सोचा ही नहीं. वह तो हर दिन सुबह उठते ही अपने काम में लग जाती थीं. उनका रूटीन देखता आया हूं, फिर मुझे मेरे पिता नजर आने लगे कि उन्होने हमारे लिए कितना सैक्रीफाईज किया है. इस फिल्म में भी पिता यानी कि मेरा किरदार प्रशांत अपनी पत्नी जया से कहता है कि, ‘तुम कबड्डी खेलने पर ध्यान दो, मैं बेटे का ख्याल रखूंगा. यह एकदम रीयल स्टोरी है, जो कि हर बंदे की, हर बंदे के आसपास की कहानी है.
आपको नहीं लगता कि अब वक्त बदला है और कई पुरूष अपनी पत्नी के काम में हाथ बंटाने लगे हैं, उन्हे सहयोग देने लगे हैं? इस बदलाव को आपने कितना महसूस किया?
– आप सही कह रहे हैं, पर अभी भी बहुत बदलाव की जरुरत है. जैसा कि मैने कुछ देर पहले आपको बताया कि मैने खुद कभी भी अपनी मम्मी को हर दिन काम करते देख कुछ नहीं सोचा और न कभी उनसे उनके सपनों के बारे में, उनकी पसंद नापसंद के बारे में कोई सवाल किया. यह फिल्म देखकर लोग भी सोचेंगे कि क्या आज की तारीख में लोग अपनी जिंदगी व कैरियर में इतनी तेज गति से भाग रहे हैं कि उनके दिमाग में यह विचार ही नहीं आता कि उनकी मां, बहन या पत्नी या बेटी के भी सपने हैं या नहीं. वह क्या करना चाहती हैं. हम अपनी मां या बहन आदि को लगातार घर पर काम करते देखकर नजरंदाज /इग्नोर कर देते हैं. मगर ‘‘पंगा’’ देखकर जब लोग सिनेमाघरों से बाहर निकलेंगे, तो उनके दिमाग में ऐसा ख्याल आएगा कि वह घर जाकर अपनी मां, बहन या पत्नी से एक बार जरुर पूछेगा कि उनका कोई सपना तो नहीं रह गया, जिसमें मैं तेरी कोई मदद कर सकूं. मेरी राय में फिल्म का मूल मकसद दर्शक का मनोरंजन करना है, मगर यदि उसी के साथ फिल्म दर्शक को कुछ संदेश दे या प्रभावित कर जाए, तो वह फिल्म सर्वश्रेष्ठ बन जाती है.
ये भी पढ़ें- शादी के बाद यूं रोमांस करेंगे कार्तिक-नायरा, ऐसा होगा ‘कायरा’ का आखिरी मिलन
सोशल मीडिया पर क्या लिखना पसंद करते हैं?
– मैं अपने बारे में बात करना पसंद करता हूं. मेरी राय में सोशल मीडिया ऐसा प्लेटफार्म है, जिस पर आप अपनी आवाज उठा सकते हो, पर आज की तारीख में आवाज उठाने के लिए भी आपको बहुत स्ट्रांग होना चाहिए. जिस मुद्दे पर आवाज उठा रहे हैं, उसकी गहराई के साथ जानकारी होनी चाहिए. बिना जानकारी के बात करना गलत है. आपको अपनी जिम्मेदार भी पता होनी चाहिए. हम कलाकारों के साथ काफी लोग जुडे़ होते हैं. इसलिए मेरी कोशिश रहती है कि जो लोग मेरे साथ जुड़े हुए हैं, उन्हे मैं अपने बारे में बताऊं कि मैं आगे क्या करने की सोच रहा हूं अथवा क्या कर रहा हूं.