नींदड़ जमीन समाधि सत्याग्रह हक के लिए जमीन में गडे़ किसान

पूरे देश में 6 साल पहले नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, इस के बावजूद राजस्थान की राजधानी जयपुर में तरक्की के लिए काम करने वाला जयपुर विकास प्राधिकरण किसानों को नए कानून के तहत मुआवजा देने को तैयार नहीं है.

इसी को ले कर राजधानी जयपुर के बिलकुल पास सीकर रोड पर गांव नींदड़ में नींदड़ आवास योजना के तहत जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा ली गई 1,350 बीघा जमीन पर किसान जमीन समाधि सत्याग्रह करने पर मजबूर हो गए हैं.

गांव नींदड़ में जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा बिना किसानों से बातचीत किए व सूचना दिए अचानक ही जमीन पर कब्जा कर के काम शुरू कर दिया गया. इस के खिलाफ किसान गुस्से में हैं और जमीन समाधि सत्याग्रह चला रहे हैं.

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तकरीबन 2 साल पहले भी सैकड़ों किसान जमीन को ले कर धरना प्रदर्शन कर चुके हैं. किसानों का कहना है कि उन को नए जमीन अधिग्रहण कानून के मुताबिक मुआवजा नहीं मिला है.

जयपुर विकास प्राधिकरण की इस तानाशाही के खिलाफ गांव नींदड़ के किसानों ने डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत की अगुआई में ‘नींदड़ बचाओ युवा किसान संघर्ष समिति’ के कहने पर जमीन समाधि सत्याग्रह शुरू किया.

इस आंदोलन की अगुआई कर रहे डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि जयपुर विकास प्राधिकरण अपने अडि़यल रवैए पर उतरते हुए 1 जनवरी, 2020 को इस जमीन पर अपना कब्जा लेने के लिए आदेश जारी कर चुका है.

किसानों का कहना है कि नया जमीन अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है, इस के बावजूद सरकार उन को पुराने कानून के मुताबिक मुआवजा देने का गलत काम कर रही है, जिस को किसान स्वीकार नहीं करेंगे.

इसी सिलसिले में नींदड़ आवासीय योजना में किसानों का हाल जानने की कोशिश की गई और यहां पर किसानों की अगुआई कर रहे जमीन समाधि सत्याग्रह में शामिल राजस्थान यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के अध्यक्ष रह चुके डाक्टर नगेंद्र सिंह शेखावत से बातचीत की गई. पेश हैं, उसी के खास अंश:

यहां के हालात कैसे हैं? जयपुर विकास प्राधिकरण के क्या हालात हैं? आप की डिमांड क्या है?

देखिए, यह आंदोलन लगातार पिछले 10 सालों से चल रहा है. जिस दिन जयपुर विकास प्राधिकरण ने नोटिफिकेशन डाला, तब से किसान आंदोलन कर रहे हैं. वे लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन कर रहे हैं. सरकार के मुख्यमंत्री के पास हम ने अपना पक्ष रखा, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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जयपुर विकास प्राधिकरण यहां पर आवासीय कालोनी बसाना चाहता है और यहां पर पहले से ही 18 कालोनियां बसी हुई हैं. उन को उजाड़ कर और नए लोगों को बसाने की यह प्रक्रिया है, जिस का हम लोग पूरी तरीके से विरोध कर रहे हैं. यहां के मूल निवासियों को उजाड़ेंगे, नए लोगों को बसाएंगे, यह कहां का इंसाफ है?

जयपुर विकास प्राधिकरण किसान परिवारों की 3,500 करोड़ की जमीन हड़पना चाहता है, जबकि किसान नए कानून के हिसाब से मुआवजा चाहते हैं.

इस से कितने परिवार प्रभावित हुए हैं?

यह 1,350 बीघा जमीन का मामला है. यहां पर हजारों की आबादी है. इस के अलावा किसानों की अपनी खेती की जमीन है और सब से बड़ी बात है कि देश में नया भूमि अधिग्रहण कानून लागू हो चुका है. पुराने कानून के तहत हम जमीन नहीं देना चाहते हैं.

क्या यहां के स्थानीय विधायक नरपत सिंह राजवी से कोई बात हुई है?

वे पिछले 10 साल से यहां लगातार विधायक हैं. उन को इस बारे में सबकुछ पता है और उन्होंने कितना सहयोग किया है या नहीं, यह किसान भी जानते हैं, और वे खुद भी जानते हैं, पर हमारा तो उन से भी और सरकार से भी निवेदन है कि किसानों की लोकतांत्रिक मांग को देखते हुए और वर्तमान में जो कानून इस देश में लागू है, उस के मुताबिक मुआवजा दिलवाएं, जिस से किसानों के साथ नाइंसाफी न हो.

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राजस्थान सरकार और मुख्यमंत्री से कोई बातचीत हुई या उन की तरफ से कोई मैसेज आया?

मुख्यमंत्री संवेदनशील हैं, वे किसानों के दर्द को समझते हैं और किसानों के प्रति उन्होंने इस देश में बहुत काम किया है. नई सरकार बनने के बाद 5 जनवरी, 2019 को हम ने इस मामले को ले कर उन को ज्ञापन दिया था. हमारे पिछले आंदोलन में भी उन का समर्थन मिला था, तो मुझे पूरा विश्वास है कि वे किसानों की जायज मांग को समझेंगे.

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