फेरी वालों के फरेब में फंसते लोग

‘ले लो बाबू. 10 कालीन हैं. बहुत ही कम दाम में मिल जाएंगे… हजारों रुपए का सामान बहुत ही कम कीमत पर देंगे. ऐसा मौका बारबार नहीं मिलेगा… हम लोगों को जरूरी काम से घर जाना है, इसलिए कम कीमत पर बेचना पड़ रहा है…’

इस तरह की बातें कहते फेरी वाले घरों और दफ्तरों के आसपास घूमते रहते हैं और कम कीमत पर इतने कालीन या कोई और सामान मिलता देख लोगों का लालची होना लाजिमी है. फेरी वालों की इस मार्केटिंग ट्रिक के  झांसे में लोग खासकर औरतें आसानी से फंस जाती हैं. लोगबाग पैसे जुटा कर फेरी वालों के कहे मुताबिक रुपयों का इंतजाम करते हैं. उन्हें अपनी औकात दिखाते हुए अकड़ के साथ रुपए थमा देते हैं और मन ही मन खुश होते हैं कि काफी कम कीमत पर ढेर सारा सामान मिल गया.

पटना की एक बड़ी कंपनी में काम करने वाले जितेंद्र सिंह कहते हैं कि एक दिन जब वे अपने दफ्तर में बैठ कर काम निबटा रहे थे तो कंधे पर कई चादर और दरी लादे एक नौजवान पहुंचा. उस ने पूछा कि चादर और दरी लेनी है? पहले तो जितेंद्र ने कहा कि नहीं भाई नहीं लेनी है. फेरी वाले ने कहा कि ले लो सस्ते में दे देंगे.

जितेंद्र ने जब पूछा कि कितने की है तो फेरी वाले ने कहा कि ये सब 4,000 रुपए की हैं, अगर 3,000 रुपए दे, तो वह सारी चादरें और दरियां दे देगा.

जितेंद्र ने कहा कि 2,000 रुपए में दोगे तो सोचेंगे. फेरी वाले ने कुछ देर नानुकर करने के बाद कहा कि अगर तुम्हारी जेब में 2,000 हैं तो निकाल दो और ले लो सारा सामान.

जितेंद्र ने कहा कि इतने रुपए फिलहाल उन के पास नहीं हैं, पर वे इंतजाम कर सकते हैं. फेरी वाले ने उन्हें उकसाते हुए कहा कि हो गया न चेहरा पीला. जेब में रुपया रहता नहीं है और चले हैं हजारों का सामान खरीदने.

जितेंद्र और फेरी वाले की बात को पास बैठा स्टाफ चुपचाप सुन रहा था. उस ने जितेंद्र को आगाह करते हुए कहा कि वे फेरी वाले के जाल में फंस रहे हैं. इस के बाद भी जितेंद्र फेरी वाले से सौदा पटाने में लगे रहे. आखिर में फेरी वाला जितेंद्र की औकात बताने लगा. दफ्तर में बेइज्जती होते देख पूरा स्टाफ उस फेरी वाले को मारने दौड़ा. अपनी चाल उलटी पड़ती देख वह फेरी वाला अपना सामान फेंक जान बचा कर भाग खड़ा हुआ.

मुजफ्फरपुर में रहने वाली अर्चना सिन्हा अपनी आपबीती सुनाते हुए कहती हैं कि एक दिन एक फेरी वाला उन के घर पर कालीन देख लेने की गुहार लगाने लगा. पहले तो उन्होंने फेरी वाले से कहा कि उन्हें कालीन की जरूरत नहीं है, पर वह बारबार कालीन देख लेने की जिद करने लगा. मन मार कर वे कालीन देखने लगीं.

कालीन अच्छे लगे और 2,000 रुपए में 10 कालीन देने की बात तय हो गई. फेरी वाले को रुपए दे कर उन्होंने नौकर से कहा कि कालीन अंदर ले आए. रुपए ले कर वह कालीन वाला दरवाजे से बाहर निकल गया.

थोड़ी देर बाद अर्चना सिन्हा ने कालीन का गट्ठर खोल कर देखा तो उस में 4 कालीन ही निकले, वे भी चादर की तरह पतले थे. 2,000 रुपए में 10 कालीन खरीद कर चालाकी भरा सौदा करने की खुशी काफूर हो गई. घटिया क्वालिटी की 4 चादरें देख कर उन की सम झ में आ गया कि वे ठगी जा चुकी हैं. उन्होंने नौकर को बाहर दौड़ाया और फेरी वाले को पकड़ने को कहा, पर वह कहां हाथ आने वाला था.

इस तरह के कालीन, चादर, दरी वगैरह अपने कंधे पर लाद कर कई फेरी वाले यहांवहां घूमते दिखाई देते हैं और आम लोगों को अपनी बातों में फंसा कर ठगते हैं.

मनोविज्ञानी रमेश देव बताते हैं कि ऐसे फेरी वाले आम आदमी की साइकोलौजी को पकड़ते हैं. उन्हें औकात की दुहाई दे कर दिल और दिमाग पर चोट करते हैं और उतावला हो कर और अपने को पैसे वाला साबित करने के चक्कर में लोग आसानी से उन की ठगी का शिकार बन जाते हैं.

ऐसे ठग फेरी वाले 3-4 चादरें, दरियां या कालीन को अपने कंधे पर इस तरह चालाकी और सलीके से सजा कर रखते हैं कि वे 8-10 नजर आते हैं.

कई बार जब कम पैसे में ज्यादा सामान खरीद लेने के अहसास के साथ फेरी वाले के जाने के बाद लोग गट्ठर खोलते हैं तो असलियत का पता चलता है. एक तो सामान कम होता है, साथ ही उस की क्वालिटी भी काफी बेकार होती है.

डीएसपी अशोक कुमार सिन्हा कहते हैं कि ऐसे फेरी वालों को खास तरह की ट्रेनिंग दी जाती है. इस तरह के धंधेबाजों का खासा नैटवर्क चलता है. वे लोग आम आदमी की औकात को ठेस पहुंचा कर अपना मतलब साधते हैं. 500-700 रुपए के सामान को 2-3 हजार रुपए में बेच लेते हैं.

कई मामलों में यह भी देखा गया है कि लोगों को फेरी वालों से सामान लेने की चाहत नहीं होती है, पर जब फेरी वाला उन्हें उन की औकात बताने लगता है तो लोग इज्जत का सवाल बना कर अपनी मेहनत की जमापूंजी को बिना सोचेसम झे उसे दे देते हैं. उस के बाद सामान की घटिया क्वालिटी को देख कर माथा पीटने के अलावा उन के पास कोई चारा नहीं रह जाता है.

फेरी वालों से सामान लेते समय सावधान रहें-

* जिस चीज की जरूरत न हो, कभी भी उस तरह का सामान ले कर आए फेरी वालों से बात न करें.

* फेरी वाला अपनी बातों में फंसा कर अपना उल्लू सीधा करता है, इसलिए उस से फालतू के ज्यादा सवालजवाब न करें.

* इस सोच को खत्म करें कि फेरी वाला सस्ते में अच्छा सामान देता है.

* फेरी वाले कम कीमत की चीजों का भी कई गुना ज्यादा पैसा ऐंठ लेते हैं. उतने पैसे में बाजार से अच्छी क्वालिटी की चीजें मिल जाती हैं. दुकानों में सामानों की रेंज भी अच्छी होती है और सामान की गारंटी भी मिलती है.

* औकात बताने पर उतर आए फेरी वालों को सबक सिखाने के लिए आसपास के लोगों को चिल्ला कर बुला लें. इस से ठग फेरी वाले भाग खड़े होंगे.

* कीमत को ले कर फेरी वालों से ज्यादा बक झक न करें. अगर चीज पसंद नहीं है तो उसे कम कीमत पर भी क्यों लें.

* फेरी वालों की ओट में बहुत बार चोरउचक्के भी घर में घुस कर लूटपाट कर लेते हैं, इसलिए अगर औरतें घर में अकेली हों तो वे फेरी वालों को न बुलाएं.

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