घटना थोड़ी पुरानी है, पर सुनो तो आज भी सिहरा देती है. उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जिले में एक गांव है खेतलपुर भंसोली. वहां पर बरतन छू जाने से एक दलित औरत सावित्री की पिटाई और इलाज के दौरान मौत होने का शर्मनाक मामला सामने आया था. वह भी तब जब सावित्री पेट से थी.
हुआ यों था कि कूड़ेदान को हाथ लगाने से नाराज अंजू देवी और उस के बेटे रोहित कुमार ने कथित तौर पर सावित्री को डंडे और लातों से बहुत मारापीटा था.
सावित्री के पति दिलीप कुमार ने बताया था कि सावित्री को पीटने की घटना 15 अक्तूबर, 2017 को हुई थी. उस के चलते सावित्री के पेट में पल रहे बच्चे की मौत हो गई थी और उस के बाद मामूली इलाज कर के डाक्टर ने सावित्री को जिला अस्पताल से घर भेज दिया था.
घर आने के बाद एक दिन सावित्री अचानक बेहोश हो गई और जब उसे अस्पताल ले जाया गया, तो डाक्टरों ने उसे मरा हुआ बता दिया.
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ऐसा पहली बार नहीं हुआ है, जब किसी को जाति के आधार पर अछूत समझ कर उस के साथ जोरजुल्म किया गया हो. जब कूड़ेदान पर हाथ लगने की इतनी बड़ी सजा दी जा सकती है, तो फिर खाने के बरतन को छूने पर तो पता नहीं क्या और कैसा बवाल मचा दिया जाएगा.
यही वजह है कि आज भी अनेक गांवों में चाय की दुकानों पर दलितों और पिछड़ों को निचला समझ कर मिट्टी के कुल्हड़ या फिर प्लास्टिक के ऐसे गिलासों में चाय परोसी जाती है, जिन्हें एक बार इस्तेमाल करने के बाद फेंक दिया जाता है, जबकि अगड़ों को कांच या चीनीमिट्टी के बरतन में चाय थमाई जाती है.